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जीजीटीयू में चल रहा है कृषि संकाय, स्टूडेंट्स की डिग्री को नहीं है केंद्र सरकार से‎ मान्यता, नौकरी, दूसरे राज्यों में दाखिले में आ रही समस्या

Banswara
जीजीटीयू में चल रहा है कृषि संकाय, स्टूडेंट्स की डिग्री को नहीं है केंद्र सरकार से‎ मान्यता, नौकरी, दूसरे राज्यों में दाखिले में आ रही समस्या
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जीजीटीयू में चल रहा है कृषि संकाय, स्टूडेंट्स की डिग्री को नहीं है केंद्र सरकार से‎ मान्यता, नौकरी, दूसरे राज्यों में दाखिले में आ रही समस्या

कृषि संकाय अब एमपीयूएटी में शामिल‎ होगा, आठ करोड़ रुपए से अलग कॉलेज‎
बांसवाड़ा‎ राज्य सरकार का बजट अाज पेश होगा।‎ जिले को इस बजट में कृषि संकाय के‎ स्टूडेंट्स के लिए बड़ी सौगात मिलनी‎ तय है। गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय‎ बांसवाड़ा में चल रहे कृषि संकाय को‎ अब अलग से कृषि महाविद्यालय का‎ दर्जा देकर महाराणा प्रताप कृषि एवं‎ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में‎ शामिल किया जाएगा। इसके लिए‎ सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से‎ करीब 8 करोड़ रुपए का बजट देने की‎ भी घाेषणा होगी। इसके बाद कॉलेज को‎ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद‎ (आईसीएआर) से मान्यता मिलेगा।‎ कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर बनने तक कृषि‎ संकाय के स्टूडेंट्स संभागीय अनुसंधान‎ केंद्र बोरवट में पढ़ाई करेंगे। यह पूरी‎ प्रक्रिया कृषि संकाय के स्टूडेंट्स के लिए‎ नए बैंच (अगस्त-सितंबर-2022) से‎ शुरू होगी। 9 फरवरी को उच्च शिक्षा‎ विभाग से संयुक्त सचिव प्रहलाद मीणा‎ के अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें राज्य‎ के पांचों कृषि विश्वविद्यालयों के‎ कुलपति शामिल हुए थे। जिनसे सुझाव‎ लिए हैं।‎

सवाईमाधोपुर, चिमनपुरा, उनियारा कॉलेज पर भी फैसला संभव‎
1. सवाई माधोपुर कृषि संकाय को कृषि‎ विश्वविद्यालय कोटा में शामिल किया जाएगा।‎ जब तक अलग से कॉलेज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर‎ तैयार नहीं होगा तब तक कोटा विश्वविद्यालय‎ की ओर से सवाई माधोपुर में स्थित कार्यालय‎ उपनिदेशक उद्यान फूल उत्कृष्टता केंद्र में कृषि‎ संकाय के स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई करेंगे।‎

2. चिमनपुरा (जयपुर)‎ कॉलेज में भी संकाय चल रहा‎ है, जिसको इस बजट में जोबनेर‎ यूनिवर्सिटी में शामिल किया‎ जाएगा। इसके पास बिल्डिंग हैं,‎ लेकिन ना स्टॉफ है, ना‎ आईसीआर से मान्यता है।‎

3. राजकीय महाविद्यालय उनियारा(टोंक) में‎ भी संकाय चल रहा है। यहां बिल्डिंग भी है,‎ लैब भी, लेकिन मान्यता और स्टॉफ नहीं हैं।‎ जिसको भी जोबनेर में शामिल किया जा‎ सकता है। हालांकि बैठक में जोबनेर के‎ कुलपति ने इस कॉलेज को शामिल करने पर‎ आपत्ति उठाई है।‎

फीस कम कर दी,‎ अब अलग कॉलेज‎ की उम्मीद है‎
 गोविंद गुरु राजकीय महाविद्यालय में 2017 में कृषि संकाय शुरू हुआ था। इसके बाद से ही राजस्थान कृषि‎ छात्र कल्याण संघ की ओर से अलग कॉलेज खोलने की मांग कर रहे हैं। अब बजट तक का आश्वासन दिया‎ है। जेट फीस की मांग मान ली गई है जो कम कर दी है। अब अलग कॉलेज खोलने की उम्मीद है। ताकि कृषि‎ कॉलेजों को आईसीएआर से मान्यता मिले। -महेंद्र ऑचरा, प्रदेश चेयरमैन, राजस्थान कृषि छात्र कल्याण संघ

डिग्री को आईसीएआर से मान्यता मिलेगी‎

बांसवाड़ा सहित अन्य जगहों पर कृषि संकाय के स्टूडेंट्स के‎ लिए अलग से कॉलेज मिलने से कई तरह की सुविधाएं मिल‎ जाएगा। बड़ी समस्या जो डिग्री को आईसीएआर से मान्यता नहीं‎ होने से आगे नौकरी, दूसरे राज्यों में एडमिशन लेने जैसे समस्या‎ नहीं आएगी। साथ ही केंद्र से मिलने वाला बजट भी कॉलेजों को‎ मिलने लगेगा। स्टॉफ की समस्या खत्म हो जाएगा। हॉस्टल की‎ सुविधा मिलेगी। यूनिवर्सिटी में वाले नियम लागू होंगे । स्टूडेंट्स‎ को रिसर्च करने के लिए फिल्ड मिलेगा। साथ ही प्लेसमेंट‎ कंपनियां भी आएगी, यहां के स्टूडेंट्स को नौकरी मिल सके।‎


 बैठक हुई थी, जिसमें चारों कॉलेज की समस्या के समाधान को‎ लेकर चर्चा की गई। सभी से राय ली है। इन कॉलेज की समस्या‎ का समाधान किया जाएगा। हमने प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं। अब‎ आगे फैसला मुख्यमंत्री लेवल पर होना है। -प्रहलाद मीणा,‎ संयुक्त सचिव, उच्च शिक्षा विभाग‎ 

 मैंने कहा है कि अगले सेशन से हम अपनी यूनिवर्सिटी में इस‎ कॉलेज को शामिल कर सकते हैं। इसके लिए बजट भी चाहिए‎ होगा। साथ ही मान्यता के लिए भी बताया है कि 25 डिपार्टमेंट, 45‎ तक का स्टाफ, हॉस्टल, लैब होने पर ही आईसीआर से मान्यता‎ मिल सकती है । इसे लेकर सुझाव दिए हैं। -एन एस राठौड़,‎ कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी‎ विश्वविद्यालय(एमपीयू एटी),उदयपुर‎

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