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80 मासूमों की मौत के 9 माह बाद 10-10 हजार मुआवजा

80 मासूमों की मौत के 9 माह बाद 10-10 हजार मुआवजा
@HelloBanswara - -

Banswara May 20, 2018 


मानवाधिकार आयोग के आदेश पर 8 लाख रुपए स्वीकृत पर अस्पताल की कमियां अब भी नजरअंदाज 


महात्मा गांधी अस्पताल में गए साल जुलाई आैर अगस्त में नवजातों की मौेत के प्रकरण सरकार ने 9 माह बाद मुआवजा राशि देने का निर्णय लिया है। मानवाधिकार आयोग के निर्देशों की पालना में निदेशालय की ओर से 8 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। प्रत्येक नवजात के परिजनों को 10-10 हजार रुपए बतौर सहायता राशि प्रदान की जाएगी।

पिछले वर्ष जुलाई और अगस्त में 50 दिनों के भीतर 80 बच्चों की मौत हो गई थी। इसमें बच्चों की मौत के मामले में दोषी पाए जाने पर तत्कालीन पीएमओ डॉ. वीके जैन, गायनिक डॉ. पीसी यादव, घाटोल बीसीएमओ डॉ. जितेंद्र बंजारा सहित 3 नर्सिंग स्टाफ को निलंबित किया। वहीं आरसीएचओ डॉ. मनीषा चौधरी, डॉ. दिव्या पाठक, डॉ. ओपी उपाध्याय, डॉ. शालिनी नानावटी और डॉ. जयश्री हुमड़ को एपीओ और 3 गायनिक डॉक्टरों के विरूद्ध 17 सीसी की कार्रवाई की गई। 


जांच में यह खामियां भी आई सामने 
निदेशक परिवार कल्याण डॉ. एसएम मित्तल निदेशालय से जांच करने आए तो नवजातों की मौत के पीछे कई कारण सामने आए। गांवों में सही बर्थ वेट नहीं लेने और प्रसूताओं की सही उम्र जांचे परखे बिना ही डिलीवरी करने की खामियां उजागर हुई थी। इस जनजाति क्षेत्र में कुपोषण, एनिमिया और प्री मेच्योर डिलेवरी के भी अधिक प्रकरण सामने आ रहे हैं जो बच्चों की मौत का कारण बन रहे हैं। इस मामले में गंभीरता को देखते हुए जोधपुर हाईकोर्ट न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास ने अवकाश के दिन कोर्ट खुलवाकर नवजातों की मौत पर संज्ञान लेकर जिले की लीगल सर्विस ऑथरिटीज से जांच रिपोर्ट मंगवाई। 

मौत के बाद यह भी प्रमुख कारण 
चिकित्सा संस्थानों में डॉक्टर और विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी। 
चिकित्सा संस्थानों में संसाधनों की कमी। 
खराब ट्रांसपोर्टेशन सुविधाएं। 
बुलेंसाें की खराब स्थितियां। 
खस्ताहाल सड़कें। 
कुपोषण। 
खून की कमी। 
अन्य। 

महात्मा गांधी अस्पताल में पिछले साल नवजातों की मौत के प्रकरण में मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजा देना एक सही निर्णय है। उन बच्चों को तो वापस नहीं लाया जा सकता लेकिन इस राशि से परिवार को आर्थिक मदद जरूर मिलेगी। लेकिन सवाल यह भी है कि मुआवजा देने से क्या आगे बच्चों की मौत नहीं होगी। इस मामले के बाद और हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद भी आज भी चिकित्सालय में स्वीकृत पदों की तुलना में भी कार्यरत डॉक्टर काफी कम हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी पर पर्याप्त इलाज की सुविधाएं नहीं हैं। कुपोषण को दूर करने के लिए विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे।


बांसवाड़ा में 50 दिनों में 80 नवजातों की मौत के मामले में मानवाधिकार अायोग ने इन बच्चों के परिजनों को मुआवजा राशि देने के आदेश दिए थे। जिसके तहत विभाग की ओर से प्रत्येक नवजात को 10-10 हजार रुपए बतौर मुआवजा दिए जाएंगे। - डॉ. रोमिलसिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चाइल्ड हैल्थ 
 

By Bhasker

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