गैस सिलेंडर बुकिंग के लिए आदिवासी इलाकों में नियम बन सकता है लोगों को लिए आफत
अब उपभोक्ताओं को बुकिंग के साथ ही गैस सिलेंडर की राशि भी ऑनलाइन जमा करवानी होगी
जहां एक तरफ सरकारें डिजिटलीकरण के लिए आगे बढ़ रही है। दूसरी ओर अब भी आदिवासी क्षेत्रों में पूरी तरह से डिजिटलीकरण हो पानी मुश्किल है। अब पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से चल रही गैस बुकिंग करने में और पैसे भी ऑऩलाइन करने पर तैयारी चल रही है।कई जगहों पर सख्ती के साथ लागू भी कर दिया है। जिसको लेकर जिले में भी तैयारी चल रही है। जिसको लेकर गैस एजेंसियों को भी से लिए कंपनी लगातार दिशा निर्देश जारी किए जा रहे हैं। जो कुछ समय बाद बिना ऑऩलाइन पैसा जमा के बीना घरेलू गैस सिलेंडर बुक नहीं हो पाएगा। अब तक फोन पर गैस सिलेंडर बुक करवाने के लिए दो चार दिनों में गैस सिलेंडर की घर पर आपूर्ति हो जाती थी, लेकिन अब उपभोक्ताओं को बुकिंग के साथ ही गैस सिलेंडर की राशि भी ऑनलाइन जमा करवानी होगी। बिना ऑनलाइन राशि जमा कराये, बिना अधिक दिन तक अब सिलेंडर नहीं मिल पाएंगे।आदिवासी इलाकों में ऐसा हो पाना असंभव : हालांकि इस प्रकिया से डिजिटल असाक्षर या उम्रदराज, के साथ लोगों का साक्षर नहीं होना इसके लिए सबसे बड़ी बाधा है। जिले में कुल 2 लाख 92 हजार 475 गैस कनेक्शन है। जिसमें 2 लाख 39 हजार 40 गैस कनेक्शन उज्जवला योजना के हैं, लेकिन आदिवासी आंचल के चलते यहां करीब 75 से 80 प्रतिशत कनेक्शन गांवों में जहां लोग केवल नकद पैसे देकर ही अपनी बुकिंग करवाते हैं। लेकिन अाेटीपी और पैसा भी ऑऩलाइन जमा करना मुश्किल है। गैस एजेंसियों की माने तो शहर के लोग भी अभी तक ऑऩलाइन पैसे जमा नहीं करवा पा रहे हैं। कंपनी की ओर से दिए जाने वाले टार्गेट को भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है।ऑनलाइन पैसे जमा करने की पीछे क्या मकसद : विभाग की माने तो गैस सिलेंडर की बुकिंग में हो रही कालाबाजारी को रोकने के लिए पेट्रोलियम मंत्राालय इस तरह की योजना तैयारी की है। जिसके चलते जिस भी उपभोक्ता को गैस सिलेंडर बुक करना होगा तो ऑऩलाइन पैसा जमा हो जाए। जिससे गैस एजेंसियां भी मनमर्जी के दाम नहीं वसूल पाएगी। ऑऩलाइन कैश जमा होने से पूरा रिकॉर्ड भी ऑऩलाइन रह पाएगा।