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माही बांध की भराव क्षमता से डेढ़ गुना पानी छोड़ा, इतने में 21 करोड़ यूनिट बिजली बनती, 5 माह तक रोशन हो सकता था बांसवाड़ा जिला

Banswara
माही बांध की भराव क्षमता से डेढ़ गुना पानी छोड़ा, इतने में 21 करोड़ यूनिट बिजली बनती, 5 माह तक रोशन हो सकता था बांसवाड़ा जिला
@HelloBanswara - Banswara -

माही बांध के 16 गेट खोलकर बीते 35 दिनों में 100 टीएमसी (थाउजेंड मिलीयन क्यूबिक) पानी छाेड़ा जा चुका है। जबकि बांध में जाे पानी है वाे ही 77 टीएमसी है। यानी जितना पानी बांध में है, उससे ज्यादा छाेड़ दिया गया है। इस पानी से 21 करोड़ यूनिट बिजली बनाई जा सकती थी। इससे जिले के लाेगाें 5 माह तक बिजली मिली सकती थी। जिले में रतलाम मार्ग पर 50 मेगावाट और 90 मेगावाट के दो बिजली उत्पादन गृह हैं। इनसे इस सीजन में साढ़े 5 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन किया है, लेकिन बांध से छोड़े गए पानी से हम 21 करोड़ यूनिट तक बिजली बना सकते थे। लेकिन इस पानी से बिजली बनाने के लिए जरूरी बेराज और टरबाइन लगाने हाेंगे। जिसके लिए काेई प्रयास नहीं हाे रहे है। नतीजा, हरसाल कई टीएमसी पानी व्यर्थ छोड़ना पड़ रहा है। जबकि, इसी तरह गुजरात सीमा में बने कडाणा बांध में छाेड़े गए पानी को रिसाइकल कर बिजली बनाई जा रही है। 14 अगस्त से माही बांध के 16 गेट खोलकर लगातार अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है। बीते 13 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है जब बांध के गेट 9-9 मीटर तक खोले गए हो।

बिजली उत्पादन का गणित

 50 और 90 मेगावट के दो बिजली उत्पादन गृह।

 सवा लाख शहर की और 20 लाख जिले की आबादी।

 रोेजाना 84 मेगावट बिजली की खपत बांसवाड़ा में।

 अब तक साढ़े 5 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन।

कड़ाना बांध से छोड़े जा रहे पानी से गुजरात में चल रहे 180 मेगावाट के तीन बिजलीघर

राजस्थान राज्य बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड के पूर्व उपमुख्य अभियंता केसी भावसार ने बताया कि उनके कार्यकाल में नई तकनीक और उच्च क्षमता वाले टरबाइन लगाने के प्रस्ताव भिजवाए थे, लेकिन सरकार के स्तर पर कुछ भी नहीं हो पाया और ये मामला फाइलों में उलझ कर रह गया। वहीं माही बांध से खमेरा नहर के लिए पानी छोड़े जाने के लिए नए हैड का निर्माण करने की स्कीम में 800 मेगावाट के दो टरबाइन लगाने की स्कीम थी, जिससे बांध से पानी छोड़े जाने के दौरान ही बिजली उत्पादन होता, लेकिन इस स्कीम पर काम नहीं हुआ। इधर, माही बांध से पहले बूनान नदी पर सात से आठ बैराज बनाकर बिजली उत्पादन की स्कीम पिछली सरकार में भेजी गई थी, लेकिन वह स्कीम भी फाइलों में ही दफन हो चुकी है। जबकि इस स्कीम के लिए जमीन अवाप्ति की प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के पूर्व मुख्य अभियंता एसके मालोत का कहना है कि यहां माही बांध के अधिशेष पानी के उपयोग के लिए कई स्कीम बनाई जा सकती हैं, लेकिन बशर्त कि इसके लिए स्कीम समय पर स्वीकृत हो और समय पर बजट मिले।

भूंगड़ा, गढ़ी, अरथूना, बागीदाैरा और शेरगढ़ में डेढ़ इंच बारिश, फिर खुले माही बांध के सभी 16 गेट

