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बेणेश्वर धाम के महंत मावजी महाराज ने की थी 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां, लाक्षा की स्याही व बांस की कलम से लिखी हस्तलिपी

Banswara
बेणेश्वर धाम के महंत मावजी महाराज ने की थी 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां, लाक्षा की स्याही व बांस की कलम से लिखी हस्तलिपी
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वागड़ (बांसवाड़ा-डूंगरपुर) में निष्कलंक भगवान के तौर पर पूजे जाने वाले बेणेश्वर धाम (त्रिवेणी संगम) के महंत मावजी महाराज की कलम से करीब 237 साल पहले की गई भविष्यवाणियां आज के युग में सही साबित हो रही हैँ।

उस जमाने में मावजी महाराज ने कागज पर लाक्षा (लाख) की स्याही और बांस की कलम से 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियों को हस्तलिपि में लिखा था। वागड़ी भाषा में लिखी गई यह हस्तलिपियां आज भी साबला (डूंगरपुर) स्थित मावजी के जन्म स्थान (वर्तमान में मंदिर) में सहज कर रखी गई हैं। हस्तलिपी वाले प्रमाणों के हिसाब से उस जमाने में, जब हैलीकॉप्टर, हवाई जहाज, बिजली, डामर सड़क और मोबाइल जैसे अविष्कारों का नामों निशान नहीं था।

जब उन्होंने चित्रों के माध्यम से ऐसी कल्पनाओं से भविष्य की तस्वीर को कागजों में उकेरा था। अब मावजी के इन्हीं चोपड़ों (हस्तलिखित दस्तावेज) को डिजिलाइजेशन भी हो रहा है। माव कृतियां चोपड़ों तक ही सीमित नहीं हैं।

मावजी महाराज की हस्तलिपी में ज्ञान भंडार, अकल रमण, सुरानंद, भजनावली, भवन स्त्रोत, ज्ञानरल माला, कलंगा हरण और न्याव जैसे कृतियां भी शामिल हैं। कहते हैं अक्षरज्ञान के भरोसे यह सब लिखा था। भविष्यवाणियों को लेकर कई शोध भी हो रहे हैं। भविष्य वक्ता के तौर पर उनके 1784 में साधना में लीन होने के प्रमाण भी वागड़ के प्रयागराज में हैं।

चोपड़ों में कुछ इस तरह से लिखा हुआ है भविष्य।
चोपड़ों में कुछ इस तरह से लिखा हुआ है भविष्य।

समय में परिवर्तन बताती है हस्तलिपी

  • वायरे बात होवेगा : (तात्पर्य है कि हवा में लोगों की बात होगी। वर्तमान में मोबाइल के माध्यम से बात हो रही है।)
  • परिऐ पाणी वेसाएगा : (आशय माप कर पानी बेचा जाएगा। वर्तमान में पैक बोटलों में लीटर के भाव बिक रहा है पानी।)
  • डोरिये दीवा बरेंगा : (तात्पर्य डोरियों से दीपक जलेंगे। वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय कुटीर ज्योति योजना में गांव-ढाणियों में बिजली तारों से रोशनी हो रही है।)
  • भेंत में भभुका फूटेगा : (तात्पर्य दीवारों में पानी आएगा। वर्तमान में लोगों के घरों की नल सुविधा।)
  • खारा समुंदर मिट्‌ठा जल होसी : (अर्थात समुद्र का खारा पानी मीठा होगा। वर्तमान में सम्रुद्र के पानी को उपयोग बनाने के प्रयास हो रहे हैं।)
  • पर्वत गिरी ने पाणी होसी : (मतलब पर्वत पिघलकर पानी बनेंगे। वर्तमान में हिम पर्वत पिघल कर पानी हो रहे हैं। सम्रुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है।)
  • समुंदर ने तीरे कर्षण कमासी : (समुद्र के किनारों पर किसान कमाएंगे। वर्तमान में नमक की पैदावार के अलावा विशेष वनस्पतियों की खेती हो रही है।)
  • पूरब-पश्चिम वायरा बाजसी सर्वे वाणी फरसी रे : (मतलब पूर्व-पश्चिम की संस्कृति में मेल जोल होगा। वर्तमान में हमारा देश पश्चिम संस्कृति के पीछे भाग रहा है।)
  • जमीन आसमान का पर्दा टूटेगा : (तात्पर्य जमीन और आसमान के बीच की दीवार टूटेगी। वर्तमान में ओजोन मंडल में छेद का उदाहरण सामने हैं।)
  • धरती तो तांबा वरणी होसी : (धरती तपकर तांबे के रंग की हो जाएगी। धरती का तापमान निरंतर बढ़ता जा रहा है।)
  • साबला में मावजी के जन्म स्थान में बने इस हरि मंदिर में सुरक्षित है चोपड़ा।

