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कुशलगढ़ में बंपर वाेटिंग, कांग्रेस चिंता में, भाजपा बाेर्ड की ओर, सज्जनगढ़ में बीटीपी हाेगी निर्णायक

Banswara
कुशलगढ़ में बंपर वाेटिंग, कांग्रेस चिंता में, भाजपा बाेर्ड की ओर, सज्जनगढ़ में बीटीपी हाेगी निर्णायक
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तीसरे चरण में कुशलगढ़ में अब तक का सर्वाधिक 78.51% मतदान, सज्जनगढ़ में 77.38% वोट पड़े

 

जिले में तीसरे चरण का मतदान मंगलवार काे पूरा हुआ। इस चरण में कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ पंचायत समिति शामिल रही। अब तक हुए तीनाें चरणाें में सबसे अधिक मतदान कुशलगढ़ पंचायत समिति में 78.51 फीसदी हुआ। अधिक मतदान प्रतिशत से कांग्रेस काे नुकसान बताया जा रहा है। यहां कुल 1 लाख 20 हजार 679 मतदाताओं में 64 हजार 745 मतदाताओं ने मतदान किया।

इधर सज्जनगढ़ में भी 77.38 फीसदी मतदान हुआ। कुशलगढ़ विधानसभा की इन दाेनाें ही पंचायत समितियाें में कुल मतदान 77.95 प्रतिशत हुआ है। जाे दाे साल पहले हुए विधानसभा चुनाव से ताे 8.61 प्रतिशत कम लेकिन डेढ़ साल पहले हुए लाेकसभा चुनाव से 8.01 प्रतिशत ज्यादा है। अधिक मतदान कहीं ना कहीं सरकार के खिलाफ जाता दिख रहा है। एक और जहां कुशलगढ़ में मतदान केंद्राें के बाहर परिवारवाद का मसला चर्चा का विषय रहा ताे सज्जनगढ़ में इस बार निर्दलीय प्रत्याशियाें से बीटीपी दम भरती दिखी।

यानी साफ शब्दाें में कहें ताे पंचायतीराज चुनाव में कुशलगढ़ और सज्जनगढ़ कांगेस का गढ़ रहे हैं, लेकिन इस बार टक्कर काटे की दिख रही है। कांकरी डूंगरी का विवाद भी इस चुनाव में असर डाल रहा है। पिछली बार भी जिला परिषद की इन 6 सीटाें में 2 सीटें भाजपा के पक्ष में गई थी, जाे इस बार 3 से 4 तक भी जा सकती है। मतदान केंद्राें पर लगी कतारें ही बता रही थी कि लाेग बड़े उत्साह से वाेट डालने पहुंचे थे। राेहनिया लक्ष्मणसिंह में ताे कतार लंबी हाेने के कारण महिला पुरुष दाेनाें ही पंगत लगाकर वहीं बैठ गए। यह माहाैल सुबह से ही केंद्र पर रहा।

मतदान के बाद दाेनाें पंचायत समितियाें से ग्राउंड रिपाेर्ट चर्चा में रहा कांकरी डूंगरी उपद्रव

पंचायत समिति सज्जनगढ़ में पिछले चुनावों में कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत था। इस बार बीटीपी व निर्दलीयों के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ। हालांकि यहां के हालातों को देखते हुए पिछले दिनों जिले के कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने इस क्षेत्र में फोकस रखा। सभाएं ली व क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नेताओं से संपर्क कर विश्वास में लेने का प्रयास किया। कांग्रेस निर्दलीय व बीटीपी के सहयोग से बोर्ड बना सकती है। यहां बीजेपी भी स्पष्ट बहुमत पाने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस से प्रधान पद के संभावित प्रत्याशी रामचन्द्र डिंडोर कड़े मुकाबले में फंसे हैं। वहीं भाजपा के दीपसिंह वसुनिया को भी तगड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पिछले बोर्ड की नाकामी व विधायक के प्रति लोगों की नाराजगी से हुआ है। विधायक के पिछले दिनों कांकरी डूंगरी जाने की घटना का भी इस बार चुनाव में असर है। सज्जनगढ़ क्षेत्र की घनी आबादी वाली बस्तियों में लबाना व कलाल जाति का वर्चस्व है। इनमें भी लबाना समाज को कांग्रेस के साथ माना जाता है।

पंचायत समिति कुशलगढ़ में इस बार भाजपा अपना बोर्ड बनाती नजर आ रही है। कांग्रेस के हाथ से इस बार बोर्ड फिसलना तय माना जा रहा है। 17 सदस्यों वाली पंचायत समिति में भाजपा बोर्ड बनाने लायक बहुमत जुटा लेगी। भाजपा के कानेंग रावत के यहां से प्रधान बनने की पूरी संभावना दिख रही है। कांग्रेस की गुटबाजी यहां हार का प्रमुख कारण बन सकती है। भाजपा को 9 सीटों पर स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।

भाजपा ने जिस तरह यहां एकजुट होकर व्यवस्थित तरीके से चुनाव लड़ा। उससे पार्टी की जीत के आसार बने हैं। पिछले चुनाव में कुशलगढ़ में कांग्रेस के खाते में 17 में 8 सीटें आई थी। निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन से वर्तमान विधायक रमीला खड़िया प्रधान बनी, लेकिन बाद में उपचुनाव में उसी निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा का समर्थन दे दिया। इस चुनाव में कांग्रेस की दाे से तीन सीटें कम हाेने की संभावना दिख रही है, कारण कांग्रेस का एक गुट विजय खड़िया काे प्रधान की दावेदारी मिलने से विधायक रमीला खड़िया से नाराज दिख रहा है।

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