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3 माह तक नहीं होगी किताबों से पढ़ाई : प्ले ग्रुप के स्कूलों में खेल-खेल में बच्चाें में लाया जाएगा उत्साह, ताकि शिक्षा से जुड़ सकें

Banswara
3 माह तक नहीं होगी किताबों से पढ़ाई : प्ले ग्रुप के स्कूलों में खेल-खेल में बच्चाें में लाया जाएगा उत्साह, ताकि शिक्षा से जुड़ सकें
@HelloBanswara - Banswara -
नई शिक्षा नीति 2020 में पूर्व प्राथमिक शिक्षा को व्यावहारिक तथा बच्चों के लिए रुचिपूर्ण बनाने के लिए किए गए प्रावधानों के तहत राज्य के शिक्षण प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद उदयपुर ने पहली क्लास के बच्चों के लिए 3 महीने यानी 12 सप्ताह का स्कूल रेडिनेश कार्यक्रम ‘विद्या प्रवेश’ तैयार किया है। इस कार्यक्रम के अनुसार अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में प्रवेश लेने वाले बच्चों को सीधे ही पाठ्यपुस्तकों का बाेझ नहीं डाला जाएगा।

पहले तीन महीने का कोर्स में उन्हें खेल खेल में ‘ मैं और मेरा परिवार ‘ स्मृति वाले खेल, सृजनात्मक गतिविधियां, बिंदु मिलान, कहानियों की किताबें देखने, कहानी सुनाने और सुनने, खिलौनों और ब्लॉक्स से खेलना, मोतियों को पिरोना, चित्रों पर बीज रखना जैसे उनकी रुचि के खेल के जरिए स्कूल के भय से मुक्त किया जाएगा। इसके अलावा बाहरी खेलों में रस्सी खेल, गुफा खेल, हम बाजार जाएंगे, प्रकृति की सैर जैसे खेलों के माध्यम से उन्हें स्कूल से जोड़ा जाएगा, ताकि वे स्कूल आने से डरे नहीं, बल्कि रुचि से स्कूल आना शुरू करें। तीन महीने के लिए तैयार किए गए स्कूल रेडिकल कार्यक्रम के पूरा होने के बाद उन्हें पहली कक्षा के स्तर की पाठ्य पुस्तकों से रूबरू कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि जाग्रत करने के लिए शनिवार को नो-बेग डे के तहत भी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।

शिक्षकों के लिए मार्गदर्शिका : राजस्थान राज्य शिक्षण प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद उदयपुर ने इस रेडिकल कार्यक्रम को कार्य पुस्तिका के रूप में तैयार किया है। इस कार्यपुस्तिका में शिक्षकों के लिए 3 भागों में शिक्षक मार्गदर्शिका तैयार की गई है, ताकि शिक्षक उसके अनुसार बच्चों को खेल आधारित गतिविधियां करा सकें। शिक्षकों को हर माह बच्चों का आंकलन कर उनके पोर्टफोलियो में शामिल किया जाएगा। हर शनिवार को शिक्षक पिछले 5 दिनों की गतिविधियों की पुनरावृत्ति कराएंगे।

लर्न बाए फन से हाेगा फायदा
िशक्षा व बाल मनाेविज्ञान के तहत िकए जा रहे इस नवाचार से बच्चाें का लर्निंग लेवल में बढ़ाेत्तरी हाेगी। िवशेषज्ञाें का मानना है िक इससे बच्चाें की मैमाेरी बढ़ती है अाैर वह िवषय वस्तु काे देखकर अच्छी तरह से समझते हैं। इससे बच्चाें काे बस्ते के बाेझ से भी मुक्ति मिलेगी। स्कूलाें में इसके लिए िवशेष कक्ष बनाए जाएंगे। तय गाइडलाइन के अनुरूप िशक्षकाें काे बच्चाें काे पढ़ाना हाेगा। इसके बाद कक्षानुसार पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर बच्चे उसे अासानी से समझ सकेंगे। उल्लेखनीय है िक सरकारी स्कूलाें में पहली कक्षा से स्टूडेंट का प्रवेश प्रारंभ हाेता है, जबकि निजी स्कूलाें में पहली से पहले नर्सरी, एलकेजी अाैर यूकेजी कक्षाअाें का संचालन हाेता है, िजनमें प्लेग्रुप के तहत पढ़ाया जाता है।

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