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छह साल की उम्र से गांव से ही श्रीराम कथा शुरू की, तीन साल में कर चुके 150 कथा

Banswara
छह साल की उम्र से गांव से ही श्रीराम कथा शुरू की, तीन साल में कर चुके 150 कथा
@HelloBanswara - Banswara -

6 साल की उम्र में ही अासपास के गांवों मंे श्रीराम कथा करनी शुरू कर दी थी। अभी मैरी उम्र 9 साल की है। अब तक अलग-अलग राज्यों में 150 से अधिक श्रीराम कथा कर चुका हूं। 2017 में उत्तरप्रदेश के रामलखनदास वेदांती महाराज से दीक्षा प्राप्त की।

इससे पहले परिवार में ही अपने नाना भागवत आचार्य पं. देवेंद्र तिवारी और मां वती देवी से प्राप्त आध्यात्मिक वातावरण में बचपन से ही भजन कीर्तन, सत्संग और रामकथा करने, मंत्र जाप करने की रुचि बढ़ी। इसी से परमात्मा की ऐसी अनुकंपा हुई कि मुझे 31 राग रागिनियों का ज्ञान भी स्वत: हो गया। यह बात उत्तरप्रदेश के झांसी जिले से बांसवाड़ा में श्रीराम कथा करने आए 9 साल के बाल कथाकार पं. शशिशेखर ने बताई। बाल कथाकार के साथ उनके सॉफ्टवेयर इंजीनियर पिता पं. शशिकांत दुबे भी अाए हैं। अभी महज कक्षा पांचवीं में पढ़ने वाले पं. शशिशेखर द्वारा इतनी छोटी उम्र में आध्यात्म के प्रति लगाव और श्रीराम कथा करने के बारे में भास्कर संवाददाता ने साक्षात्कार लेकर लोगों की जिज्ञासा से जुड़े सवाल किए। शनिवार से पांच दिन तक कुशलबाग मैदान में दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक श्रीराम कथा का वाचन करेंगे। शुक्रवार शाम को बांसवाड़ा पहुंचने के बाद बाल व्यास ने त्रिपुरा सुंदरी में भी दर्शन किए।
कथा से पढ़ाई के समय पर फर्क नहीं पड़ता, 5वीं पढ़ रहा हूं
आपको रामकथा करने की प्रेरणा कहां से मिली?
बाल व्यास: बस भगवान का आशीर्वाद है और उनकी कृपा है। वैसे मुझे कथा सुनने का शौक रहा है। माता पिता के साथ में कथा सुनने जाता हूं। पहले पिताजी भी रामकथा करते थे। मैं पहले तो घर में रामकथा करता था। फिर धीरे धीरे गांव में भी कथा करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे दूसरे गांव के लोग भी मुझे कथा करने लिए ले जाते थे। मुझे भी कथा करना भगवान का नाम लेने में आनंद प्राप्त होता है।
आपने कितनी जगहों पर रामकथा की है ?
बाल व्यास: अभी तक मैने अलग-अलग जगहों पर करीब 150 रामकथा की है। मेरी सबसे पहली रामकथा पुराने गांव हाड़ी (मध्यप्रदेश) में की थी। जिसको सुनने के लिए करीब 500 से 1000 लोग आए थे। उसके बाद लगातार मैं रामकथा कर रहा हूं। झांसी के पास मऊरानीपुर तहसील में रामकथा की थी जिसको सुनने के लिए करीब 15 हजार से ज्यादा लोग आए थे और जिस कथा का टीवी पर लाइव भी आया था। उसके बाद से मेरी धीरे धीरे पहचान बनी लोग मुझे जानने लगे।
बाल व्यास पं. शशिशेखर महाराज
रामकथा के साथ पढ़ाई को समय दे पाते हो?
बाल व्यास: हां, बिल्कुल में पांचवीं कक्षा में पढ़ता हूं। पढ़ाई के साथ साथ में रामकथा भी करता हूं। साथ में आस पास कहीं कथा चल रही है तो में सुनने ज़रुर जाता हूं। टीवी पर भी देखता रहता हूं। मैं कहीं भी जाता हूं, तो माता पिता के साथ जाता हूं, नहीं तो फिर मामा को साथ रखता हूं। हर महात्मा की में कथा ज़रुर सुनता हूं। कथा सुनाने से पढ़ाई के समय पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। पढ़ाई भी चलती रहती है। रामकथा से पढ़ाई में एकाग्रता आती है।
बांसवाड़ा के बारे में क्या जानते हो ?
बाल व्यास: मैं पहली बार बांसवाड़ा आया हूं। सुना है यहां के लोग बहुत धर्मप्रेमी हैं। लोगों को रामायण का पाठ सुनने में लोगों में उत्सुकता रहती है। यहां के त्रिपुरा सुंदरी मां के दर्शन कर बहुत ही सुकून महसूस हुआ।
आगे क्या करना चाहते हो?
बाल व्यास: मैं तो हमेशा कथावाचक बनकर गांव गांव शहर और देशभर में श्रीराम कथा करना चाहता हूं। कथा करने में जो आनंद प्राप्त होता है, वो और किसी में नहीं आता है। माता पिता भी मेरा सहयोग कर रहे हैं। कथा करने के लिए कहीं भी जाता हूं तो मेरे पापा मैरे साथ रहते हैं। कभी कभी मेरे मामाजी भी साथ आते हैं।
आपकी क्या इच्छा है, कहां रामकथा करना चाहते हो?
बाल व्यास: मेरी इच्छा है कि मैं एक बार अयोध्या के विश्व प्रसिद्ध कनक बिहारी सरकार के दरबार में उनके चरणों में बैठकर राम कथा करूं। इसके अलावा अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बन जाने के बाद वहां भी कथा करने की दिली इच्छा है। साथ ही मेरी मुरारी बापू से मिलने की इच्छा है। मैं उन्हें जानता तो हूं, लेकिन अभी तक मिला नहीं हूं। उनकी कथा को मैं जरूर सुनता हूं।

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