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चुनाव आयोग गोपनीयता का दावा करता रहा और खरीद-फरोख्त के डर में फंसे पार्षद वोट डालकर बेलेट पेपर के फोटो खींच लाए

Banswara
चुनाव आयोग गोपनीयता का दावा करता रहा और खरीद-फरोख्त के डर में फंसे पार्षद वोट डालकर बेलेट पेपर के फोटो खींच लाए
@HelloBanswara - Banswara -

चुनाव आयोग का दावा था कि निकाय चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव पूरी तरह गोपनीय होंगे। मतदान कक्ष में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित रहेगा। इसके लिए वीडियोग्राफी की जाएगी। लेकिन यह दावा महज औपचारिक रहा। खरीद-फरोख्त के डर में फंसे पार्षद न केवल मोबाइल अंदर ले गए बल्कि वोट डालने के बाद बेलेट पेपर की फोटो खींची और वीडियाे बनाया। दैनिक भास्कर के पास वोट डालने के बाद के बेलेट पेपर है। इस पर रिटर्निंग अधिकारी के हस्ताक्षर भी है। पार्षदों ने यह सब इसलिए किया ताकि क्रॉस वोटिंग के दौरान खरीद-फरोख्त के आरोप लगे तो वे अपना सबूत दे सके। लेकिन इस मामले ने चुनाव के तरीके और बांसवाड़ा तथा परतापुर-गढ़ी में रिटर्निंग अधिकारियों को सवालों के घेरे में ला दिया है क्योंकि चुनाव आयोग की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि अगर निकाय अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए मतदान कराया जाता है तो यह भी उतनी ही गोपनीयता से होगा, जैसा कि आम चुनाव में होता है। बांसवाड़ा नगर परिषद और परतापुर-गढ़ी नगर पालिका मेंं भी यही नियम लागू था। भास्कर के पास बांसवाड़ा नगर परिषद में उपसभापति के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी श्यामा राणा और परतापुर-गढ़ी पालिका में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी पुनीत दवे को दिए गए वोट का बेलेट पेपर है। बांसवाड़ा और परतापुर-गढ़ी दोनों जगह पार्षद आसानी से मोबाइल ले गए और वोट डालने के बाद बेलेट पेपर की फोटो ली। मतदान प्रकिया के दिन पार्षदों के बेलेट पेपर की फोटो खींच नजर रखने की बात चर्चा में आई तो भास्कर ने इसके सबूत जुटाना तय किया। दोनों ही दलों के करीब 38 पार्षदों से संपर्क किया तो कुछ पार्षदों के बेलेट पेपर के फोटो भी मिले। इन बेलेट पेपर पर किसे वोट किया और निर्वाचन अधिकारी के दस्तखत तक हैं। बेलेट क्रमांक को मिटा दिया गया, ताकि पता नहीं चले किसने वोट डाला। भास्कर ने इस मामले को लेकर बांसवाड़ा और परतापुर-गढ़ी रिटर्निंग अधिकारियों से सवाल किए तो उनके जवाब भी चौंकाने वाले थे। गढ़ी आरओ रामचंद्र खटीक ने कहा की कंप्यूटर का जमाना है कोई भी डूप्लीकेट पेपर तैयार कर सकता है। जबकि बांसवाड़ा आरओ पर्वत सिंह चुंडावत ने तो यहां तक कह दिया कि यह तो चुनाव ही नहीं थे, सामान्य बैठक थी।

परतापुर-गढ़ी: क्रॉस वोटिंग पर पार्षद को निकालने की तैयारी में कांग्रेस
परतापुर-गढ़ी पालिका में उपाध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान में कांग्रेस से एक क्रॉस वोटिंग हुई थी। इससे नाखुश पार्षदों ने ब्लॉक अध्यक्ष प्रताप पाटीदार से दावा किया था कि उपाध्यक्ष पद के लिए संदेह के घेरे में आए पार्षद ने पहले अन्य पार्षदों से संपर्क किया था लेकिन जब उसका नाम नहीं आया तो उसने खुद को अलग-थलग कर दिया था। पार्टी के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी पुनीत दवे ने भी इस पार्षद के खिलाफ क्रास वोटिंग करने के पुख्ता प्रमाण पेश करने का दावा कर चुके है। दवे के दावे ने भी इस मामले को हवा देदी है कि पार्षदों के बेलेट पेपर वायरल हुए है।
 

