पत्नी नर्स, पति डाॅक्टर, दाे साल के बच्चे काे संभाल रहे नाना
काेराेना महामारी की इस जंग में चिकित्सा विभाग के कर्मिकों अाैर पुलिसकर्मियों की अहम भूमिका है। जिसे वे बखूबी निभा भी रहे हैं। कई डॉक्टर अाैर नर्सिंगकर्मी एेसे हैं जाे लंबे समय से अपने घर नहीं गए। परिजनों से नहीं मिले। एेसे ही हाल है बांसवाड़ा के एडिशनल सीएमएचओ डाॅ. हरीश कटारा के। उनकी पत्नी रेखा भी सेकंड ग्रेड नर्स हैं। जाे हाल में सिरोही में नियुक्त हैं। ये लॉकडाउन से पहले हाेली पर एक दूसरे काे मिले थे। इसके बाद से काेराेना के खिलाफ जंग में लग गए।
डाॅ. हरीश ने बताया कि वे डेढ़ माह से अपने परिवार से नहीं मिले अाैर न ही घर गए हैं। ड्यूटी के दाैरान एक भी अाॅफ नहीं लिया। यहां तक कि जन्मदिन भी नहीं मनाया। उनका एक दाे साल का जियांश कटारा बच्चा है। जिसे वह अपने नाना के पास डूंगरपुर के हिराता रह रहा है। जिससे वह वीडियो काॅल के जरिए ही बात कर रहे हैं। डाॅ. हरीश ने बताया कि काेराेना के खिलाफ इस जंग में उनकी जिम्मेदारी सभी डॉक्टरों काे जरूरी सामान पहुंचाना था। ताकि वह समय पर सर्वे अाैर सैंपलिंग कर सकें। सीमित सामान अाैर संसाधन हाेने के बावजूद जरूरी स्थानों तक चिकित्सा संसाधन पहुंचाए। सबसे ज्यादा कुशलगढ़ में जरूरत थी ताे वहां पर सबसे ज्यादा खपत हुई। डाॅ. हरीश ने बताया कि उनकी भूमिका पर्दे के पीछे की थी, लेकिन काफी महत्वपूर्ण थी।
स्थानीय हाेने के बावजूद वे घर नहीं गए। क्योंकि काेराेना काे राेकना पहले जरूरी था। उन्होंने बताया कि वह कुशलगढ़ में कोरोना केस मिलने के बाद वहां तैनात थे, अभी शहर में स्थित जिला वाॅर रूम में रहकर जिले की लॉजिस्टिक मैनेजमेंट और क्वॉरेंटाइन सेंटर में चिकित्सा व्यवस्था एवं रैपिड रिस्पांस टीम में रहकर काम कर रहे हैं।