सटीक है ये भविष्यवाणियां

  • बग सरणे हंस बिसती, हंस करे बग नी सेवा : (अर्थात बगुले की शरण में हंस बैठेगा और हंस बगुले की सेवा करेगा। अर्थात अयोग्य व्यक्ति की सेवा होशियार आदमी के माध्यम से होगी। वर्तमान में नेताओं के अधीन रहकर आईएएस-आईपीएस जैसे पदों पर बैठे लोग सेवाएं दे रहे हैं।)
  • चार जुगना बंधन तोड़ी, जुगना भगत तारया :(अर्थात चार युगों से चले आ रहे जाति-धर्म के बंधन टूटेंगे। भक्ति के माध्यम से ही नय्या पार लगेगी।)
  • बधनि सिर थकी भार उतरयसी : (तात्पर्य बैलों के सिर पर बोझ हल्का होगा। वर्तमान में खेतों की जुताई के लिए आधुनिक उपकरण के तौर पर ट्रैक्टर काम में लिए जा रहे हैं। बैलों से खेती का चलन कम हो गया है।)
  • बहू बेटी काम भारे, सासु पिसणा पिसेगा : (तात्पर्य है कि घर के कामकाज में बहू बेटियां भारी पड़ेंगी। सास घर का आटा पीसेगी। वर्तमान में पढ़ी-लिखी लड़कियां और बहुएं नौकरी करती हैं। घर संभालने वाली सास काम करती है।)
  • धोबी के घर गाय रहेगी, बकरी ब्राह्मण राखेगा : (तात्पर्य परंपरागत काम को छोड़कर लोग दूसरे नए काम करेंगे।)
  • ऐसे सहेजे हुए हैं इतिहास के पुराने पन्ने।

ऐसे समझेंगे इस तस्वीर को

मावजी महाराज ने दो सौ साल पहले चित्रों के माध्यम से भी भविष्य की तस्वीर बताई थी। तस्वीर को ढंग से देखने पर ज्ञात होता है कि बाएं हिस्से में गोल चकरीनुमा आकृति वर्तमान की पवन चक्की है। बीच में एक आदमी बैठा हुआ है।

ढंग से देखने पर पता पड़ता है कि आदमी के हाथ में माउस है। सामने कम्प्यूटर और की-बोर्ड है। रॉकेट, मिसाइल, दुर्ग और भी हैं। नीचे की ओर अंतरिक्ष यान की दिख रहा चित्र वर्तमान का सेटेलाइट है। इसी के दोनों ओर हल्के हरे रंग में दिखने वाले दो बिन्दुओं को गौर करने पर दिखाई देता है कि दो अलग-अलग दिशा में लोग फोन पर बात कर रहे हैं।

मावजी महाराज की बनाई वह तस्वीर जिसमें आज की स्थिति स्पष्ट होती है।
मावजी महाराज की बनाई वह तस्वीर जिसमें आज की स्थिति स्पष्ट होती है।

अलग-अलग है मान्यतामान्यता है कि मावजी महाराज की ओर से भविष्यवाणी वाले तीन चोपड़े लिखे थे। इनमें से एक हरि मंदिर में सुरक्षित है। दूसरा यहां बने हुए आबू दर्रा के भीतर है, जबकि तीसरा चोपड़ा अंग्रेज यहां से टोक्यो (जापान) लेकर गए थे। वहीं से वायुयान जैसे अविष्कारों को नई दिशा मिली। वहीं कुछ लोगों की मान्यता है कि इसके अलावा एक चोपड़ा शेषपुर मंदिर (झल्लारा, उदयपुर) और एक बांसवाड़ा में भी रखा हुआ है। इन चोपड़ों पर आज भी अध्ययन कार्य जारी है।

माव परंपरा का आगाज
वर्तमान में वेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज के अनुसार विक्रम संवत 1784 में मावजी महाराज ने वेणेश्वर में गादी स्थापित कर माव परंपरा आरंभ की थी। पांच साल यहां बिताने के बाद मावजी 1801 में धौलागढ़ रहे। उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र का आदिवासी समाज राज करेगा।

समय बदलेगा और वेणेश्वर का पानी बहुत उपयोगी हो जाएगा। मावजी महाराज की अब तक भी सभी भविष्यवाणी सही हुई है। बदलते समय में बची हुई वाणियां भी पूरी होंगी। वागड़ अंचल के अलावा मध्यप्रदेश और गुजरात में माव भक्तों की कमी नहीं है।

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