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शराब के पेसे नहीं देने पर पत्नी-बेटे को लाठी से पीट कर की थी हत्या, दोषी को फांसी

Banswara
शराब के पेसे नहीं देने पर पत्नी-बेटे को लाठी से पीट कर की थी हत्या, दोषी को फांसी
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मातासुला गांव की 15 जून 2018 की घटना, 22 साल बाद बांसवाड़ा कोर्ट में मृत्युदंड का दूसरा फैसला

बाँसवाड़ा | पत्नी और बेटे की लट्ट से पीटकर हत्या करने के साढ़े चार साल पुराने मामले में कोर्ट ने पति को दोषी मानते हुए मृत्युदंड दिया। 51 पेज के फैसले में पीठासीन अधिकारी नवीन कुमार चौधरी ने दोषी के खिलाफ 1 लाख रुपए का अर्थदंड भी सुनाया। बांसवाड़ा में 22 साल बाद हत्या के किसी मामले में कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। इस केस में खुद दोषी के खिलाफ चचेरे भाई ने शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट ने मृतका व मृतक के आश्रितों को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत प्रतिकर दिलाए जाने की भी अनुशंसा की। दानपुर के मातासुला निवासी हीरा पुत्र शंभु निनामा ने 15 चुन 2018 को पुलिस को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया कि रात 2 बजे रूपा पुत्र कचरू निनामा के घर की तरफ से रूपा की 8 वर्षीय बेटी रेशमा के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आई। रेशमा ने कहा कि पिता ने मां इतरी (45) और भाई दिलीप (12) को मार दिया। इस पर हीरा दौड़कर गया और टॉर्च की रोशनी में देखा कि रूपा इतरी और दिलीप के सिर पर लड मार रहा था। हीरा को देख रूपा मौके से भाग गया। बताया जाता है कि रूपा ने शराब के लिए पैसे नहीं देने पर लाठी से पत्नी व बेटे पर हमला किया था। घायल इतरी और दिलीप को एंबुलेंस की मदद से छोटी सरबन अस्पताल ले गए। जहां से दोनों को रैफर कर दिया गया। परिजन दोनों को एमजी अस्पताल ला रहे थे कि रास्ते में इतरी ने दम तोड़ दिया। जबकि गंभीर घायल दिलीप की दो दिन बाद इलाज के दौरान सांसे थम गई। रिपोर्ट पर दानपुर पुलिस ने रूपा के खिलाफ आईपीसी को धारा 307 और 302 के आएोेप में केस दर्ज कर जांच शुरू की। 17 जून, 2018 को रुपा को गिरफ्तार किया गया।

समाज के लिए गंभीर और हृदय विदारक मामला अपर लोक अभियोजक शाहिद खान पठान ने तर्क दिया कि युक्त इ द्वारा पली व अनोध बेटे को रात के समय निर्मम हत्या कर दी गई। यह समाज के लिए बड़ी गंभीर और हृदय विदारक मामला है। अभियुक्त का यह कृत्य समाज को स्तंभित करने वाला है। ऐसा अपराध सामाजिक ताने-बाने को ही छिन्न-भिन्न करने जाला है। अभियुक्त के गंभीर अपराध को देखते हुए कठोर से कठोर दंड से दंडित किए जाने की प्रार्थना की।

कोर्टमें साबित नहीं कर पाए कि अभियुक्‍त विकृतचित था अभियुक्त के अधिवक्ता का तर्क था कि अभियुक्त विकृतचित था और अपराध करते समय विकृतचित रहा है। लेकिन इस संबंध में प्रतिरक्षा पक्ष कोई दस्तावेजी साक्ष्य कोर्ट में पेश नहीं कर पाया। जिससे यह साबित होता कि अभियुक्त विकृतचित था। अपर सेशन कोर्ट ने पति के इस अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस माना।

रिकॉल: 22 साल पहले सुनाया गया था मृत्युदंड इससे पहल साल 2009 में कोर्ट ने सरकार बनाम रमेश भोई के प्रकरण में दोषी को मृत्युदंड की सजा थी। कलिंजरा थाना क्षेत्र के इस कप में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी योगेंद्र कुमार शर्मा ने दोषी उपलाभोजिड़ा निवारी रमेश को मृत्युदंड और सहआरेपी सूरज कमल को आजीवन कारावास को सजा सुनाई गई थी।

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