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बेकाबू डंपर ने रोंद दिए परिवार:अब न रोजगार रहा, न परिवार, भगतपुरा में एक ही परिवार के 5, गराड़खोरा के 4 की मौत

Banswara
बेकाबू डंपर ने रोंद दिए परिवार:अब न रोजगार रहा, न परिवार, भगतपुरा में एक ही परिवार के 5, गराड़खोरा के 4 की मौत
@HelloBanswara - Banswara -
  • खेरदा और मस्का के 2-2 लोगों की मौत
  • 71% लोग दिहाड़ी के लिए एमपी-गुजरात पर निर्भर, माही की नगरी में 8 माह पीने के पानी का भी संकट
  • मजदूरी के लिए 20 दिन पहले पत्नी, बेटी, दो बहनों के साथ गया मुकेश, अब कोई नहीं बचा

 

सूरत में सड़क हादसे में कुशलगढ़ क्षेत्र के 13 मजदूरों की मौत हो गई। भगतपुरा में एक ही परिवार के 5 लाेग, गराड़खाेरा में 4, खेरदा और मस्का गांव में 2-2 लाेगाें की माैत से कुशलगढ़ सोमवार को शोक में डूब गया। ये सब लोग दिहाड़ी मजदूरी के लिए सूरत गए थे। अब न रोजगार बचा है, न परिवार।

भास्कर टीम कुशलगढ़ पहुंची और मृतकों का दर्द जाना। यहां लोगों के पास छोटे-छोटे खेत हैं, लेकिन पानी और रोजगार नहीं होने से साल के आठ महीने दूसरे शहरों में पलायन करना पड़ता है। सिर्फ बारिश के दिनों में ये लोग खेती करने के लिए लौटते हैं। पलायन का ऐसा मंजर है कि गांव-गांव खाली हो जाते हैं। घरों पर सिर्फ ताले लटके मिलते हैं। मुकेश भी 20 दिन पहले पत्नी, बेटी और दो बहनों के साथ गया था, हादसे ने सभी की जान ले ली।

कुशलगढ़ क्षेत्र में पलायन का आंकड़ा 71 फीसदी है। दिल दहला देने वाले हादसे की खबर मिलते ही जितनी बड़ी पीड़ा थी उतना ही मुश्किल था इन पीड़िताें के घर तक पहुंचना। क्याेंकि, सड़क ताे दूर कच्चा रास्ता भी ठीक से नहीं था। हालांकि यहां मदद का जबरदस्त अपनापन भी दिखा।

पड़ाेसी मृतकाें के परिजनाें के लिए भाेजन बनाकर ले जा रहे थे ताे शवाें के पहुंचने से पहले उनकी चिता के लिए ग्रामीण लकड़ियां काटकर बंदाेबस्त करने में जुट गए थे। सरपंच धारु भाई ने बताया कि हादसे में पिंका मईड़ा, नंदू 21, कमलेश 21, मनीष 23, मुन्ना , सुदामा पुत्र रावजी यादव घायल हुए हैं। देररात 11 बजे दो बसों में भरकर शव गांव पहुंचे।

 

भास्कर के तीन रिपोर्टर, दो फोटो जर्नलिस्ट, शोक में डूबे चार गांवों से लाइव रिपोर्ट

भगतपुरा... एक दिन पहले काम मिला, रात काे मामा ने खबर दी, सभी की माैत हाे गई
भगतपुरा में बुज़ुर्ग मीठा अपनी पोती को जमीन पर सुलाकर खुद सुबक सुबह कर राे रही थी। मीठा ने हादसे में अपने बेटे मुकेश, बहु लीला 6 साल की पोती तेजल और दो बेटियों मनीषा और वनीता को खो दिया था। हादसे से अनजान तीन साल की मासूम आनंदी को पता नहीं था कि अब जब वह उठेगी तो फिर दोबारा कभी अपने माता-पिता को नहीं देख पाएगी। भरेपूरे घर में अब केवल बुजुर्ग मीठा, पति केला, छोटा बेटा मनीष और तीन साल की पोती ही रह गए है। पिता केला शवों को लेने के लिए सूरत निकल गाया था।

छोटे भाई मनीष ने बताया कि छाेटे भाई मनीष ने बताया कि 20 दिन पहले ही भाई और परिवार के बाकि सदस्य सूरज गए थे। शाम 7 बजे ही भाई ने कॉल किया था। मां से कहा था कि काम मिल गया है। रुपए भी भेजेगा। रात को टांडा वडला से बड़े मामा भैरू भाई ने कॉल करके बताया कि भाई, भाभी और दोनों बहनों की मौत की सड़क हादसे में माैत हाे चुकी है। इसके बाद से रातभर मां राेती रही। अलसुबह रिश्तेदारों के साथ पिताजी सूरत शव लेने के लिए रवाना हाे गए।

खेरदा... इकलाैते बेटे काे खाे दिया, अब दाे साल की पाेती का जिम्मा बूढ़ी दादी पर
यहां विकेश और पत्नी राजिला की मौत हुई थी। घर के बाहर सन्नाटा था। बीच- बीच में रुदन और चीखें यहां किसी अनहोनी को बता रहा था। यहां दादी-पोती को गोद में लेकर बैठी थी। इकलौते बेटे को खो चुकी मां का रो-रोकर बुरा हाल था। विकेश और बहु दोनों दो दिन पहले सूरत गए थे।