बांसवाड़ा | दाे दिन मानसून ब्रेक के बाद शुक्रवार को जिले में मौसम का मिजाज फिर बदल गया। दोपहर तक बादल छाए रहने के बाद शाम को कहीं मूसलाधार तो कहीं हल्की बारिश हुई। अधिक बारिश के कारण माही बांधी के सभी 16 गेट शुक्रवार को भी खोलने पड़े। नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी अनुसार शुक्रवार सुबह 8 से शाम 6 बजे तक बांसवाड़ा में 1 िमलीमीटर, केसरपुरा 5, दानपुर 5, भूंगड़ा 36, गढ़ी 38, अरथूना 35, बागीदाैरा 38, शेरगढ़ 35, सज्जनगढ़ मेें 18 मिलीमीटर बारिश हुई। माही बांध में पानी की आवक तेज होने से बीती रात माही बांध के गेट खाेले गए, जाे शुक्रवार सुबह 9 बजे तक खुले रहे। उसके बाद पानी की आवक कम हाेने पर बांध के आठ गेट बंध किए गए और आठ गेट खुले रख बांध से पानी छाेड़ा गया। सुबह 9 बजे तक बांध के 8 गेट एक मीटर और 8 गेट आधा मीटर ऊंचाई तक खोलकर बांध में पानी की आवक 1049 क्यूमेक की दर से हाेने पर बांधा से 2033.6 क्यूमेक पानी छाेड़ा गया। इधर उपग्रह से प्राप्त चित्र के आधार पर मौसम वैज्ञानिकों ने आगामी 24 घंटों में भारी बारिश होने की संभावना जताई है।

हमारे यहां बिजली उत्पादन के लिए अलग से नहर तक नहीं बना सके

हमारे यहां बिजली उत्पादन के बाद पानी को अनास नदी में छोड़ा जाता है। यह पानी आगे जाकर गुजरात में कडाणा बांध के बैक वाटर में मिलता है। जहां बांध और बाकि जलाशय भरने के बाद पानी की रिसाइकलिंग कर पानी का उपयोग कर 180 मेगावट के तीन बिजली घरों में टरबाइन से बिजली उत्पादन के लिए कर रहे हैं। जबकि हमारे यहां माही बांध बनने के बाद न तो उपलब्ध पानी के अधिकतम उपयोग के लिए पावर हाउस दो की 90 मेगावाट क्षमता के टरबाइन से बिजली उत्पादन के लिए बायीं मुख्य नहर से सट कर समानांतर नहर का निर्माण किया गया और न ही पानी की रिसाइकलिंग के लिए हमारे अभियंताओं ने कोई स्कीम बनाई।

राजस्थान में 25 और गुजरात में पानी का 75 फीसदी इस्तेमाल

बांसवाड़ा में हर साल बांध से 35 टीएमसी पानी छोड़कर 20 करोड़ यूनिट बिजली बनाई जाती है और इसी दौरान 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में फसल बुवाई के दौरान सिंचाई के लिए पानी मुहैया करवाया जाता है। जबकि 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र के अलावा बड़े पैमाने पर बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जिले में सिंचाई, पेयजल के लिए पानी की जरूरत है। लेकिन इस दिशा में काम नहीं करने और बनाई गई योजनाओं को स्वीकृत नहीं करने से कई योजनाएं फाइलों में ही सिमट कर रह गई हैं। इतना ही नहीं भीखा भाई सागवाड़ा नहर के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। माही का पानी का प्रदेश में केवल 25 और गुजरात में 75 फीसदी इस्तेमाल किया जा रहा है।

बागीदौरा: दो घंटे मूसलाधार, निचली बस्तियों और घरों में घुसा पानी

बागीदौरा. शुक्रवार दोपहर बाद बागीदौरा क्षेत्र में दो घंटे मूसलाधार बारिश हुई। इस कारण निचली बस्तियों और घरों में पानी घुस गया। बागीदौरा के नया बस स्टैंड से कस्बे में जाने वाली सड़क पूरी तरह से तालाब बन गई। सड़क पर घुटनों तक पानी भर गया। आनंदपुरी, शेरगढ़, सल्लोपाट, घाटोल, सज्जनगढ़ समेत कई कस्बों और गांवों में शुक्रवार को तेज बारिश हुई। वहीं बिजली गिरने से कई मवेशियों की जान चली गई।

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