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सैनिकों को एलएसी पर हथियार उठाने की इजाजत

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सैनिकों को एलएसी पर हथियार उठाने की इजाजत
@HelloBanswara - National -

भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं हुआ था। चीन के सैनिकों ने धोखे से भारतीय सैनिकों पर लाठियों, डंडों और पत्थरों से हमला किया जिसमें 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। लेकिन भारतीय सैनिक मरते-मरते शहीद हुए और उन्होंने कई चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ डाली। इसमें चीन के भी 40 से अधिक सैनिक हताहत हुए लेकिन उसने आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार नहीं किया है।

अब भारतीय सेना ने चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हथियार न ले जाने के नियमों में बदलाव किया है। सेना ने एलएसी पर तैनात फील्ड कमांडरों से कहा है कि वे असाधारण परिस्थितियों में हथियार यानी बंदूक का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों के मुताबिक सैनिक सीमा पर हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे।

लेकिन सेना के सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच हुए करार के नियमों को बदल दिया गया है। अब फील्ड कमांडरों को अधिकार दिया गया है कि वे असाधारण परिस्थितियों में सैनिकों को हथियारों के इसेतमाल का आदेश दे सकते हैं।

क्यों नहीं चलती है एलएसी पर गोली - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में कहा था कि मौके पर स्थिति से निपटने के लिए सेना को पूरी आजादी दी गई है। पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए चीनी सेना के साथ होने वाली कोर कमांडर की बैठक में भारतीय सेना इस मुद्दे को उठा सकती है। भारत और चीन के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौतों के मुताबिक दोनों पक्ष एक दूसरे पर गोली नहीं चलाते हैं। साथ ही दोनों देश एलएसी के दो किमी के दायरे में भी गोली नहीं चलाने पर सहमत थे।

इस घटना के बाद से भारत ने चीन के साथ लगी करीब 3,500 किमी की सीमा के पास अग्रिम मोर्चों पर तैनात थल सेना और वायु सेना को अलर्ट कर दिया है। वहीं, नौसेना को भी हिंद महासागर क्षेत्र में अलर्ट लेवल बढ़ाने को कहा गया है, जहां चीन की नौसेना लगातार दिखती रहती है। सूत्रों के मुताबिक अब से चीन से निपटने के नियम बिल्कुल अलग होंगे। इसी के तहत, अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों को खुली छूट दे दी गई है कि चीनी सैनिक के दुस्साहस का तुरंत मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

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