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जरूरतमंदों के लिए जिले को मिले 33.38 करोड़ रुपए, सिस्टम की चूक से शिक्षक, सरकारी कर्मचारियों में बंट रहे ढाई-ढाई हजार रुपए

Banswara
जरूरतमंदों के लिए जिले को मिले 33.38 करोड़ रुपए, सिस्टम की चूक से शिक्षक, सरकारी कर्मचारियों में बंट रहे ढाई-ढाई हजार रुपए
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चिराग द्विवेदी, प्रियंक भट्ट | भास्कर पड़ताल

प्रदेश में एक माह से लॉकडाउन है। बाजार बंद और काम धंधे ठप पड़े हैं। कोरोना के इस आपातकाल में जरूरतमंद लोगों को तत्काल सहायता दिलाने के लिए सरकार की ओर से 2500 रुपए की मदद का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसमें सिस्टम की चूक के चलते बंदरबाट हो चुकी है। यह सहायता राशि ऐसे लोगों में बंट गई, जो पहले से सक्षम हैं। इनमें शिक्षक, बैंककर्मी, नर्सिंगकर्मी, वनकर्मी, रिटायर्ड कर्मचारी अाैर उनकी पत्नियां शामिल हैं। इनमें से कई परिवार तो ऐसे भी हैं जिन्हें खुद भी नहीं पता कि उनके खाते में रुपए जमा हुए है। कई लोगों के तो महज भामाशाह कार्ड के आधार पर ही खातों में रुपए जमा हो गए है। कई लोगों ने गलत तरीके से श्रमिक कार्ड बना रखे थे, तो उनके खातों में राशि जमा हो गई। लाभार्थियों का चयन अाैर भुगतान राजस्थान इन्फाे सर्विस लिमिटेड के माध्यम से किया गया है। उन्होंने पहले की बनी सूची को सही मानकर सबके खाते में राशि ट्रांसफर कर दी। इसे जिला स्तर पर पुन: सत्यापित भी नहीं कराया गया। भास्कर ने प्रशासन की अाेर से जारी सूची की पड़ताल कि ताे इस तरह की कई गड़बड़ियां सामने अाई। जिले में बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अंत्योदय अाैर पंजीकृत निर्माण श्रमिक की श्रेणी में अाने वाले करीब 1 लाख 33 हजार 620 लाभार्थियों काे कोरोना सहायता राशि के तौर पर 2500 रुपए का भुगतान किया जाना है। इसके लिए जिले का करीब 33 कराेड़ रुपए बजट है। इस बजट काे देखकर सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि इससे असल में कितने गरीब या जरुरतमंदों को लाभ मिल सकता है।

2019 में पंचायत स्तर पर बने फर्जी श्रमिक कार्डाें से उठा रहे हैं लाभ
सहायता राशि का लाभ उठाने वालों में ऐसे लोगों भी शामिल हैं, जिन्हाेंने फर्जी तरीके से 90 दिन का कार्य अनुभव बनाकर निर्माण श्रमिक के ताैर पर अपना पंजीयन करा दिया। ये सभी श्रमिक कार्ड 2019 के पहले के बने हैं, जाे पंचायत समिति स्तर पर बनाए थे। जिला सहायक श्रम अायुक्त कुलदीपसिंह ने बताया कि श्रमिक कार्ड के लिए 90 दिन के कार्य का अनुभव हाेना जरूरी है। जिसके साथ अाधार कार्ड, भामाशााह कार्ड अाैर एक फाेटाे की जरूरत हाेती है। पहले यह 2019 में यह सभी कार्ड पंचायत स्तर पर बनाए गए थे, अब यह कार्ड जिला स्तर पर बन रहे हैं।

यदि किसी को गलत भुगतान हुआ है तो वसूली हाेगी: शासन सचिव
हमने ताे हमारे विभाग से बजट जारी किया है। लाभार्थियों का चयन अाैर भुगतान राजस्थान इन्फाे सर्विस लिमिटेड के माध्यम से किया गया है। काैन-काैन पात्र हैं, यह ताे जिला स्तर पर कलेक्टर से प्राप्त हाे सकता है। अगर किसी काे गलत भुगतान हुअा है ताे उसकी जांच कराकर फिर से वसूली की जाएगी। नीरज के पवन, शासन सचिव, श्रम एवं राेजगार विभाग

