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जीजीटीयू के स्थापना सप्ताह का समापन, मातृभाषा के संरक्षण एवं अनुशीलन से विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा- महंत अच्युतानंद

Banswara
जीजीटीयू के स्थापना सप्ताह का समापन, मातृभाषा के संरक्षण एवं अनुशीलन से विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा- महंत अच्युतानंद
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गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा के साप्ताहिक स्थापना कार्यक्रमों का समापन समारोहपूर्वक हुआ। इस अवसर पर वागड़ प्रयाग बेणेश्वर के पीठाधीश्वर महंत श्री अच्युतानंद जी महाराज ने मातृभाषा वागड़ी के संरक्षण एवं सर्वधन के निरंतर प्रयास के आवश्यकता पर बल देते हुए बताया कि आज से चार सौ वर्ष पूर्व संत मावजी ने वागड़ी भाषा में चोपड़ों का लेखन किया जो आज प्रासंगिक है। महंत ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि आधुनिक समय में वैश्विक परिदृश्य में स्वयं को स्थापित करने के लिए अंग्रेजी का ज्ञान तो आवश्यक है किन्तु बालक के सर्वांगिण विकास हेतु मातृभाषा का अनुशीलन अत्यावश्यक है। समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक रमेश पण्ड्या ने शिक्षा और ज्ञान के अंतर को रेखांकित करते हुए बताया कि शिक्षा केवल तथ्यात्मक संकलन है परंतु ज्ञान व्यक्ति के चारित्रिक विकास की आधारशीला है उन्होनें बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कार्यक्रमों से विद्यार्थियों की नैसर्गिक प्रतिभा को प्रोत्साहन मिलता है। समारोह में कुलसचिव गोविंद सिंह देवड़ा ने साप्ताहिक आयोजन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आई वी त्रिवेदी ने उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों को सदैव सजग रहते हुए सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन हेतु अभिप्रेरित किया। प्रो. त्रिवेदी ने विश्वविद्यालय द्वारा की जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय सदैव इसी क्षेत्र की कला, संस्कृति के संरक्षण एवं कौशल विकास हेतु कार्य योजना के माध्यम से प्रयासरत है।  समारोह में उपस्थित अतिथियों का  शाब्दिक स्वागत डा लक्ष्मण परमार ने दिया। इस अवसर पर कोविड टीकाकरण में सहभागिता देने वाले डा मुनव्वर हुसैन, शल्ली जाँय, डा दीपिका रोत, डा कुलदीप पंचोरी, रमा पीजी, जंयति लाल, राम भारत, समीर भट्ट, भारती जोशी, बिना मईड़ा, अरूणा दिक्षित, जेसी इब्राहिम, शकुंतला; जनजातीय संग्राहलय हेतु संसाधन संग्रहण के लिए मालिनी काले, चंदा डामोर, खेमराज डेण्डोर, आशिष गणावा, मुशायरे के आयोजन हेतु सिराज नूर चिश्ती, आर्ट आफ लिविग के प्रशिक्षण हेतु नीतिन याग्निक, सांस्कृतिक प्रस्तृतियों के लिए यश जानी, यामिनी जोशी, कौस्तुभ नागर, मेघा आग्रवाल, रविना भोई, गींताश जोशी, ऋषि जानी, तिथि नागर, राहुल, सेहल जैन, दामिनी पंचाल, निकिता जैन, अंकेश्वरी कलाल, कुसुम शक्तावत आदि को सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन डॉ नरेन्द्र पानेरी ने किया। आभार डॉ.  अशोक काकोडिया ने किया।   कार्यक्रम में डॉ महीपाल सिंह  डॉ दिनेश रावत डॉ करूणा जेाशी  डॉ सरला  पंड्या  डॉ बीके शर्मा  डॉ गुलाबधर द्विवेदी  डॉ राजेश जेाशी, विशेष  पंड्या अभिषेक जैन आदि उपस्थित रहे । 


दो अगस्त से प्रारंभ होंगी स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा है

कुलपति प्रोफ़ेसर आई वी त्रिवेदी ने विद्यार्थियों की संबोधित करते हुए बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार आगामी 2 अगस्त से स्नातक कक्षाओं के अंतिम वर्ष की विश्वविद्यालयी  परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा जिसका समय विभाग चक्र शीघ्र ही जारी कर दिया जाएगा ।

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