बांसवाड़ा: सभापति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग, इसलिए रखी नजर
26 नवंबर को बांसवाड़ा में सभापति के लिए पार्षदों ने मतदान किया था। 60 पार्षदों के मतदान में कांग्रेस को 39 पार्षदों का समर्थन मिला, जबकि कांग्रेस के 36 पार्षद जीते थे। भाजपा को समर्थन देने वाले एक निर्दलीय पार्षद ने मीडिया के सामने भाजपा प्रत्याशी को वोट देने की बात कही थी। अगर निर्दलीय की बात सही मानी जाए तो जाहिर है कि भाजपा से क्रॉस वोटिंग हुई थी। अगले ही दिन शहर में उपसभापति और परतापुर-गढ़ी पालिका में उपाध्यक्ष के लिए मतदान था। क्रॉस वोटिंग के डर से दोनों ही दलाें ने पार्षदों की बाड़ेबंदी कर रखी थी। बावजूद इसके दोनों ही जगह कांग्रेस से क्रॉस वोटिंग हुई।
 

बांसवाड़ा निर्वाचन अधिकारी बोले- सभापति चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया नहीं, बैठक थी
निर्वाचन अधिकारी पर्वतसिंह चुंडावत ने बताया कि यह चुनाव प्रक्रिया नहीं बल्कि एक बैठक थी। जिसमें चुने हुए पार्षदों को अपना सभापति और उपसभापति चुनना था। जब बैठक में सहमति नहीं बनती तो फिर वोटिंग कराई जाती है। जब चुने हुए पार्षदों द्वारा ही अपना नेता चुनना होता है तो इसमें ज्यादा कोई गोपनीय रखने जैसा कोई नहीं होता। यह प्रक्रिया वो हाथ ऊंचे करवाकर भी कर सकते थे। फिर भी जो मतदान प्रक्रिया हुई उसे गोपनीय रखने हमने पूरे प्रयास किए। अब जहां वोटिंग एरिया था वहां हमारा कोई कर्मचारी नहीं गया और न ही फोटो खींची इसकी वीडियोग्राफी भी है। अब कोई पार्षद ही फोटो खींचे तो हम क्या कर सकते हैं।

कम्प्यूटर से डूप्लीकेट बनाए होंगे: आरओ गढ़ी
मतदान प्रक्रिया में हमारे यहां से कोई चूक नहीं हुई है। अब कम्प्यूटर युग है। किसी ने डूप्लीकेट कॉपी बनाकर वायरल की होगी। रामचंद्र खटीक, एसडीएम, गढ़ी

मतदान में माेबाइल पूरी तरह प्रतिबंधित: कलेक्टर
मतदान की गोपनीयता जरूरी है। मोबाइल प्रतिबंधित है। कोई छिपाकर ले गया होगा। इस संबंध में आरओ ही बता पाएंगे। अंतरसिंह नेहरा, कलेक्टर

किसी को शिकायत है तो इलेक्शन पीटीशन दायर करे
सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है कोई आरओ ऐसा नहीं करने देगा। जाहिर है फोटो पार्षदों ने ही ली होगी। कोई हिडन केमरा लेकर भी जा सकता है। अब चुनाव हो चुके है। अगर किसी को शिकायत है तो इलेक्शन पीटीशन करे। अशोक जैन, डिप्टी सैक्रेट्री, राज्य निर्वाचन आयोग
यह है नियम:निर्वाचन विभाग के नियमानुसार पार्षदों की अगर आपसी सहमति है तो बिना मतदान के सीधे ही हाथ उठाकर भी चुनाव किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो मतदान प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। जिसमें मतदान को पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। जिसमें मतदाता मोबाइल नहीं ले जा सकता। इसके अलावा मतदान प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाती है।

 

भास्कर खुलासा

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