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जवाहर पुल के पास कागदी नदी की सुरक्षा दीवार टूट गई, पुलिस कंट्रोल रूम पर मंडराया खतरा

Banswara
जवाहर पुल के पास कागदी नदी की सुरक्षा दीवार टूट गई, पुलिस कंट्रोल रूम पर मंडराया खतरा
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मरम्मत की बजाय नगर परिषद और माही विभाग एक-दूसरे का कार्यक्षेत्र बताकर जिम्मेदारी से बच रहे


बांसवाड़ा| जवाहर पुल के नजदीक कागदी नदी की सुरक्षा दीवार टूट चुकी है। दीवार इतनी क्षतिग्रस्त हाेकर हाे चुकी है कि इसका एक बड़ा हिस्सा अलग हाे चुका है और बरसात में कभी भी यह ढह सकती है। इससे सबसे ज्यादा खतरा पुलिस कंट्रोल रुम काे है। जहां यह दीवार टूटी है उसके ठीक ऊपर कंट्रोल रुम है। इतने बड़े खतरे के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मरम्मत के लिए एक-दूसरे विभागाें का कार्यक्षेत्र बताकर जिम्मेदारी से बच रहे है। मानसून की एंट्री हाे चुकी है। कागदी नाला कभी भी उफान पर आ सकता है। ऐसे में अगर सुरक्षा दीवार की जल्द मरम्मत नहीं की गई ताे इसकी जद में कंट्रोल रुम के अलावा कई आेर बिल्डिंग भी आ सकती है।
इस संबंध में आयुक्त प्रभुलाल भाबाेर ने बताया कि यह माही विभाग के कार्यक्षेत्र में आता है इसलिए दीवार की मरम्मत के लिए माही विभाग काे पत्र लिखा है लेकिन वहां से काेई जवाब नहीं आया। जबकि माही बांध खंड कार्यालय के एक्सईएन निरंजनलाल मीणा ने इसे नगर परिषद का कार्यक्षेत्र बताया। उन्हाेंने कहा कि विभाग के पास इसके लिए काेई अलग से फंड नहीं है। शहरी क्षेत्र में नगर परिषद ही इसकी देखरेख करती है।
7 कराेड़ खर्च, एक दिन भी उपयोग नहीं : कागदी साैंदर्यीकरण याेजना 2007-08 में पूरी हुई थी। यह ऐसी पहली परियोजना होगी, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने सात करोड़ का बजट दिया और उनके आने के दिन ही एनीकट का स्ल्यूस गेट नदी में पानी छोड़ते ही बाहर आ गया। बाद में इसके रखरखाव का काम नगर परिषद को सौंपा गया था लेकिन बजट और संसाधनों के अभाव में नगर परिषद इसका रखरखाव नहीं करवा पाई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कागदी नदी की बदतर हालत को देखते हुए इसका विकास द्रव्यवती नदी के विकास की तर्ज पर करवाने की सार्वजनिक समारोह में घोषणा की थी। इसके लिए उन्होंने एक करोड़ की लागत से डीपीआर बनवाने का प्रावधान रखा था लेकिन अब तक डीपीआर ही नहीं बन पाई है।

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