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ये सिस्टम विमंदित है...18 दिन में 12 अक्षम बच्चों में से 3 की मौत, 4 गंभीर, क्योंकि यहां सुविधा नहीं

Banswara
ये सिस्टम विमंदित है...18 दिन में 12 अक्षम बच्चों में से 3 की मौत, 4 गंभीर, क्योंकि यहां सुविधा नहीं
@HelloBanswara - Banswara -

चिकित्सा एवं देखरेख के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के बावजूद सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) 12 बच्चों को उदयपुर से राधास्वामी महिला मंडल सोसायटी की ओर से संचालित मानसिक विमंदित गृह में भेज दिया गया। 18 दिनाें में 3 की मौत हो चुकी है। वहीं 4 एमजी अस्पताल में भर्ती हैं। बच्चों की लगातार माैत के मामले में अब तूल पकड़ लिया है। अत्यंत गंभीर बीमारी से ग्रसित बालकों काे विशेष सार-संभाल और उपचार की जरूरत हाेती है। बांसवाड़ा में इनके लिए काेई अलग से विमंदित गृह नहीं है। बावजूद इसके इन बीमार बच्चों काे संभाग मुख्यालय से मरने के लिए बांसवाड़ा भेज दिया गया। अब बच्चों की मौत से शासन के हाथ-पांव फूला दिए हैं और इन्हें यहां से रैफर करने की प्रक्रिया पर विचार चल रहा है।


उदयपुर से भेजे गए थे बच्चे, अब 4 की हालत में सुधार
 उदयपुर से भेजे गए सीपी कैटेगरी के बच्चे पहले से बीमार थे। अस्पताल में भर्ती किए गए 4 अन्य बच्चों की अस्पताल जाकर कुशलक्षेम जानी है। सभी तबीयत में सुधार है। हमने प्रशासन से बालकों काे शिफ्ट कराने और समुचित इलाज कराने के लिए कहा है। दिलीप राेकड़िया, अध्यक्ष, सीडब्ल्यूसी


22 मई को भेजा, 3 जून को पहली मौत...राधास्वामी महिला मंडल सोसायटी ने दी सहमति, सामाजिक न्याय विभाग की सहायक निदेशक ने भी कर दी अनुशंषा

उदयपुर की नारायण सेवा संस्थान की ओर से संचालित मानसिक विमंदित पुनर्वास गृह के संचालन में असमर्थता जताई। 20 अप्रैल काे आयुक्त एवं शासन सचिव गजानंद शर्मा ने उदयपुर में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक काे 49 बालक और बालिकाओं को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। राधास्वामी महिला मंडल सोसायटी जयपुर की ओर से बांसवाड़ा में संचालित उनके विमंदित गृह में 26 बालकों काे रखने की सहमति दी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक ने भी बिना व्यवस्था के अनुशंषा भी कर दी। 22 मई 24 बच्चों यहां रैफर किए, इनमें से 12 सीपी कैटेगरी के थे। तेज गर्मी के बीच इन बच्चों काे बस से बांसवाड़ा लाए। जबकि इन बालकों के ठहराव के लिए बांसवाड़ा में काेई सुविधा नहीं है। 3 जून काे बीमार बालक उमेश ने दम ताेड़ दिया। फिर 7 जून काे रवि सेन नाम के बालक की भी माैत हाे गई। वह सात दिन तक अस्पताल में भर्ती था। अस्पताल से उसे पुनर्वास केंद्र में शिफ्ट किया गया, जहां तीसरे दिन उसकी माैत हाे गई थी। साेमवार काे 23 वर्षीय शुभम की भी माैत हाे गई। 4 बीमार बालकों काे अस्पताल में भर्ती कराया है। मृतकों का मेडिकल बाेर्ड से पोस्टमार्टम कराया है। सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जो बच्चों की शारीरिक गति व चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह मस्तिष्क के किसी हिस्से में चोट लगने के कारण होता है। 3 साल से ज्यादा उम्र के एक हजार में से दो से तीन बच्चों को यह बीमारी होती है। देश में करीब 5 लाख बच्चे व वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं।


विमंदित गृह में दमघाेटू कमरे, मनोरंजन के साधन तक उपलब्ध नहीं, डॉक्टर भी नियुक्त नहीं किया


बांसवाड़ा. विमंदित गृह में भर्ती बच्चे।


बालकाें की माैताें पर भास्कर टीम नगर स्कूल पास संचालित विमंदित गृह पहुंची। यहां दाे मंजिला गृह में सुविधाओं की कमी नजर अाई। नियम के मुताबिक नियमित रूप से डॉक्टर की जरूरत हाेती है, लेकिन नहीं है। महीने में एक बार एमजी अस्पताल से डॉक्टर बुलाकर चैकअप कराने का दावा किया गया। यहां ग्राउंड लेवल पर बने कमराें में सीपी कैटेगरी के बालकों काे भर्ती किया है, लेकिन इन बेहद छोटे कमराें में वैंटिलेटर तक नहीं थे, कर्मचारियों ने खुद कमराें में घुटन हाेने की बात स्वीकारी। यहां 24 का स्टाफ है लेकिन इनमें से 15 ही प्रशिक्षित हैं। मनोरंजन के लिए न ताे खिलौने दिए हैं और नहीं टीवी या काेई अन्य सुविधा दी जा रही है।


उदयपुर में भर्ती किया, फिर डिस्चार्ज कर यहां भेजे : सहायक निदेशक
 सीपी कैटेगरी के 12 बच्चे पहले से बीमार थे। उदयपुर में भी इन्हें एडमिट किया था। तीन-चार दिन पहले ही डिस्चार्ज कर यहां भेजा गया। हमें भी समझ नहीं अा रहा कि इतने बीमार बच्चों काे यहां क्याें शिफ्ट किया गया। इनकी देखरेख में नर्सिंग स्टाफ और केयर टेकर भी बढ़ा दिए हैं। 4 जून काे ही पत्र लिखकर विभाग से इन्हें जयपुर शिफ्ट कराने के लिए आग्रह किया है। हेमांगी निनामा, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग


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