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काेराेना के 2 साल में 19 डीलर हड़प गए 40 लाख रुपए का राशन, राजनीतिक संरक्षण के चलते डीलर उठाते हैं फायदा

Banswara
काेराेना के 2 साल में 19 डीलर हड़प गए 40 लाख रुपए का राशन, राजनीतिक संरक्षण के चलते डीलर उठाते हैं फायदा
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  • अब बालावाड़ा के राशन डीलर ने किया 4.75 लाख गेहूं का गबन

कोरोना काल में कोई भूखा नहीं सोए इसलिए केंद्र सरकार ने भी निशुल्क गेहूं देना शुरू किया था। पोस मशीन में फिंगर न लगाने की भी छूट दी। लेकिन इस त्रासदी के समय भी 19 राशन डीलर गबन करने से बाज नहीं अाए। दैनिक भास्कर ने काेराेना काल के 2 साल में बंटे राशन की पड़ताल की ताे पता चला कि गबन के एक, दाे नहीं बल्कि पूरे 19 मामले हैं। इन डीलरों ने इस आपदा काे अवसर मानकर गरीबों के लिए भेजे गए गेहूं, चीनी और केरोसिन काे हड़प गए। इनमें 1374 क्विंटल गेहूं, 300 लीटर केरोसिन और 40 किलाे से भी ज्यादा चीनी का गबन हुअा। इस राशन की बाजार कीमत 40 लाख रुपए से भी ज्यादा है। गबन किए गए इस राशन की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इससे हजाराें ज़रुरतमंद लाेगाें काे लाभ मिल सकता था। गबन उजागर हाेने पर विभाग ने भी इन डीलर काे निलंबित करने के साथ पुलिस में मामला दर्ज कराया है। लेकिन अभी तक इनके गबन की राशि की वसूली नहीं हाे पाई है। पाेस मशीन और ऑनलाइन एंट्री के बावजूद राशन डीलरों के गबन के मामले थम नहीं रहे हैं। ताजा मामला बागीदौरा पंचायत समिति के बालावाड़ा गांव में सामने आया है। जहां रविंद्र झाला राशन डीलर ने 216 क्विंटल गेहूं का गबन कर दिया। खाद्य विभाग की जांच में इसका खुलासा हुआ, जिसके बाद डीलर को निलंबित कर दिया है।

डीलर को राजनीतिक संरक्षण, निलंबित हाेने पर फिर बहाल, एक डीलर के पास 3-3 दुकानें

ज्यादातर मामलों में यह भी देखने में आया है कि डीलर काे राजनीति संरक्षण प्राप्त हाेता है। गांव में सरपंच से लेकर विधायक तक की सिफारिशें रहती है। जिलेभर में 650 उचित मूल्य की दुकानें हैं, जिसमें कई राशन डीलर के पास 3-3 दुकानें हैं। जिसके चलते वह मनमर्जी से काम करता है। सरकार ने भी खाली पड़ी दुकानों के लिए विज्ञप्ति नहीं निकाल रही है। कई बार निलंबित होने के बाद भी राशन डीलर वापस बहाल हो जाते हैं।

इस तरह जांच में सामने आता है घपला

उपभोक्ताओं के बयान: खाद्य विभाग की टीम उपभोक्ताओं से बयान लेती है। उनका राशन कार्ड जांच करती है। उनसे पूछती है कितनी बार गेहूं लिया, कितना मिला। इसका आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं।

खाद्य विभाग की टीम हर शिकायत पर 5 तरह से जांच करती है

स्टॉक की जांच: खाद्य विभाग की टीम राशन डीलर के स्टॉक की जांच करते हैं। डीलर की पोस मशीन और गोदाम में माल की जांच करती है। जिसमें कम ज्यादा पाए जाने पर रिपोर्ट तैयार करती है।

बायपास से गेहूं निकालना: कोरोना काल में जब सरकार ने बायपास की सुविधा दी थी। जिसके लेकर राशन डीलर ने ही इसका फायदा उठाया। राशन डीलर्स ने गेहूं का वितरण ही नहीं किया, खुद डकार गए।

तकनीकी बदली, ताे गबन का तरीका भी

दो बार फिंगर प्रिंट लेगाना, एक बार गेहूं देना: पोस मशीन के बाद राशन डीलर्स ने नया तरीका निकाला है। जिसमें केंद्र और राज्य से मिलने वाले गेहूं के लिए उपभोक्ता को हर बार फिंगर लगाना पड़ता है। लेकिन राशन डीलर दो बार पोस मशीन पर फिंगर लगवा लेते हैं, लेकिन एक बार ही राशन देते हैं।

वजन में गेहूं कम देना: इसमें राशन डीलर के पास कांटा बहुत पुराना रहता है, जिसका सत्यापन भी नहीं होता है। कई राशन डीलर तो वजन भी नहीं करते। सीधे ही बर्तन के जरिए गेहूं तौल देते हैं। जिसमें 5 किलो गेहूं की जगह 1 से 2 किलो गेहूं कम कर देते हैं।

विभाग दो तरह से करता है कार्रवाई
1. पुलिस में मामला दर्ज: खाद्य विभाग की ओर से जांच में घोटाला सामने आता है तो डीलर को निलंबित करने के साथ पुलिस थाने में मामला दर्ज होता है। जिसके बाद पुलिस धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करती है।

2. रिकवरी वसूली: डीलर द्वारा गबन किए गए राशन की कीमत की रिकवरी की जाती है। जिसको लेकर खाद्य विभाग की ओर से जिला कलेक्टर को रिपोर्ट देते हैं। जिसके तहत एसडीएम को निर्देश दिए जाते हैं। एसडीएम डीलर को नोटिस जारी करते हैं, अन्यथा डीलर की प्रोपर्टी भी कुर्क होती है।

अगर कोई डीलर गड़बड़ करता है तो तुरंत शिकायत करें, केस दर्ज कराएंगे : डीएसओ
डीएसओ हजारीलाल आलोरिया ने बताया कि पोस मशीन आने और ऑनलाइन प्रक्रिया होने के चलते पहले के मुकाबले अब डीलर घोटाला नहीं कर सकता है। कई बार अगर कोई राशन कम दे रहा है, एक बार का दिया ह, तो उपभोक्ता की शिकायत पर तुरंत जांच भी होती है और पुलिस में मामला दर्ज भी करवाते हैं।

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