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राहुल के ट्वीट के बाद ही शिवसेना ने कांग्रेस के सामने किया सरेंडर

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राहुल के ट्वीट के बाद ही शिवसेना ने कांग्रेस के सामने किया सरेंडर
@HelloBanswara - National -

लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन विधेयक पर राहुल गांधी ने जैसे ही ट्वीट कर बयान जारी किया, वैसे ही शिवसेना की भूमिका बदल गई। शिवसेना के इस यू टर्न को कांग्रेस के सामने सरेंडर के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, एनसीपी ने कहा कि दोनों पार्टियां अलग हैं और उनके लिए हमेशा सभी मुद्दों पर समान विचार रखना संभव नहीं है।

सोमवार को लोकसभा में शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर बीजेपी का साथ देते हुए विधेयक के पक्ष में मतदान किया, पर राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने से पहले शर्त रख दी है। मंगलवार को शिवसेना अध्यक्ष व राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता विधेयक में स्पष्टता के बगैर शिवसेना राज्यसभा में इसका समर्थन नहीं करेगी। लोकसभा में इस विधेयक को पारित करने के दौरान हमारे सांसदों ने कुछ सवाल उठाए थे।

मुझे नहीं पता कि गृहमंत्री अमित शाह ने उन सवालों का जवाब दिया अथवा नहीं। पहले इस विधेयक पर राज्यसभा में और चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन नागरिकों का नागरिकता दी जा रही है, वे रहेंगे किस राज्य में? पार्टी के मुख पत्र 'सामना' में भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया गया कि नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए बीजेपी धर्म के नाम पर देश को बांट रही है।

शिवसेना पर बिफरे कांग्रेस नेता - महाराष्ट्र से कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने सीधे शिवसेना की भूमिका पर नाराजगी जताई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नसीम खान ने शिवसेना पर आरोप लगाया कि वह अब भी अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी के साथ है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया है। नागरिक संशोधन विधेयक पर शिवसेना ने अपने मित्र दलों को क्यों विश्वास में नहीं लिया? कांग्रेस प्रवक्ता चरणजीत सिंह सप्रा, महाराष्ट्र कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने भी शिवसेना की आलोचना करते हुए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का पालन करने की सलाह दी।

हमेशा समान विचार संभव नहीं: NCP - लोकसभा में शिवसेना के नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन पर एनसीपी ने कहा कि हमेशा सभी मुद्दों पर समान विचार रखना संभव नहीं है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने हालांकि कहा कि पार्टियां यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि महाराष्ट्र में किसी के साथ भी धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव न हो। इससे पहले कैब को 'संविधान-विरोधी' करार देते हुए कहा था कि बीजेपी नीत केंद्र सरकार इसका इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है। मलिक ने कहा, 'हम दो अलग-अलग पार्टियां है। राज्य में शासन की बात करें, तो हमारे बीच कुछ मुद्दों पर सहमति है।'

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