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जिन गोविंद गुरु के नाम जीजीटीयू शुरू हुआ, वे ही पाठ्यक्रम में शामिल नहीं

Banswara
जिन गोविंद गुरु के नाम जीजीटीयू शुरू हुआ, वे ही पाठ्यक्रम में शामिल नहीं
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    केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा था कि मानगढ़ के ऐेतिहासिक घटनाक्रम व गोविंद गुरु के आजादी आंदोलन में योगदान को लेकर आने वाले दिनों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के माध्यम से किताब का प्रकाशन कर देशभर की लाइब्रेरी में भेजी जाएगी। इसके लिए ब्रिटिश लाइब्रेरी व मानगढ़ पर जानकारी रखने वालों से लिट्रेचर लेकर किताब तैयार कर 17 नवंबर को इसका विमोचन करेंेगे। दैनिक भास्कर ने रिसर्च की तो पता चला कि राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान 2.0 के तहत मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर मानगढ़ के बारे में एमए के फाइनल ईयर स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे हैं। जबकि, हमारे जीजीटीयू में इसे लेकर किसी तरह का पाठ्यक्रम नहीं है। मानगढ़ के गौरव व गोविंद गुरु के बलिदान को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कभी विशेषज्ञों की कमेटी तक नहीं बनाई गई। जबकि यूनिवर्सिटी का नाम ही गोविंद गुरु के नाम से संचालित है। जीजीटीयू के अधीन बांसवाड़ा, डूंगरपुर व प्रतापगढ़ जिले में 158 राजकीय एवं निजी कॉलेज संचालित हैं, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं।

    सुखाड़िया विवि में पढ़ा रहे मानगढ़ का गौरव और गोविंद गुरु का बलिदान


    जीजीटीयू में मानगढ़ और गोविंद गुरु को पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किए जाने का मूल कारण यूनिवर्सिटी में पदों पर स्थाई नियुक्ति नहीं होना है। अब तक विवि में डिपार्टमेंट भी नहीं बनाए हैं। क्योंकि-विवि में अलग-अलग डिपार्टमेंट होते हैं, जो विभिन्न विषयों पर शोध व पाठ्यक्रम के निर्माण संबंधित अन्य कार्य करते हैं। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत भी कई सारे प्रोजेक्ट स्वीकृत किए जाते हैं, जिन पर रिसर्च की जा सकती है। जिस भी विषय काे पाठ्यक्रम में शामिल करना है, उसे विद्या परिषद की बैठक में माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद एकेडमिक काउंसिल में चर्चा हाेती है और वित्त विभाग की टिप्पणी के बाद विषय काे बाेर्ड अाॅफ मैनेजमेंट में रखा जाता है। बाेम में सहमति के बाद टीम गठित हाेती है, जाे पाठ्यक्रम व रिसर्च अादि के बाद किताब के संबंध में निर्णय करते हैं।

    भीलाें का किया मार्गदर्शक
    गोविंद गुरु का जन्म 1858 ईस्वी में डूंगरपुर के बासिया गांव में हुआ था। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रेरणा से भीलों में समाज एवं धर्म सुधार आंदोलन किया। गोविंद गुरु ने सभी भील-प्रधान गांवों में “धूणियां” स्थापित की। मानगढ़ की पहाड़ी पर अंग्रेजों ने 17 नवंबर, 1913 को 1500 से ज्यादा भीलों को मौत के घाट उतार दिया था। इस दाैरान भीलाें का नेतृत्व गोविंद गुरु कर रहे थे।

    तीन भाषाओं में बनाई ई-बुक
    रुसा 2.0 के तहत तैयार की गई वागड़ का लोक साहित्य ई-बुक में 98 पेेज हैं। इसे पांच यूनिट में बांटा गया है। इसकी चौथी यूनिट पूरी मानगढ़ पर है। पेज संख्या 49 से 66 तक मानगढ़ के इतिहास व गोविंद गुरु के बारे में विस्तृत रूप से सचित्र जानकारी दी गई है। इसके साथ ही गोविंद गुरु के प्रसिद्ध गीत भूरेटिया ना मानू रे को भी शामिल किया गया है। किताब की खास बात यह है कि ई-कंटेंट होने के कारण इसमें रिसर्च कर आवश्यक तथ्य जोड़े जा सकेंगे और आवश्यक बदलाव भी किया जाएगा। यह ई-बुक हिन्दी और राजस्थानी के साथ ही विशेष रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया है, जिससे विदेश तक मानगढ़ और वागड़ की संस्कृति की जानकारी पहुंच सके।


    शोधकर ई-बुक और डाक्यूमेंट्री तैयार की है : प्रो. मलिक
    एमएलएसयू उदयपुर में शोध अनुवेशक प्रो. सीमा मलिक (अंग्रेजी िवभाग) का कहना है कि वागड़ अंचल की संस्कृति और इतिहास अत्यंत समृद्ध है। मानगढ़ ताे वागड़ की पहचान है। रूसा प्रोजेक्ट 2.0 में इन दाेनाें ही विषयों पर शाेध कर ई-बुक और डाक्यूमेंट्री तैयार की गई है, जो हिंदी, राजस्थानी और अंग्रेजी में है। विवि के एमए अंतिम वर्ष के स्टूडेंट के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। स्टूडेंट इस विषय के अध्ययन में रुचि दिखा रहे हैं।


    सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में अनिवार्य करेंगे : प्रो. त्रिवेदी
    जीजीटीयू के कुलपति प्रो. आई वी त्रिवेदी का कहना है कि गोविंद गुरु के नाम से विवि है और उनके बारे में स्टूडेंट काे जानकारी हाेना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामान्य अध्ययन के अनिवार्य पाठ्यक्रम में मानगढ़ का इतिहास और गोविंद गुरु के बलिदान काे शामिल किया जाएगा। पाठ्यक्रम के तहत किताब भी लागू की जाएगी, जिससे स्टूडेंट काे काे िवषय-वस्तु की प्रमाणिक जानकारी मिल सकेगी।





    मानगढ़ के गौरव और गोविंद गुरु के आजादी आंदोलन में योगदान पर केंद्र सरकार की ओर से देशभर की लाइब्रेरी में किताब भेजने के बयान के बाद उठी नई मांग

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