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सिंहस्थ के कोलाहल में शांति

सिंहस्थ के कोलाहल में शांति
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सिंहस्थ के कोलाहल में शांति Sinhsth cacophony of peace

शांति की तलाश में सभी लोग रहते हैं उन्हें लगता है कि शांति वहां मिलेगी जब आप थोड़े अकेले हो जाएंगे या जब सफल हो जाएंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं है. एक प्रयोग और करिएगा शोर में भी शांति तलाशी जा सकती है उज्जैन के सिंहस्थ मेले में आप ऐसा कर सकते हैं खूब शोर-शराबा है, लेकिन एक जगह आप शांति प्राप्त कर सकते हैं यह अवसर चूक न जाएं. सिंहस्थ में आने वाला शिप्रा-स्नान अवश्य करता है डुबकी लगाकर तुरंत चल न दें मौका मिले तो घाट की किसी सीढ़ी पर बैठ जाएं और नदी की जलधारा को देखें और अंतरमन से उस बहाव को जोड़ें आपको लगेगा जैसे आपका मन बह रहा है और आप देख रहे हैं. योगियों ने कहा है कि दूर हटकर मन को देखने से उसे काबू किया जा सकता है.
विचारों का प्रवाह लेकर मन दौड़ रहा है. 

आप दूर खड़े उसे देख रहे हैं आप शांत होने लगेंगे ऐसा अवसर आने पर तुरंत मन से दूर खड़े होने का आपको अभ्यास हो जाएगा अन्यथा मन आपको घसीटकर अशांति में ले जाता है मेले में खूब घूमें, लेकिन साधु-संतों के पंडालों में जितना जाएंगे कहीं न कहीं आप उनके वैभव में उलझ जाएंगे. यहां कई निगाहें ऐसी भी हैं जो आपको देख रही होंगी और आपको दिखा भी देंगी, जो आपने जीवनभर नहीं देखा होगा. यही मेले का संतत्व है इसलिए एक भाग हुआ कि आप साधुओं से मिल लें और दूसरा भाग हुआ स्नान. साधुओं से जीवनशैली का परिचय होता है, लेकिन स्नान करने से आपका परिचय स्वयं से हो सकता है और आप अपने मन को नियंत्रित करने की कला सीख सकते हैं, क्योंकि मन को जान-पहचान से लेना-देना नहीं है। वह अनजानी राह और चाह पर तुरंत निकल पड़ता है उसे जाता हुआ देखना ही शांति प्राप्त करना है. 

पं. विजयशंकर मेहता By Bhaskar

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