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फाइनेंस कंपनी के दफ्तर से 5.73 लाख चोरी, थानाधिकारी- कर्मचारी झूठे, कैश खाते में जमा

Banswara
फाइनेंस कंपनी के दफ्तर से 5.73 लाख चोरी, थानाधिकारी- कर्मचारी झूठे, कैश खाते में जमा
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थाना इलाके के एक निजी फाइनेंस कंपनी के दफ्तर से पांच दिन 5.73 लाख रुपए चोरी हाे गए, लेकिन पुलिस ने मामला जांच में बताकर एफआईआर दर्ज नहीं की। कंपनी कर्मचारियों ने मंगलवार को एसपी से मिलकर लिखित में इसी आशय की रिपोर्ट दी है। हालांकि, दानपुर थानाधिकारी का बयान इस पूरे मामले में कंपनी कर्मचारियों को ही सवालों के घेरे में ला दिया है। थानेदार सज्जनसिंह का कहना है कि कंपनी के कर्मचारी झूठ बोल रहे है। चोरी हुई ही नहीं है। उन्होंने दावा किया कि वह खुद इस मामले की जांच कर रहे है और जल्द ही इसका खुलासा कर देंगे। मामला इसलिए भी बड़ा है क्योंकि 5.73 लाख रुपयों की चोरी से जुड़ा है।

दरअसल, कंपनी के रीजनल मैनेजर शक्ति राज शुक्ला मंगलवार को एसपी केसरसिंह शेखावत से मिले। जहां उन्होंने थानाधिकारी के खिलाफ लिखित शिकायत की। परिवाद में बताया कि स्वतंत्र फाइनेंस कंपनी महिला समूह बनाकर ऋण देती है। हर महीने की 5 तारीख को कलेक्शन किया जाता है। 5 सितंबर को कंपनी के फील्ड ऑफिसर विजय धाकड़, वीरेन्द्रसिंह, धर्मेंद्रसिंह राठौड़, महेन्द्रपाल सेंधव आसपास के गांवों से 7.25 लाख रुपए कलेक्शन कर लाए। जिसे वहां उनके ऑफिस में जमा करवाए। जिनमें कंपनी के ऑॅफिसर ने 1.51 लाख रुपए फिनो पेमेंट बैंक के बीसी के वहां जमा करवाए। शेष 5.73 लाख रुपए जमा नहीं होने पर कंपनी के कार्यालय के लॉकर में जमा करवा दिए। सुबह ऑफिस गए तो तीन दरवाजों के ताले टूटे हुए थे, जिसमें एक ताला भी गायब था। भीतर जाकर देखा तो नकदी रखने का लॉकर ही गायब था। लॉकर में उस दिन कलेक्शन की 5.73 लाख रुपए, कैश लेनदेन का हिसाब का रजिस्टर और तीन मोबाइल के अलावा गिफ्ट वाउचर थे। चोरी पर दानपुर थाने में अगले दिन रिपोर्ट दी लेकिन तीन दिन बाद भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। पूरे मामले को पुलिस दबा रही है। इधर, दानपुर थानाधिकारी सज्जनसिंह ने आरोप नकारते हुए कहा कि चोरी हुई ही नहीं है, बल्कि कैश कंपनी में ही जमा है। जिसकी खुद उन्होंने कम्प्यूटर से रसीद निकाली है। ऐसा नहीं है कि केस दर्ज नहीं कर रहे। मामला संदिग्ध प्रतीत होने पर जांच कर रहे हैं। जल्द ही इसका खुलासा कर दिया जाएगा।

मामला जांच में, झूठा निकाल तो कर्मचारियों पर होगा केस
जिस प्रकार से थानाधिकारी दावा कर रहे है अगर यह सच निकला तो कंपनी कर्मियों के खिलाफ ही केस दर्ज हो सकता है। लेकिन पूरे मामले में दोनों ही पक्षों के दावे सोचने पर मजबूर करते है। वह इसलिए कि अगर सीधे तौर पर कैश चोरी हुआ तो पुलिस इसे संदिग्ध क्यों मान रहीं है। वहीं अगर थानाधिकारी की बात सही तो कोई कंपनी के खाते में कैश जमा कर रुपए चोरी होना क्यो बताएगा? इससे ऐसा बताने वाले को क्या लाभ होगा क्योंकि कैश को कंपनी खाते में जमा हो चुका है? सवाल यह भी है कि जिस बैंक खाते को कंपनी का बता रहे है वह दरअसल, कंपनी का है या किसी का निजी। यह तमाम सवालों के जवाब जांच के बाद ही सामने आएंगे।

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