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पिछड़े आदिवासी इलाकों को रोजगार से जोड़ें, ताकि बच्चों को गिरवी रखने की नौबत न आए: मानवाधिकार आयोग

Banswara
पिछड़े आदिवासी इलाकों को रोजगार से जोड़ें, ताकि बच्चों को गिरवी रखने की नौबत न आए: मानवाधिकार आयोग
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बाल अधिकारिता विभाग ने बांसवाड़ा सहित संभाग के 6 जिलों के लिए महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। आदेश में बताया है कि बांसवाड़ा सहित जिन जिलों में पैसों के लिए बच्चों को गडरिए के पास रखे जाने की प्रथा और चलन है वहां पर जनजातियों, जातियों के लिए क्षेत्रीय, विकास, गरीबी उन्मूलन और रोजगार के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं कार्यक्रमों का सुचारु संचालन किया जाए।  जिसके तहत आयोग ने भी खबर पर मुहर लगाते हुए यह आदेश भी दिए है कि पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने, पुनर्वास और उनके भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को भी कहा है। साथ ही इस प्रकार की प्रथा वाले अन्य क्षेत्र को सर्वे द्वारा चिह्नित कर जानकारी देने को कहा है। बाल अधिकारिता विभाग के आयुक्त एवं शासन सचिव ने खबर का हवाला देते हुए कहा है कि बांसवाड़ा जिले के कई गांवों में गरीबी और भोजन की अनुपलब्धता के कारण कई माता पिता और अभिभावक अपने बालकों को गडरिए के पास 1500 से 2000 रुपए में गिरवी रखते हैै। बच्चों को पशु चराने में लगाया जाता है। 

इस प्रथा और मजबूरी से बांसवाड़ा जिले के चुंडई, बोरतालाब, मेमखोर, व प्रतागपढ़ के बावड़ीखेड़ा, लिमबोड़ी, अंबाघाटी क्षेत्र प्रभावित हैं। 

इस मामले में कलेक्टर ने भी तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की। जिस रिपोर्ट पर मानवाधिकार आयोग दिल्ली ने निस्तारण करते हुए दिशा निर्देश जारी किए।

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