मोहकमपुरा पीएचसी स्टाफ का कृत्य अमानवीय : हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने बांसवाड़ा की मोहकमपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ द्वारा गर्भवती को बाहर निकालने व सास द्वारा सड़क पर प्रसव कराने के संबंध में प्रकाशित समाचार पर प्रसंज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की है। हाईकोर्ट ने पीएचसी के चिकित्साकर्मियों के इस कृत्य को पूरी तरह से अमानवीय बताते हुए कहा कि ये सारे हालात संबंधित व्यक्तियों की लापरवाही भी दर्शाते हैं।
कोर्ट ने कलेक्टर बांसवाड़ा व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बांसवाड़ा के पूर्णकालिक सचिव को निर्देश दिए कि इस मामले को एक्जामिन करें और संबंधित व्यक्तियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने चिकित्सा विभाग को निर्देश दिए कि वे इस मामले की जांच कराएं और गाइडलाइन बनाकर यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सरकारी अस्पतालों से किसी भी गर्भवती महिला को नहीं लौटाया जाए। मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
सीएमएचअाे डाॅ. एचएल ताबियार ने बताया कि मामले में जांच के लिए टीम 30 जून काे गठित की गई थी। जाे बुधवार काे अपनी रिपोर्ट देगी। जिसमें मौजूद लाेगाें, पीड़िता अाैर नर्सिंग स्टाफ के भी बयान है।
अगली सुनवाई 23 को: जस्टिस संदीप मेहता व कुमारी प्रभा शर्मा की खंडपीठ में मंगलवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। बांसवाड़ा कलेक्टर की ओर से एएजी फर्जंद अली व चिकित्सा विभाग की ओर से एएजी पंकज शर्मा उपस्थित हुए। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव डीके खत्री भी मौजूद थे। इन सभी को दो सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी: हाईकोर्ट ने इस समाचार पर प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि ये सारे हालात संबंधित व्यक्तियों की लापरवाही प्रकट करते हैं तथा पीएचसी में मौजूद व्यक्तियों की पूरी तरह से उदासीनता को भी उजागर करते हैं। एक महिला को अस्पताल के बाहर बच्चे को जन्म देने को मजबूर किया गया, यह उस महिला के जीवन के साथ-साथ उस नवजात के जीवन के लिए बहुत रिस्की हो सकता था। यह सारी घटना दर्शाती है कि संबंधित व्यक्ति संज्ञेय अपराध के अभियोजन का सामना करने के लिए जिम्मेदार होंगे।