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घाटे का सौदा; गेहूं की फसल पर 1 बीघा में खर्च 15 हजार, समर्थन मूल्य पर मिल रहे ~12 हजार

Banswara
घाटे का सौदा; गेहूं की फसल पर 1 बीघा में खर्च 15 हजार, समर्थन मूल्य पर मिल रहे ~12 हजार
@HelloBanswara - Banswara -

एक बीघा फसल पर खर्च
किसान समर्थन मूल्य और महंगाई के जाल में पूरी तरह फंस गया है। बीते 8 साल में जहां किसानों की खेत में लागत ढाई गुना तक बढ़ गई है। वहां समर्थन मूल्य 20 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। कृषि उपज मंडी सूनसान है।


साल 2021-22 में जिले में 37.24 लाख क्विंटल से भी ज्यादा गेहूं का उत्पादन हुआ है। मंडी में एक भी किसान गेहूं की फसल बेचने नहीं पहुंचा है। एक बीघा में किसान का खर्च 15 हजार से ज्यादा बढ़ गया है। इसे समर्थन मूल्य की कीमतों से जोड़-बाकी करें तो किसान को एक बीघा के उत्पादन पर महज 12 हजार रुपए ही मिलते हैं। इसका सीधा मतलब है-तीन हजार रुपए का सीधा घाटा। इसी वजह से किसान कृषि मंडी की बजाए सीधे व्यापारियों तक पहुंच बना रहे हैं। किसानों की तकलीफ यही नहीं है। जिले में मक्का, सोयाबीन, धान, चना सहित 6 फसलें भी होती हैं, उसके बावजूद पिछले एक दशक से इन फसलों के लिए खरीद केंद्र तक नहीं खोला गया है। प्रदेश में मक्का सबसे ज्यादा 20 लाख क्विंटल से भी अधिक उत्पादन होता है। उसके बाद भी खरीद केंद्र नहीं खुलना किसानों के लिए सबसे बड़ा दर्द है।


ऐसे बढ़ गया खर्च : 8 साल पहले एक बीघा में गेहूं की खेती पर 4 से 5 हजार रुपए का खर्च आता था। वह अब 15 हजार तक हो गया है। एक बीघा में जुताई, बीजरोपण, खाद, स्प्रे, कुएं से सिंचाई, मजदूरी लगाना, गेहूं निकालना सहित मिलाकर 15 हजार रुपए प्रति बीघा खर्च आता है। वहीं उत्पादन प्रति बीघा 6 से 7 क्विटंल होता है। समर्थन मूल्य के हिसाब से 12 हजार मिलता है, उसमें भी मंडी तक लाने में भी काफी खर्च होता है। इस बार मंडी में सर्मथन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। इससे किसानों ने मंडी के बजाय बाहर खुले में गेहूं बेचा।


इन फसलों के लिए जिले में पिछले एक दशक से खरीद केंद्र तक नहीं खुले
फसल क्षेत्र (हैक्टेयर) उत्पादन (क्विंटल) समर्थन मूल्य
सोयाबीन 60250 10.24 लाख 3950
मक्का 1 लाख 20.10 लाख 1850
उड़द 5746 40.79 हजार 6300
धान 13225 2.60 लाख 1940
कपास 9210 46.05 हजार 6025
चना 11250 82.68 हजार 5230
रबि मक्का 21000 3.88 लाख 1850
साल समर्थन मूल्य खरीद (क्विं.) टैक्स उत्पादकता
2014-15 1450 5301 1.23 लाख --
2015-16 1525(5%) 82 0.02 19.46 लाख
2016-17 1625(6%) 93906 24.42 --
2017-18 1735 (6%) 172304 47.83 26.09 लाख
2018-19 1840(6%) 97201 28.62 28.91
2019-20 1925(4%) 264639 81.51 34.57
2020-21 1975(2%) 394177 77.81 37.90
2021-22 2015(2%) 00 00 37.24


 खरीद केंद्र खोलने की लगातार मांग की जा रही है, लेकिन किसानों की सुनवाई नहीं हो रही। गुजरात के व्यापारियों को सस्ते में मक्का देना पड़ रहा है। इसके अलावा धान जो 1500 में यहां व्यापारी खरीद रहे हैं, जबिक समर्थन मूल्य 2040 है। -रणछोड़ पाटीदार, संभागीय अध्यक्ष, भारतीय किसान संघ
 हमारी मांग है कि किसानों को लागत के हिसाब से ही समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। अब फसल पर लागत ज्यादा लग रही है, जबकि समर्थन मूल्य बहुत कम मिल रहा है। जिससे किसानों को समर्थन मूल्य से कोई फायदा नहीं हो रहा है। -धर्मपाल सियाग, प्रदेश सचिव, भारतीय किसान यूनियन


मंडी में बंद खरीद केंद्र।
{जुताई, बिजाई- ~2700 {खाद, बीज, कीटनाशक- ~2300 {5 बार सिंचाई-~1500 {मजदूरी-~3000 {थ्रेसर से गेहूं निकालने का खर्च-~600 {बारदाना-~400 {ट्रांसपोर्ट-~500 {प्रबंधन- ~4000

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