विकेश चार महीने की बेटी प्रियंका को साथ ले गया था जबकि 2 साल की बेटी किरण को घर ही छोड़ गया था। आहत पिता ने बताया की गुजरात मे मजदूरी ज्यादा मिलने से बेटे को भेजा था। हमें क्या पता था कि अब बेटा और बहु कभी लौटकर नहीं आएंगे। यहां मृतक विकेश का घर अाबादी बस्ती से काफी दूर था। पक्का रास्ता नहीं हाेने से वाहन से वहां तक जाना मुश्किल था, इसलिए वहां तक पहुंचने के लिए एक किमी पैदल ही चलना पड़ता है।

मस्का... भाई-बहन की मौत, 20 दिन पहले ही हुआ था बेटा, छुट्‌टी नहीं मिली तो अपने बेटे का चेहरा भी नहीं देखा

सूरत में हादसे में सज्जनगढ़ के मस्का गांव के पणदा मोहल्ला निवासी भाई-बहन की मौत हो गई। मृतक 30 वर्षीय नरेश पणदा पिता जालु पणदा एक माह पहले मजदूरी के लिए गया था। वहीं 18 वर्षीय बहन चम्पा पणदा पिता जालु पणदा 15 दिन पहले ही मजदूरी के लिए गई थी। नरेश पणदा जालु का इकलौता बेटा था।

गुजरात में मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पौषण करता था। वहीं चम्पा 8वीं कक्षा में पढ़ती थी। कोरोना महामारी के कारण विद्यालय बंद होने के कारण भाई का हाथ बंटाने के लिए रोजगार के लिए गई थी। दोनों के मरने के बाद परिवार का पालन पौषण करने वाला कोई नही है।

नरेश अपने मात-पिता, पत्नी दुद, डेढ़ साल की बेटी और 20 दिन के बेटे को छोड़ गया। नरेश अपने बेटे का मुंह भी नही देख सका। हादसे में दिलीप पिता हकरा निवासी गराड़ खोरा संगीता पत्नी दिलीप निवासी गराड़ खोरा कुशलगढ़ की भी मौत हो गई। मृतक संगीता अपनी दो साल की पुत्री को अपनी मां के पास मस्का छोड़कर रोजगार के लिए गई थी। लेकिन उस नन्ही बालिका को नहीं मालूम की अब उसके मम्मी-पापा उसको लेने वापस नहीं आएंगे।

गराड़खाेरा: 5 घंटे पहले फोन पर कहा, पैसे भेज रहा हूं, बेटी का इलाज करा देना
जंगल में बसे इस गांव से एक साथ पांच लोगों की मौत हुई। सभी रिश्तेदार थे। यहां से दिलीप और उसकी पत्नी संगीता दोनों मज़दूरी के लिए सूरत गए थे। घर पर मां कमला और भाई बापूलाल रहते थे। वहीं दिलीप की डेढ़ साल की बेटी अपने मामा के घर थी। आहत मां से जब संवाददाता ने बात की ताे बताया कि सोमवार को शाम को ही दिलीप ने फोन कर मेरा हालचाल पूछा था।

उसने कहा था कि मेरी बच्ची बीमार है और उसे मामा के घर से लाकर इलाज करवा देना, मैं पैसे भिजवा रहा हूं। दिलीप के घर से कुछ ही दूरी पर स्थित राकेश के घर पर भी सन्नाटा पसरा था। हादसे में राकेश और उसकी पत्नी सुगना की भी माैत हाे चुकी थी। राकेश के घर के आंगन में मृतक का मामा उदास बैठा था तो भीतर मृतक की मां और दूसरी महिलाएं थी।

इन विलाप करती महिलाओं के बीच दो मासूम चेहरे दो-भाई बहनों के थे, जिनके माता और पिता की हादसाें मौत हो चुकी थी। 3 साल की पूजा और 12 माह का विकेश काे यह नहीं पता था कि हादसे में उसने अपने मां और पिता को खो दिया है। रात की सूचना के बाद मृतकाें के परिजनाें ने दिनभर खाना नहीं खाया। वहीं मासूम पूजा और विकेश बिस्किट के पैकेट हाथाें में लिए नजर आए।

आंखों-देखी... लाशाें में भाई काे ढूंढ रहा था: मुकेश

मैं काेमी सर्कल पर एक खाेली में परिवार के साथ साेया था। रात की करीब 11.30 बजे थे कि अचानक बाहर से चीखने चिल्लाने की आवाजें आई। कुछ देर में मिलने वाले लाेग आए। हादसे की जगह मेरा भाई राकेश भी अपने परिवार के साथ था। घटनास्थल पर देखा ताे वहां लाशाें का ढेर था। कुछ लाशें थी ताे कुछ गंभीर घायल बचाव के लिए कराह रहे थे।

डंपर चालक ने डंपर काे एक दुकान से टकरा दिया था, जिसके अंदर डंपर का चालक फंसा हुआ था। कुछ लाेगाें ने चालक काे केबिन से बाहर निकाला ताे केबिन में 4 से 5 दारु की पाेटलिया भी निकाली। मैं इन लाशाें के बीच अपने भाई और परिवार के दूसरे लाेगाें काे तलाश रहा था।

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