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रायचंदो से बचकर ही स्वयं का, समाज का एवं धर्म का विकास संभव

Banswara
रायचंदो  से बचकर ही स्वयं का, समाज का एवं धर्म का विकास संभव
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दशाहूमड दिगम्बर जैन समाज डडूका द्वारा मुनि विकसंत सागर एवं मुनि आवश्यक सागरजी के सानिंध्य मे आयोजित शीत कालीन वांचना के छटे  दिन प्रातः कालीन प्रवचनों मे वास्तविक जिंदगी के विविध पहलुओं की चर्चा की गई |

 मुनि ने समाज मे राय देने वालो, हुकम चलाने वालो एवं एवं ज्ञान बाटने वालो के सहज़ सुलभ होनेपर कटाक्ष करते हुए उनसे बचने सतर्क रहने का आव्हान किया. उन्होंने दिगंबर मार्ग की प्रशंसा करते हुए कहा की वीर पुरुष ही दिगंबर मार्ग को धारण कर पाते है. ज्ञानी जन धर्मात्माओं के दोषों को छुपा देते है क्योंकि कर्म उदय सेहोनें वाले गलत कार्य तात्कालिक होते है त्रैकालिक नहीं. हमें सुपडे के समान स्वाभाव रखना चाहिए ताकि हम सार सार को को ग्रहण कर सके और फ़िज़ूल की बातो से बच सके. रात्रि मे आनंद यात्रा एवं प्रश्न मंच का आयोजन हुआ |

 समाज के अजीत कोठिया ने बताया कि गुरुदेव के प्रश्न मंच मे युवाओं एवं बुज़ुर्गों का उत्साह देखते ही बनता है. कार्यक्रम संचालन राजेंद्र कोठिया ने किया, आभार राकेश शाह एवं वस्तुपाल शाह ने किया. इससे पूर्व प्रातः मूलनायक का जलाभिषेक धनपाल शाह परिवार नेकिया.

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