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इतना क्यों चमक रहा है सोना

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इतना क्यों चमक रहा है सोना
@HelloBanswara - National -

कोरोना वायरस के इस संक्रमण काल में सोना इतना चमक रहा है कि उसके आगे सभी की चमक धूमिल हो गई है। इस समय जब सारी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं ढह रही हैं और बेरोजगारी चरम पर है, तब सोने की चमक हैरान कर रही है। इसकी कीमतों में बढ़ोतरी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल यह 25 प्रतिशत बढ़ा और इस साल के पहले छह महीनों में सोना लगभग 17 प्रतिशत बढ़ गया, जो अभूतपूर्व है। भारत में यह 50,000 रुपये प्रति दस ग्राम के जादुई आंकड़े को पार कर गया। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में यह 1,800 डॉलर प्रति औंस से भी ऊपर चला गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

 

सोना युद्ध काल में सबसे ज्यादा भरोसेमंद रहा है और उसने निवेशकों को उनके निवेश का सही या कहीं ज्यादा मूल्य भी दिलाया है। अगर हम दुनिया भर में पिछली सदी और इस सदी में हुए युद्धों के दौरान सोने की चाल को देखेंगे, तो यह पाएंगे कि यह निवेशकों का भरोसा जीतने में कामयाब रहा। आंकड़े बताते हैं कि जब 1979 में तीन-तीन युद्ध हुए, तो उस साल सोना 120 प्रतिशत तक उछल गया था। हालांकि बाद में यह कमोबेश अपने पुराने स्तर पर आ गया था। हाल का उदाहरण लें, जब 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था, तो सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। इसके बाद पिछले वर्षों में ईरान से अमेरिका का तनाव और फिर चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध, इन सभी ने सोने की चमक बढ़ा दी।

विश्व व्यापार जब भी बाधित होता है, तो सोने की चमक बढ़ जाती है। वह ऐसा समय भी होता है, जब दुनिया के बड़े-बड़े सट्टेबाज सोने-चांदी जैसे बहुमूल्य धातुओं पर अरबों डॉलर लगाते हैं। आज का समय कोई अपवाद नहीं है और अरबों-खरबों के सट्टे की खबरें आ रही हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ यही कारण है कि सोना चमक रहा है। इसके कई और बड़े कारण भी हैं, आइए उन पर एक नजर डालते हैं: पहला, अमेरिका सहित कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें शून्य से माइनस तक हो गई हैं। जमाकर्ताओं की रुचि अब बैंकों में नहीं रही और इसलिए वहां के निवेशक सोना खरीद रहे हैं, ताकि सही रिटर्न मिल सके। भारत में भी अब एफडी पर ब्याज दरें छह प्रतिशत तक जा पहुंची हैं, जो किसी समय 11 प्रतिशत तक थीं। निवेशकों को पैसा लगाने के लिए सोना एक आकर्षक विकल्प के रूप में दिख रहा है। सच यह भी है कि सोने ने अपने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया है।  

दूसरा, संकट काल में सोने ने हमेशा चमक दिखाई है। उसकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही है कि उसके साथ निवेश के अन्य माध्यमों की तरह कोई जोखिम नहीं है। उसकी कीमतें संकट काल में बढ़ती ही हैं। यह जोखिम विहीन निवेश है, जिसने खरीदारों को हमेशा हौसला और समर्थन दिया है। चाहे युद्ध हो या प्राकृतिक आपदा, सोना हमेशा ही मनुष्य के काम आया है। इसकी ऊंची कीमत और छोटा आकार इसे ऐसे वक्त के लिए सबसे उपयुक्त बना देती है। तीसरा, आर्थिक मंदी का डर लोगों में समा गया है। सारी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं और कोरोना संक्रमण के कम हो जाने के बाद भी उन्हें खड़े होने में वर्षों लगेंगे। यानी मंदी का एक लंबा दौर। ऐसे में अपने पैसे का रिटर्न कहां से लाएंगे लोग? माध्यम और साधन कम हैं।

 

अनिश्चितता के इस दौर में सोना सबसे अच्छा विकल्प जान पड़ता है। यह जरूरत पड़ने पर तुरंत बिक सकता है और दुनिया के किसी भी देश में बेचा जा सकता है। यह सही मायनों में संकट मोचक है। चौथा और आखिरी बड़ा कारण यह है कि दुनिया के तमाम सेंट्रल बैंक सोना खरीदते रहते हैं, ताकि अपनी अर्थव्यवस्था को एक ठोस आधार प्रदान कर सकें। दुनिया के हर बड़े देश के सेंट्रल बैकों के खजाने में टनों सोना इसलिए ही जमा है। यह किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होता है। यह एक तरह से विदेशी मुद्रा का पैमाना है। जरूरत पड़ने पर इसे बेचा या गिरवी रखा जाता है, जैसा भारत ने 1990 में किया था।

 

हम भारतीयों का तो सोने से प्रेम कुछ ज्यादा ही है। हजारों वर्षों से हम भारतीय सोने के दीवाने रहे हैं। मध्य काल तक यहां सोने की कई बड़ी-बड़ी खदानें भी थीं। हमारी परंपराएं भी ऐसी हैं कि सोना खरीदना मजबूरी भी है। अक्षय तृतीया, धन तेरस जैसे पर्व पर हमारे यहां सोना खरीदने का चलन तो है, हम बेटियों के ब्याह में भी सोना खरीदते ही हैं। महिलाएं अपनी सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए स्वर्णाभूषण खरीदती ही हैं। यानी सोना खरीदने की पूरी वजहें हैं। इतना ही नहीं भविष्य में आने वाले बुरे वक्त के लिए भी सोना खरीदना अच्छा माना जाता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना आयातक देश बना हुआ है। कई वर्षों तक वह दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश रहा लेकिन अब चीन उससे आगे निकल गया है।

 

अब सोने के दाम घरेलू बाजार में इतने बढ़ गए हैं कि खरीदारी पर भारी असर पड़ा है और सर्राफा बाजार सूने हो गए हैं। भारत में सोने पर साढ़े तेरह प्रतिशत का टैक्स होने से दुनिया के अन्य देशों से यहां सोना और उसके गहने कहीं ज्यादा महंगे हो गए हैं। स्वर्णकार नया माल खरीदने से परहेज कर रहे हैं और पुराने से ही काम चला रहे हैं। इस समय आम लोगों ने वैसे ही अपने हाथ रोक दिए हैं और खर्च में कटौती कर रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा असर सोने पर पड़ा है। इसके अलावा इसके बड़े पैमाने पर तस्करी का रास्ता भी खुल गया है। देसी और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इतना फर्क है कि तस्करी करने वालों के लिए यह कमाई का बड़ा जरिया बन गया है।

 

सोने की कीमतें और बढ़ेंगी क्या? सौ टके का यह सवाल विशेषज्ञों के मन को मथ रहा है। फिलहाल तो जवाब सीधा-सा है कि जब तक कोरोना वायरस की प्रभावी दवाएं न निकलें या प्रमाणित वैक्सीन प्रयोग में न आए, तब तक सोना नीचे नहीं जाएगा, बेशक और ज्यादा ऊपर न जाए। अभी तो अनिश्चितता के इस दौर में हम इसकी चमक से चकाचौंध होते ही रहेंगे।

 

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