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धावड़ा को धौरा, धव, धावडो, धमोडा आदि नामों से जाना जाता है।
एक है प्रजातियों छोटे से मध्यम आकार के पेड़ के मूल निवासी भारत, नेपाल, म्यांमार, तथा श्रीलंका. इसके सामान्य नाम एक्सलवुड (अंग्रेजी) हैं, बाकली, बाझी, ढू, ढावा, धवरा, या dhaora (हिंदी), takhian-nu (थाई), तथा raam (वियतनामी).
यह भारत के सबसे उपयोगी पेड़ों में से एक है. इसकी पत्तियों में बड़ी मात्रा में होता है gallotannins,[1] और भारत में टैनिंग और जलाऊ लकड़ी के लिए उपयोग किया जाता है.[2] पेड़ भारतीय गम का स्रोत है, जिसे घाट गम के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उपयोग किया जाता है कैलिको अन्य उपयोगों के बीच मुद्रण. पत्तियों को भी खिलाया जाता है एंथेरिया पफिया पतंगा जो तसर रेशम का उत्पादन करता है (तुषाह), का एक रूप जंगली रेशम व्यावसायिक महत्व का.[3]
इसकी लकड़ी काफी मजबूत ओर लचकदार होती हैं...जिससे कृषि के कईं औजारों का निर्माण होता आया हैं,बैलगाड़ी के धोरा बनाने में इसका उपयोग होता था!
धावड़ा वृक्ष की पहचान धावड़ा के गोंद से बनी हैं, इसका गोंद बहुत ही गुणकारी ओषधि है।
इसके पेड़ के तने से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कड़ा हो जाता है उसे गोंद कहते हैं। यह शीतल और पौष्टिक होता है। उसमें उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते हैं। आयुर्वेदिक दवाईयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पाउडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है।
सर्दियों में इसे खाने से पुरानी खांसी, जुकाम, फ्लू और इंफेक्शन जैसी समस्याएं नहीं होती। रोजाना गोंद को भून कर खाने से शरीर अंदर से गर्म रहता है, जो आपको कई बीमारियों से दूर रखता है।
गाँवो में अधिकांशतः प्रसूता को इसके गोंद के लड्डू खिलाये जाते है,ताकि उसकी कमजोरी को दूर किया जा सके...धावड़ा गोंद पाक का उपयोग कमजोरी दूर करने के लिए होता है....यह महिला और पुरुष दोनों के लिए ही लाभप्रद है, पुरुष को विभिन्न कारणों से आने वाली कमजोरी इसके सेवन से दूर हो जाती है... इससे व्यक्ति में ओज व आयु वृद्धी होती है।
इसके सेवन से अस्थियां मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है। सुबह-सुबह गोंद के एक-दो लड्डू खाकर दूध पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.. साथ ही ढंड भी कम महसूस होती है।
तो गोंद वाले वृक्ष अति लाभकारी होती हैं.. कहीं भी आस पास जगह हो तो अवश्य लगाएं और स्वास्थ्य लाभ के साथ साथ प्रकृति संरक्षक भी बनें।
in English https://en.wikipedia.org/wiki/Anogeissus_latifolia