पाेस्ट काेविड बच्चों में एमएसआईएस-सी, 11 साल की बच्ची पहली संक्रमित
एक्सपर्ट... मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेंट्री सिंड्राेम की पहचान केवल खून की जांच से ही
बुखार आने पर जांच कराई तो रैपिड टेस्ट भी निगेटिव
जिले में पाेस्ट काेविड मरीजों में ब्लैक फंगस हावी हाेना शुरू हुआ ही है कि अब पाेस्ट काेविड बच्चों में भी नए प्रकार का संक्रमण खतरा पैदा कर रहा है। एक रोगी बांसवाड़ा जिले में भी सामने आया है। डाॅक्टर इस बीमारी काे एमएसआईएस (मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेंट्री सिंड्राेम) कहते हैं। जिसमें तेज बुखार, रेशेज, आंखें-मुंह लाल हाेना जैसे लक्षण हैं। इसमें बच्चों में काेराेना के लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं। लेकिन जब इनमें एंटीबॉडी टेस्ट पाॅजिटिव आता है तब इसका पता चलता है। डाॅक्टर के मुताबिक यह सिंड्राेम सीधे हार्ट पर असर करता है। इस राेग से संक्रमित बांसवाड़ा की 11 साल की बच्ची अहमदाबाद निजी अस्पताल में भर्ती है।
बुखार आने पर शहर में ही कराते रहे इलाज, रेपिड टेस्ट भी निगेटिव: बच्ची के पिता ने बताया कि 24 मई काे बेटी को बुखार आया। शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया। वहां बुखार का इलाज चलता रहा पर डाॅक्टर ने ही बच्ची काे बाहर ले जाने की सलाह दी। अहमदाबाद आने से पहले रेपिड एंटीजन टेस्ट कराया लेकिन रिपाेर्ट निगेटिव आई थी।
पीडियाट्रिक एक्सपर्ट डाॅ. अभिषेक बंसल बताते हैं कि यह सिंड्राेम बच्चों में ही हाेता है। इसकी पहचान ब्लड की जांचाें से ही हा़े पाती है। इसमें भी लेवल 1 आैर लेवल 2 की जांच अलग अलग हाेती है। लेवल वन में सिम्पटाेमैटिक हाेती है ताे लेवल 2 में उसकी सिवियरिटी कितनी है इसकी जांच की जाती है। सिंड्राेम हार्ट पर असर डालता है ताे अधिक नुकसान हाेने के आसार हाेते हैं। हार्ट में ब्लड कम पहुंचने पर किडनी पर भी असर पड़ सकता है ताे ब्रेन तक भी पहुंच सकता है। इसका पता लगाने के लिए काेराेना का एंटीबॉडी टेस्ट भी किया जाता है। जिससे पता लगाया जाता है कि संबंधित में काेराेना है या पहले हा़े चुका है। यह पाेस्ट काेविड डिजीज है।
बचाव के लिए स्टेरोइड्स जरूरी: डाॅ. बंसल के अनुसार स्टेरोइड्स के अलावा हार्ट पर असर है ताे हार्ट की दवाई, ब्लड प्रेशर पर असर है ताे उसकी दवाइयां दी जाती है। मुख्य रूप से 16 हजार रुपए का इम्यूनाेग्लाेबीलिन के डोज़ देतेे हैं। यह डोज़ बच्चे की उम्र आैर वजन पर भी निर्भर करते हैं। 10 किलो से कम वजन हाेने पर 2 डोज़ आैर 20 किलो तक बच्चों काे 4 डोज़ देते हैं। स्टेरोइड्स से ब्लैक फंगस भी हा़े सकता है, लेकिन इसके सिवाय दूसरा उपाय भी नहीं है। 100 लाेगाें काे स्टेरोइड्स देंगे ताे 2 में ब्लैक फंगस के आसार हाेंगे।