परिषद ने डूंगरपुर मेन रोड पर बेशकीमती 1000 फीट जमीन पर कब्जा माना, तोड़ने की बजाय किया समझोता
कस्टम चौराहे पर फखरी पेट्रोल पंप के मालिक का कब्जा, डीएलसी दर 97 लाख तो अनुमानित बाजार कीमत 3 करोड़ के पार
नगर परिषद ने डूंगरपुर मुख्य मार्ग के कस्टम चौराहे पर स्थित कखरी पेट्रोल पंप की पैमाइश करने के बाद 1 हजार स्ववायर फीट से ज्यादा जमीन पर अतिक्रमण माना है। हैरानी की बात तो यह है कि परिषद प्रशासन की ओर से अतिक्रमी को नोटिस भी दिए गए। लेकिन बाद में उसी से समझौता करते हुए यह बेशकीमती जमीन छोड़ दी।
दरअसल, 9 जुलाई 2015 को कलेक्टर, जन आभाव अभियोग व सतर्कता समिति को फखरी पेट्रोल पंप के मालिक कलीमुद्दौन बोहरा द्वारा अवैध रूप से निर्माण की शिकायत की गई थी। नगर परिषद प्रशासन ने कस्टम चौराहे पर जमीन की पैमाइश के बाद 9 नवंबर 2015 को माना था कि फखबरी पेट्रोल पंप मालिक ने 1000 फीट जमीन पर अवैध निर्माण किया है। इसके बाद पंप मालिक को रिकॉर्ड देने के लिए परिषद ने नोटिस दिया। पंप मालिक कलीमुद्दीन बोहरा ने कोर्ट में याचिका दायर कर नगर परिषद को पार्टी बना दिया। मई 2023 में फखरी पेट्रोल पंप ने समझौते के बाद याचिका वापस ले ली। अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि एक हजार स्क््वायर फीट से अधिक जमीन पर निर्माण के मामले में फैसला लगभग पक्ष में ही आने वाला था, लेकिन इससे पहले ही परिषद ने अतिक्रमण ध्वस्त न करने पर समझौता क्यों कर लिया।
नियमन पर जताई थी आपत्ति, क्योंकि स्ट्रीट ऑफ लैंड के तहत नियमों में नहीं आती जमीन
इस पूरे प्रकरण में 27 नवंबर 2015 को फखरी पंप के मालिक कलीमुद्दीन ने नगर परिषद के आयुक्त को पत्र लिखकर कहा था कि 8 नवंबर 1949 नगर पालिका से राशि जमा कर क्रय जमीन को पेट्रोल पंप के लिए लिया था। तब नापना भी संभव नहीं था और उनके मुताबिक अतिक्रमण नहीं किया है। यदि निर्माण अधिक हुआ तो बह स्ट्रीप ऑफ लेड के रूप में नियमानुसार क्रय करने को तैयार है। अतिरिक्त भूमि का नियमन कराने के लिए शुल्क जमा करने को तैयार है। इस पर नगर परिषद आयुक्त ने 3 दिसंबर 2015 को पत्र लिख कहा कि परिषद इस बात से सहमत नहीं है। 1985 में पालिका ने 10 दुकानों के निर्माण की मी स्वीकृति दी थी और 13 दुकानों का निर्माण कराया है। इसमें तीन दुकानें अतिरिक्त हैं। उसकी अगर-अलग से स्वीकृति हो तो उपलब्ध कराएं, अन्यथा सात दिनों में अतिक्रमण हटाकर हर्जा-खर्जा बसूल किया जाएगा। सवाल: जब नगर परिषद आज भी मान रहा है कि बह नियमन के खिलाफ है तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
* दरअसल कब्जा की गई 1000 वर्गफीट भूमि डूंगरपुर मुख्य सड़क की जमीन है और मुख्य सड़क की जमीन स्ट्रीट ऑफ लैंड की परिभाषा में नहीं आती है। ऐसे में अगर भूमि का नियमन किया है तो वह भी अवैध रूप से होगा। इसको लेकर भी शिकायतकर्ता ने नगर परिषद को 8 मई 2023 को चेतावनी दी है कि ऐसा होता है तो नियमन के आदेश के विरुद्ध अलग से न्यायालय में कार्रवाई करेगा। वहीं भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में भी शिकायत करेगा।
पंप मालिक ३ दुकानें बनाकर किराए पर चला रहा, जमीन के काजजात तक नहीं
4 मई 2023 को राष्ट्रीय लोक अदालत ने जारी आदेश में नगर परिषद के अधिववता ने साक्ष्यों, वादी द्वारा पेश गवाहों के शपथ पत्र की नकल प्राप्त नहीं होना बताया था। वहीं वादी ने साक्ष्यों के लिए समय मांगा था। वहीं कहा कि हाईकोर्ट ने मामले के शीघ्र निस्तारण के लिए आदेश दिए हैं। इसके दो दिन बाद ही 6 मई को वादी पंप मालिक ने याचिका वापस ले ली। इसमें नगर परिषद ने समझौते के तौर पर कह दिया कि बह निर्माण नहीं तोड़ेंगे। इसके बाद कोर्ट ने मामले को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि इस एक हजार स्ववायर फीट जमीन पर 3 दुकानें बनी हुई हैं। जो किराए पर चल रही हैं।
सभापति और आयुक्त बोले... निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी
# मैं नियमन के बिल्कुल खिलाफ हूं.
किसी भी हाल में जमीन का नियपन नहीं होगा। मामला काफी ४६24; है, इसको देखकर आगे की कारवाई की जाएगी। परिषद की भूमि है और कागजात नहीं है तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। अपने अधिवक्ता से भी जानकारी ली जाएगी। -जैनेंद्र त्रिवेदी; सभापति, नगर परिषद
# मामला संज्ञान में है, हमारे अधिवक्ता ने बिना बताए ही यह काम किया है। इस पर हमने आपत्ति भी की थी। नियमन नहीं हुआ है और निश्चित तौर पर अतिक्रमण को हटाया जाएगा। -प्रभुलाल भाबोर, आयुक्त, नगर परिषद
परिषद के वकील ने कहा-हवा में बात करने से कुछ नहीं होता
# नगर परिषद के खिलाफ क्या फैसला आया है, वादी ने अपनी अपील वापस ली है। 700 साल से अधिक समय से कब्जा है, क्या तोड़ सकते हैं वो, उनके हवा में बातें करने से कुछ नहीं होगा। -राजकुमार जैन अधिवक्ता, नगर परिषद
# अभी उस मामले में कुछ नहीं हुआ है। कक्॒कील की राय के बाद अपील वापस ली है। निर्माण वोड़ेंगे या नहीं इसकी हमें जानकारी नहीं है। -कलीमुद्दीन. मालिक, फरवरी पेट्रोल पंप