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बीमा कंपनी से बेरोजगार हुए तो राजस्थान समेत चार राज्यों में ठगे ढाई करोड़, दो भाइयों समेत 5 गिरफ्तार

Dungarpur
बीमा कंपनी से बेरोजगार हुए तो राजस्थान समेत चार राज्यों में ठगे ढाई करोड़, दो भाइयों समेत 5 गिरफ्तार
@HelloBanswara - Dungarpur -
मकसुद अहमद (बीएससी), मुकेश कुमार (बीकॉम)
  • डूंगरपुर के पेंशनर से 43 लाख की ऑनलाइन ठगी के बाद पुलिस ने जांच की ताे हुआ इस गैंग का खुलासा
  • ये सोशल मीडिया पर दोस्ती करते हैं, फिर ऑनलाइन खाते से उड़ा लेते हैं रुपए

डूंगरपुर : शहर के एक पेंशनर से 43.47 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी के मामले की जांच कर रही काेतवाली पुलिस इंटर स्टेट साइबर ठगों की गैंग तक पहुंच गई। पुलिस ने महाराष्ट्र, दिल्ली व यूपी के पांच आरेापियों काे गिरफ्तार किया है। छह की गिरफ्तारी बाकी है। आरोपी दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र समेत राजस्थान के भरतपुर, धौलपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, सवाईमाधोपुर, झुंझुनू और पाली, डूंगरपुर में ठगी कर चुके हैं।

ठग मुकेश और मकसूद ने बताया कि बेरोजगार होने के कारण ऑनलाइन ठगी शुरू की। मेहताब और तीन युवतियाें काे नौकरी पर रखा। तीन आरोपी एसबीआई क्रेडिट, लाइफ इंश्याेरेंस से काम छोड़ कर आए थे। सभी ने नई दिल्ली में ऑफिस खाेल दिया, वहीं से ठगी का नेटवर्क शुरू किया।

एसपी सुधीर जाेशी ने बताया कि महाराष्ट्र के वाशीम निवासी महेंद्र सिंह ( 34) पुत्र राधेश्याम ठाकुर, यूपी के एटा जिले के अंबरपुर निवासी भूपेंद्र प्रताप उर्फ पंकज ( 27 ) पुत्र सहदेव सिंह, यूपी के अमराेहा जिले के कउन्दीकीभुड़ निवासी मुकेश कुमार (26) पुत्र राधेश्याम रावल, यूपी के बिजनाैर जिला हाल नई दिल्ली निवासी मकसुद अहमद (24) पुत्र महबूब अहमद, मेहताब (22) पुत्र महबूब अहमद काे गिरफ्तार किया है।

ऐसे मिला सुराग: माेबाइल नंबर व बैंक खाते से मिला पहला सुराग
आरोपियों ने जिस नंबर से पीड़ित काे कांटेक्ट किया था। वह स्वीच ऑफ कर दिया था। बैंक खाता नंबर की पड़ताल की। वह आईजीएमएस कुरियर खाता वाशीम महाराष्ट्र का निकला। पुलिस लगातार चैक करती रही। खाताें की पड़ताल के दाैरान एक माेबाइल नंबर हाथ लगा।

इस नंबर की जांच करने पर कई नंबर से बातचीत हाेना सामने आया। इस पर इस गैंग में कई लाेग शामिल है। पड़ताल करते पुलिस महाराष्ट्र पहुंची और महेंद्रसिंह को पकड़ा। महेंद्र सिंह व भूूपेंद्रप्रताप दाेस्त थे। पुलिस ने भूपेंद्र काे उसके गांव से गिरफ्तार किया।

ऐसे करते ठगी : कुरियर कंपनी के नाम पर था महाराष्ट्र में खाता
आराेपी भूपेंद्र सिंह और महाराष्ट्र के महेंद्र सिंह नेे आईजीएमएस कुरियर कंपनी के नाम से खाता खुलवाया। खाते में आने वाली नकदी में से महेंद्र सिंह 15% रखकर शेष 85 प्रतिशत भूपेंद्र सिंह काे देता था। भूपेंद्र सिंह 10 प्रतिशत रख कर 75% मुकेश, मकसूद, मेहताब, नासिर काे देता था।

खाते में अब तक ढाई कराेड़ रुपए जमा हुए हैं। सवाईमाधाेपुर में एक व्यक्ति काे 10 लाख रुपए का चूना लगाने की बात सामने आई। पुलिस टीम चार बार नई दिल्ली, यूपी व महाराष्ट्र गई। इसके लिए पुलिस टीम काे अलग अलग राज्य में अपनी वेशभूषा भी बदलनी पड़ी।

फर्जी ऑफिस खाेला, अधिकारी व एम्पलाॅय की तरह करते थे बात
तीन आरोपियों ने बीमा कंपनी में काम किया है। इसलिए उन्हें पता रहता था कि कैसे बात करनी है। यह लाइफ इश्याेरेंस से जुड़ा इस तरह का डेटा निकालते ही जिसमें सामने वाला व्यक्ति डिफाल्टर रहा हाे। ऐसे व्यक्ति काे यह आरोपी चिन्हित करके काॅल करते।

यह इश्याेरेंस अधिकारी की तरह बात करते है। इसमें फरार चल रहा नासिर इस ठगी के मामलाें में नीलकमल बन कर बात करता। मेच्याेर लाेगाें की तरह बात करता। मतलब इस तरह से जैसे किसी कंपनी की ओर से काॅल के बाद सीनियर अधिकारी काे काॅल ट्रांसफर किया जाता है, वैसे ही पूरा प्राेसेस किया जाता है।

यह था पूरा मामला
डूंगरपुर रामनगर निवासी योगेश ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस से 2 लाख का बीमा करवाया था। इसे बंद करवाने के लिए इंटरनेट से कस्टमर केयर का नंबर लेकर कॉल किया तो एक युवक ने विभाग का इम्प्लॉय होने की बात कहकर बताया कि बीमा बंद करवाने पर पैसा नहीं मिलेगा।

उसने एक व्यक्ति का नंबर दिया और बोला इनसे बात कर लो पैसा मिल जाएगा। उस नंबर पर बात की तो दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति ने प्रार्थना पत्र के लिए 22 हजार 500 रुपए भेजने के लिए कहा। ठगों ने बताया कि 40 लाख रुपए जमा कराने पर 70 लाख मिलेंगे। ठगों ने 43 लाख ट्रांसफर करवा लिए।

ये अभी भी फरार
मकसूद व मेहताब का भाई 22 वर्षीय इमरान फरार हैं। मेरठ जिले के सिवालखास निवासी नासिर पुत्र मुन्ना खान, महाराष्ट्र के वाशिम निवासी शंकर सुभाष भड़के फरार हैं। साजिया, सना व माेहिनी भी ठगी में शामिली थी। टीम में थानाधिकारी दिलीपदान चारण, उपनिरीक्षक गाैतमलाल, साइबर सैल से राहुल त्रिवेदी, अभिषेक, जाेगेंद्र सिंह, हैड कांस्टेबल धर्मेंद्र सिंह, कांस्टेबल आशीष, मगन शामिल रहे। साइबर सैल का विशेष याेगदान रहा।

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