टीएसपी क्षेत्र के लिए पांच साल बाद भी नहीं किया अलग से कैडर का गठन

रोडवेज भर्ती में इसी टीएसपी और नाॅन टीएसपी के आधार पर भर्ती निकाल रही है। रोडवेज निगम में भले ही 2013 की भर्ती टीएसपी और नॉन टीएसपी के नियमों के मुताबिक हुई, लेकिन उसके बाद कैडर तक नहीं बनाया। भास्कर ने टीएसपी में आने वाले बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, आबूरोड, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ में भास्कर ने कर्मचारियों की पड़ताल कर उसके डाटा तैयार किए। जिससे कई कर्मचारी तो प्रमोशन का लाभ नहीं ले सके ओर सेवानिवृत्त हो गए। अब कई कर्मचारी सेवानिवृत्त होने वाले हैं। रोडवेज के उच्चाधिकारियों नियमों की पालन ही नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते टीएसपी के कर्मचारियों की पदाेन्नति, स्थानांतरण अाैर अन्य परिलाभ नहीं मिल रहा है। इसके कारण रोडवेज के कर्मचारी पिछले 5 साल से संघर्ष कर रहे है। टीएसपी क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति, जनजाति और अन्य वर्ग के कर्मचारी पिछले 5 साल से टीएडी मंत्री, रोडवेज के सीएमडी, परिवहन मंत्री के पास अपनी समस्या काे बता चुके है। राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से हर साल रोडवेज के अधिकारियों को पत्र लिखकर टीएसपी और नॉन टीएसपी की अलग अलग सूचियां बनाने के लिए निर्देश देती है, बाकी विभाग इसकी सूची तैयार करते हैं, लेकिन रोडवेज के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वहीं राेडवेज में टीएसपी कैडर बनने के बाद स्थानीय कर्मचारियों काे वरिष्ठता का लाभ मिलेंगा। जिससे उच्चाधिकारियों के रिक्त पद पर स्थानीय कर्मचारियों काे लाभ मिलेंगा। इससे रिक्त पद पर जल्द पदोन्नति से नियुक्ति मिलेंगी। इसके कारण नीचे के पद खाली हाेने से बेरोजगार युवाओं काे माैका मिलेंगा। वहीं नियमों के मुताबिक टीएसपी क्षेत्र के कर्मचारियों की अन्य जगहों पर स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है।
टीएसपी का नियम लागू होता तो हो जाता फायदा राधेश्याम शर्मा बांसवाड़ा बस डिपो से 31 दिसंबर 2018 को प्रशासनिक अधिकारी की पोस्ट से सेवानिवृत्त हुए। अगर टीएसपी का अलग से कैडर बन जाता, अन्य विभागों की तरह यहां भी नियम लागू हो जाता तो राधेश्याम उच्च पद से रिटायरमेंट होते हैं। उनकी सैलरी, भत्ते और अन्य सुविधाओं में फायदा मिलता। लेकिन रोडवेज निगम में अधिनियम लागू नहीं करने से उनको नुकसान उठाना पड़ा है। -राधेश््याम शर्मा, सेवानिवृत्, रोडवेज कर्मचारी
वरिष्ठता हाेने से पहले उच्च पद पर जाने का माैका निकला
टीएसपी क्षेत्र के करीब 1 हजार कर्मचारी में से करीब 150 कर्मचारी पिछले पांच साल में सेवानिवृत हाे गए। उनकी वरिष्ठता लिस्ट राज्य स्तरीय निकलने के कारण उन्हें पदोन्नति का माैका ही नहीं मिला। जिसके कारण उन्हें पुराने पदाें से सेवानिवृत हाे गए। वहीं राज्य स्तरीय पदोन्नति सूची में नाॅन टीएसपी के कर्मचारियों अाैर अधिकारियों काे पदोन्नति का लाभ देकर इस क्षेत्र में नियुक्ति दे दी। जिसके असली हकदार स्थानीय कर्मचारियों काे मिल सकता था। वहीं अभी भी कई कर्मचारी पिछले तीन से चार साल में सेवानिवृत हाेने वाले है। उन्हें वरिष्ठता के अाधार पर पदोन्नति का इंतजार है।
विशाल पंड्या फिलहाल प्रतापगढ़ बस डिपो पर नौकरी कर रहे हैं। उससे पहले डूंगरपुर में अपनी सेवाएं दे रहे थे। लेकिन निगम की ओर से उनका डूंगरपुर से कोटा के लिए अगस्त 2020 में तबादला कर दिया। लेकिन टीएसपी अधिनियम के मुताबिक यहां के कोई कर्मचारी का तबादला नॉन टीएसपी में नहीं किया जा सकता है। जिसको लेकर विशाल पंड्या हाईकोर्ट पहुंच गए। जिसके बाद कोर्ट ने निगम से इसका जवाब मांगा। जिसके बाद निगम ने उनका तबादला प्रतापगढ़ के लिए कर दिया। -विशाल पंड्या, परिचालक, रोडवेज, डूंगरपुर
वैसे तो प्रमोशन हो रहे हैं। लेकिन कैडर को लेकर टेक्निकल कोई समस्या आ रही है, जिसको लेकर हमने उच्च अधिकारियों से इसको लेकर मार्गदर्शन मांगा हैं। काफी समय से कोरोना के चलते इस पर ध्यान नहीं दे पाए। मार्गदर्शन मिलने से साथ ही लागू कर दिया जाएगा। - जगदीश प्रसाद बुनकर, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन)