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EXCLUSIVE : 2019 में जिला अस्पताल में 180 नवजात की हुई मौत, मौत के कारण को मिटाने में पूरी तरह से नाकाम

Banswara
EXCLUSIVE : 2019 में जिला अस्पताल में 180 नवजात की हुई मौत, मौत के कारण को मिटाने में पूरी तरह से नाकाम
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गौरतलब है कि बांसवाड़ा के राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय में 2 माह में 90 नवजात शिशु की मौत का मामला  हो  चुका है, इस मामले पर न्यायालय ने भी अनुसंज्ञान लिया था।

इसके बाद में प्रदेश में एक और नया मामला जेके लोन अस्पताल कोटा का सामने आया है, जहाँ पर अधीक्षक की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सप्ताह में 12 शिशुओं की मौत, इस महीने में 24 दिसंबर तक 77 बच्चों की मौत हो गई, जबकि इस साल कुल 940 शिशुओं की मौत हुई। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को ही दो शिशुओं की मौत हो गई। हालांकि अब यहां पर कांग्रेस की सरकार है और इस अस्पताल में इस मौत के मामले पर क्या कार्यवाही की जा सकती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। 

बहर हाल बांसवाड़ा जिले की बात की जाए तो बांसवाड़ा के राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय में एक जनवरी 2019 से लेकर 29 दिसंबर 2019 तक करीब 180 नवजात शिशु की मौत होने का मामला सामने आया है। हालांकि यह आंकड़ा अब भी ज्यादा माना जाता है ,क्योंकि अस्पताल में रोजाना करीब 20 से ज्यादा डिलीवरी की जाती है, कई बार नवजात शिशु को वजन कम होने के कारण मौत होने का मामला भी सामने आया है।

इसी तरह अस्पताल के पीएमओ नंदलाल चरपोटा ने बताया 

अस्पताल में कोई संसाधन की कमी नहीं है लेकिन लो बर्थ होने के कारण बच्चों की मौत ज्यादा होती है तो वहीं कई बच्चों को गंभीर हालत में उदयपुर भी रेफर करना पड़ता है। 

उन्होंने बताया की बाँसवाड़ा जिला अस्पताल में एक मात्र एस.एन.सी.ओ. है, जिसमे करीब 20 बेड की क्षमता है। पर पुरे जिले में कहीं पर भी सुविधा नहीं होने के कारण यहाँ पर रोज 25 से 30 बच्चे भर्ती रहते है। जनवरी से दिसंबर में अभी तक करीब 180 नवजात बच्चों की मृत्यु हो चुकी है जो करीब 8-10 प्रतिशत मृत्युदर है।  

उन्होंने ये भी बताया कि अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है, वैसे अभी हमारे पास 4 शिशुरोग विशेषज्ञ है और अगर हमें चिकित्सक मिलते है और वो ब्लाक लेवल पर कार्य करते है तो जिला स्तर पर भार कम होगा जिससे ओर भी अच्छे परिणाम सामने आयेंगे।

चरपोटा ने कहाँ कि जिले की 20 लाख की जनसँख्या में विशेषज्ञों की कमी है। साथ ही यहाँ पर माताओं में कुपोषण की कमी, और शिक्षित नहीं है जिस कारण वो समय पर चिकिसकों के पास नहीं ला पाते है जो भी एक कारण है।  इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है और लोगो को जागरूक कर रही है। 

 

शिशुओं की मौत 2019 जनवरी से 29 दिसंबर 2019 तक

जनवरी 14
फरवरी 14
मार्च16
अप्रैल 15
मई 25
जून16
जुलाई16
अगस्त 17
सितंबर 11
अक्टूबर 16
नवंबर 11
दिसंबर 10

 

 

By Rajesh Soni

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