2 स्तर पर हाेना है भुगतान
{राज्य स्तर पर: बीपीएल, स्टेट बीपीएल अाैर अंत्याेदय याेजना के अंतर्गत अाने वाले परिवार जिनके किसी भी सदस्य काे सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। इसके अलावा पंजीकृत निर्माण श्रमिक जाे प्रथम श्रेणी में सम्मिलित नहीं है।
{जिला स्तर से: 3780 लाभार्थी एेसे हैं, जिनका चयन जिला स्तर से किया जाना है। इस भुगतान की श्रेणी में स्ट्रीट वेंडर, अन्य श्रमिक, रिक्शा चालक, निराश्रित एवं असहाय जरूरतमंद परिवार के लाेग शामिल हैं। इनका चयन पंचायत अाैर उपखंड पर ही किया है।

कहीं सेवानिवृत्त बैंककर्मी की पत्नी तो कहीं डॉक्टर की पत्नी को किया भुगतान

केस 1: तलवाड़ा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत तलवाड़ा एक शिक्षिका हर्षलता पत्नी दिनेश जानी के खाते में काेविड 19 अनुग्रह भुगतान की पहली किश्त 1000 रुपए अाैर दूसरी किश्त 1500 रुपए अाॅनलाइन खाते में ट्रांसफर हाे चुकी है। हर्षलता जानी ने बताया कि उनका न ताे बीपीएल, स्टेट बीपीएल अाैर अंत्योदय का कार्ड हैं अाैर न ही श्रमिक कार्ड बना है। महज भामाशाह कार्ड ही हैं। खाते में पैसे कहां से अाैर क्याें अाए वाे पता नहीं। अगर गलत राशि अाई हैं ताे हम वापस जमा कराना चाहते हैं।

केस 2. सरेड़ी बड़ी निवासी हीना व्यास पत्नी रजनीकांत व्यास काे भी काेराेना सहायता राशि के 2500 रुपए जमा किए गए हैं। जबकि हीना व्यास स्वयं एक शिक्षिका हैं अाैर पति बताैर डाॅक्टर क्लिनिक संचालित करते हैं। रजनीकांत व्यास ने बताया कि खाते में पैसा अाया हैं या नहीं मुझे पता नहीं हैं। पत्नी सरकारी शिक्षिका हैं लेकिन मेरा श्रमिक कार्ड बना हुअा हैं हाे सकता हैं उस कारण जमा हुए हाे, लेकिन फिर भी वापस कहीं जमा कराने हाे ताे करा सकते हैं, क्याेंकि यह राशि ज़रुरतमंद काे ही मिलनी चाहिए।

केस 3: तलवाड़ा ग्राम पंचायत में ही सेवानिवृत्त बैंककर्मी सुरेशचंद्र भट्ट की पत्नी वनिता भट्ट काे काेविड 19 की एक्स ग्रेशिया 1 अाैर 2 की दाेनाें किश्ताें का भुगतान हाे चुका है। भट्ट ने कहा कि मुझे दो तीन दिन पहले 500 रुपये का मैसेज तो आया था लेकिन मैं जब बैंक में गया तो पता चला की खाते में अभी तक कैश जमा नहीं हुआ है। पता नहीं किस हिसाब से सरकार ने पैसे जमा करवाया है। मेरे पास तो कोई कार्ड नहीं हैं। अब आप बता रहे हो तो फिर मैं बैंक जाकर चैक करता हूं।

केस 4: अनुपमा पत्नी महेंद्र त्रिवेदी पंचायत समिति तलवाड़ा में चतुर्थ श्रेणी के पद पर हैं। अनुपमा की अनुकंपा नियुक्ति है। अनुपमा का कहना है कि मेरी बेटी दिव्यांग है, जिसका मैंने कुछ महीने पहले कार्ड बनवाया था। हो सकता है उस वजह से उसके खाते में रुपए जमा हुए। लेकिन, अभी मुझे पता नहीं है। मेरा व्यक्तिगत श्रमिक या अन्य कार्ड नहीं है।

केस 5: जाैलाना निवासी अनिता पाटीदार काे भी सहायता राशि मिली है, जबकि उनके पति माेहनलाल पाटीदार स्वयं एक सरकारी शिक्षक हैं। काेकिला पत्नी विनाेद भट्ट काे भी अनुग्रह राशि की दाेनाें किश्तों का भुगतान किया गया है। जबकि पति विनाेद भट्ट सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

 

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