जीवन में सिर्फ एक बार ही खिलते हैं बांस के फूल
सतरंगी प्रकृति बहुत ही अजब और अनोखी भी है और इसके कई तथ्य अजब-अनोखे और अल्पज्ञात भी हैं। एक ऐसा ही तथ्य है बांस के पुष्पित होने से संबंधित। आमतौर पर पेड़-पौधों के पुष्पित होने का अर्थ उसके यौवनकाल का आना माना जाता है परंतु बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि बांस एक ऐसा पेड़ है जिसके पुष्पित होने का मतलब उसके अंतिम समय के आने का संकेत है। बांसवाड़ा में भी इन दिनों कई स्थानों पर बांस के पेड़ों पर फूल लगे हुए दिखाई दिए हैं। ठीकरिया-नवागांव मार्ग पर हांगरीपाड़ा गांव में एक ऐसे ही पेड़ को पर्यावरणप्रेमी भंवरलाल गर्ग ने क्लिक किया है।
पर्यावरणीय विषयों के जानकार कमलेश शर्मा बताते हैं कि वनस्पति जगत की पहेली के रूप में यह चमत्कारिक तथ्य है कि बांस में जब फूल आता है तो यह मर जाता है और अधिकांश मामलों में ऐसा ही होता है। उन्होंने बताया कि बांस की विभिन्न प्रजातियों का जीवनकाल तीन वर्ष से लेकर 120 वर्ष तक है और शोध में प्राप्त हुआ है कि बांस की विभिन्न प्रजातियों में उसके पुष्पित होने का अलग-अलग समय है और यह समय 40 से 90 वर्ष है। एक क्षेत्र की प्रत्येक प्रजाति के लगभग सभी पौधे फूल देते हैं और इस प्रकार काफी संख्या में बीज देकर खुद मर जाते हैं। बाद में इन बीजों से नए पौधे अंकुरित होते हैं।
अकाल का संकेत है बांस का पुष्पित होना:
ग्रामीण क्षेत्रों में बांस के पुष्पित होने से अकाल को भी जोड़ा जाता है। वैज्ञानिक तर्क है कि जब बांस मे फूल लगते हैं,तो वहां आसपास काफी ज्यादा संख्या मे चूहे उत्पन्न हो जाते हैं। तथा बांस का फल खाने के साथ उनकी प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है,और इनकी संख्या मे कई गुना इजाफा हो जाता है। यहीं चूहे खेतों व घरों में फसलों व अनाज को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इसी तरह चूहों से तरह-तरह की संक्रामक बीमारियांे से भी अकाल हालात उत्पन्न होते हैं।