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गुरुपूर्णिमा घर से मानसिक पूजा पाठ करे यही गुरुपूर्णिमा की गुरुदक्षिणा, महामण्डलेश्वर हरिओमदास

Banswara
गुरुपूर्णिमा घर से मानसिक पूजा पाठ करे यही गुरुपूर्णिमा की गुरुदक्षिणा, महामण्डलेश्वर हरिओमदास
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देश भले अनलाक हो गया है, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना का खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में अपने भक्तों को महामारी के संक्रमण से दूर रखने के लिए महामण्डलेश्वर श्रीमहंत श्री हरिओमदासजी महाराज ने गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव को सादगी से मनाने का निर्णय लिया है। महामण्डलेश्वर ने गुरु पूर्णिमा मनाने के लिए भक्तों को लालीवाव मठ आश्रम नहीं आने का आदेश दिया है।

बाँसवाड़ा शहर के ऐतिहासिक तपोभूमि लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा को लेकर गुरुपूर्णिमा सेवा समिति लालीवाव मठ के भक्तों द्वारा महामण्डलेश्वर श्री हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में बुधवार सायं 6 बजे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आम सभा का आयोजन किया गया । जिसमें हरिओमदासजी महाराज एवं भक्तों द्वारा निर्णय लिया एवं आश्रम से अपने अपने भक्तों के लिए संदेश जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि 5 जुलाई को व्यासपूर्णिमा महापर्व सादगी से मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा की धार्मिक पंरपराओं का निर्वहन करने के लिए केवल महंत, आश्रम के संतों, पुजारी व आचार्य द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 3 जुलाई को भगवान गणपति महापूजा, पद्मनाभ महाअभिषेक, 4 जुलाई को हनुमानजी एवं महादेवजी रुद्राभिषेक, 5 जुलाई को आश्रम परिसर में गुरुमहाराज की छत्रीयों पर पादुका पूजन किया जाएगा परन्तु इसमें आम भक्तों की सहभागिता नहीं हो पायेगी । महामण्डलेश्वर हरिओमदास महाराज द्वारा भक्तों को संदेश दिया की कोरोना संकट को देखते हुए इस बार गुरुपूर्णिमा पर सभी अपने अपने घरों में रहकर मानसिक पूजा, पाठ, ध्यान एवं स्तुति करें यही गुरुपूर्णिमा की गुरुदक्षिणा है । आश्रम द्वारा भक्तों व आम लोगों के लिए इस वर्ष गुरुपूर्णिमा के समस्त आयोजन गुरुपूजा, गुरुदीक्षा एवं महाप्रसादी भण्डारा स्थगित रखा गया है ।

आश्रम परिवार और भक्तों के लिए यह पहली बार है कि इस गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की चरण वंदना और उनके दर्शन की मनोकामना पूरी नहीं होगी ।

तपोभूमि लालीवाव मठ में भक्तों का उमड़ता है प्रवाह- गुरु पूर्णिमा महापर्व पर प्रतिवर्ष तपोभूमि लालीवाव मठ आश्रम में भक्तों का प्रवाह उमड़ता है। आश्रम प्रांगण लंबी कतारों में भक्त अपने गुरु के दर्शन के लिए पहुंचते हैं । संतों, महात्माओं, भक्तों और अनुयायियों की संख्या इतनी ज्यादा रहती है कि सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना किसी भी व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती होती और इसमें संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता। इसी के मद्देनजर महंत एवं गुरुपूर्णिमा आयोजन समिति लालीवाव मठ ने यह निर्णय लिया है।

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