Home News Business

लड्ढा अस्पताल में गर्भवती को ए-पॉजिटिव बता इलाज करते रहे गुजरात में जांच में निकला बी-पॉजिटिव, हालत बिगड़ी 

Banswara
लड्ढा अस्पताल में गर्भवती को ए-पॉजिटिव बता इलाज करते रहे गुजरात में जांच में निकला बी-पॉजिटिव, हालत बिगड़ी 
@HelloBanswara - Banswara -
बड़ी लापरवाही *« लड्ढा अस्पताल के पैथोलॉजी लैब से जारी की गलत ब्लड रिपोर्ट, 7 दिन दवा लेने के बाद तबीयत बिगड़ी

बांसवाड़ा शहर के लड्ढा अस्पताल में एक गर्भवती की जांच और इलाज में गंभीर लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। अस्पताल की पैथोलॉजी लैब से गर्भवती की ब्लड जांच में गलत ब्लड ग्रुप रिपोर्ट जारी की गई। वहीं, महिला का 6 से 7 दिन इलाज चलने के बाद तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई। महिला की आंत में संक्रमण हो गया और हीमोग्लोबिन 9 से घटकर 6 तक पहुंच गया। यह आरोप महिला के परिजनों ने लगाए हैं। हालांकि लड़ा अस्पताल प्रबंधन ने महिला की जांच रिपोर्ट किसी अन्य लैब से करवाने की बात करते हुए किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतने की बात की है।
दरअसल, परतापुर निवासी 30 वर्षीय नीलम एक माह से गर्भवती है। 22 दिसंबर को ब्लीडिंग होने पर परिजन उन्हें लड्ढा अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टर के हीमोग्लोबिन चैक करने ब्लड सैंपल लिया। वहीं क्लीनिंग की सलाद दी। महिला के खून की जांच कराई तो ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव बताते हुए खून चढ़ाने की सलाह देते हुए 6 से 7 दिन की दवा लिखी। परिजन गर्भवती को घर ले आए, लेकिन पूरे सप्ताह महिला को ब्लीडिंग हुई। आंत में सूझन आने से उल्टियां होने लगी। इस पर 2 जनवरी को दोबारा अस्पताल ले गए, लेकिन तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर 10 जनवरी को परिजन गुजरात के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस ट को दिखाने पर लैब में ब्लड जांच कराई तो महिला का ब्लड ग्रुप बी-पॉजिटिव बताया। इस पर परिजन भी हैरान रह गए। परिजनों के आग्रह पर लैब में दोबारा सैंपल जांच कराई। इस पर भी ब्लड ग्रुप बी-पॉजिटिव ही पाया गया। बाद में महिला को 3 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया।

आंत में सूजन, महिला को भर्ती कराना पड़ा
गर्भवती के भाई हार्दिक का आरोप है कि लझ अस्पताल प्रबंधन की ओर से जांच में लापरवाही बरती गई। इस लापरवाही पर जब अस्पताल प्रबंधन को कॉल किया तो टालते रहे। बाद में 10 कॉल करने पर कॉल रिसीव तक नहीं किया। ऐसी लापरवाही से अगर गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ा दिया जाता तो मरीज की जान पर बन आती। विवाहिता की सास शांति देवी ने कहा कि वे यदि बह बहू को इलाज के लिए गुजरात लेकर नहीं जाते तो उसकी जान भी जा सकती थी। आंत में इंफेक्शन इतना फैल चुका है कि अब उसे कहां भर्ती करना पड़ा है।

हमारे यहां नीलम नाम की कोई पेशेंट नहीं आई
भारतीय ब्लड बैंक के संचालक गिरिराज कुमार का कहना है कि उनकी लैब में नीलम नाम की कोई पेशेंट आई ही नहीं है। जिस मरीज को ब्लड की जरूरत होती है, उनकी पहले उसी अस्पताल में ब्लड जांच होती है और डॉक्टर की सील लगी होती है। अगर मेरी लैब से जांच होती तो पेंशेंट की फाइल में हमारी लैब की रिपोर्ट जरूर होती।

अस्पताल व निजी लैब प्रबंधन के विरोधामासी बयान
लड्ढा अस्पताल के निदेशक डॉ. गोपाल लड् ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि यहां से ब्लड सैंपल भारतीय ट्स्ट की लैब में भेजी जाती है। अगर ऐसी गलती हुई है तो इसके लिए अस्पताल नहीं बल्कि लैब जिम्मेदार है। हालांकि पेशेंट को दी गई रिपोर्ट में ला अस्पताल की लैब का जिक्र है।

एक्सपर्ट व्यू डॉ. समीर खान, ब्लड बैंक प्रभारी - किडनी व लिवर तक  हो सकते हैं डैमेज
बी पॉजिटिव ग्रुप वाली महिला को ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने पर सबसे पहले उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होगी। किडनी और लिवर डैमेज तक हो सकता है। शरीर में संक्रमण होने से मल्टीपल ऑर्गन फैलियर तक की आशंका है।


FunFestival2024
शेयर करे

More news

Search
×