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5 साल में कुलपति सहित 5 कर्मचारी ही स्थाई, तीन साल से अटकी है भर्ती

Banswara
5 साल में कुलपति सहित 5 कर्मचारी ही स्थाई, तीन साल से अटकी है भर्ती
@HelloBanswara - Banswara -

गाेविंद गुरु जनजातीय यूनिवर्सिटी, बांसवाड़ा (जीजीटीयू) देश की एक ऐसी यूनिवर्सिटी है जहां पर पांच साल में कुलपति सहित पांच कर्मचारियाें की ही स्थाई पाेस्टिंग की गई। इनके अलावा गैर शैक्षणिक कार्याें के लिए जाे भी कर्मचारी हैं वे प्लेसमेंट एजेंसी, प्रतिनियुक़ति और पढ़ाने के लिए भी अस्थाई रूप से गेस्ट फैकल्टी लगा रखी हैं। इनकी संख्या भी स्वीकृति पदाें की अपेक्षा बहुत कम हैं।


यूनिवर्सिटी की शुरुआत 1 जुलाई 2016 काे हुई थी लेकिन पांच साल में पांच से ज्यादा स्थाई कर्मचारी नहीं लगने के कारण यूनिवर्सिटी की गरीमा ही नहीं रही। सत्र 2018 में विश्वविद्यालय में 40 में से 22 गैर शैक्षणिक पदाें पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी कर परीक्षा करवाई लेकिन प्रदेश के टीएडी मंत्री अर्जुनसिंह बामनिया ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी लेकर राज्यपाल काे पत्र लिखा। राजभवन से भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका के कारण आगामी आदेश तक भर्ती प्रक्रिया पर राेक लगा दी गई जाे आज तक भी नहीं हटी है। 35 में से 25 शैक्षणिक पदाें पर भी भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी गैर शैक्षणिक पदाें पर भर्ती नहीं हाेने के कारण शैक्षणिक पदाें की भर्ती भी अटक गई।


1 साल बाद स्थाई कुलपति
{जुलाई 2016 में यूनिवर्सिटी के बांसवाड़ा स्थानांतरित हाेने के बाद तत्कालीन संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा (आईएएस) काे कुलपति का जिम्मा साैंपा गया था। करीब एक साल बाद विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति के रूप में प्राे. कैलाश साेडाणी काे लगाया गया।


 हमने रिक्त पदाें काे भरने के लिए राज्य सरकार काे पत्र लिखा है। संभावना है कि अगले कुछ दिनाें में राज्य सरकार से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की स्वीकृति प्राप्त हाे जाए। लेक्चरर, कर्मचारी सहित कई महत्वपूर्ण पदाें पर स्थाई नियुक्ति नहीं हाेने के कारण समस्या ताे हाेती है। -प्राे. आईवी त्रिवेदी, कुलपति, जीजीटीयू


ऐसे समझें स्वीकृत और खाली पदाें का गणित
गैर शैक्षणिक : कुलपति सहित 40 गैर शैक्षणिक पद स्वीकृत हैं। इनमें से 22 पदाें काे भरने के लिए 2018 में स्वीकृति जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। इस कैटेगरी के 40 में से केवल पांच पदाें पर ही स्थाई नियुक्ति हुई है। पांच लेक्चरर दूसरे काॅलेजाें से प्रतिनियुक्ति पर रखे हुए हैं। इनके अलावा 26 कर्मचारियाें काे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ले रखा है जिनकाे याेग्यता नहीं हाेते हुए ही अलग-अलग काम बांट रखा है। पांच स्थाई नियुक्ति वाले पदाें में कुलपति, रजिस्ट्रार, वित्त नियंत्रक, सहायक लेखाधिकारी और कनिष्ठ लेखाकार शाामिल है। इसके अलावा अन्य बड़े पदाें में परीक्षा नियंत्रक, शाेध निदेशक, संबद्धता प्रभारी और चेयरमैन आॅफ स्पाेर्ट्स बाेर्ड के पद प्रतिनियुक्ति पर लगा रखे कार्यरत लेक्चरराें से भरे गए हैं, जिनकी मूल ड्यूटी दूसरे काॅलेजाें में है।


तीन जिलाें के 152 काॅलेजाें का एफिलिएशन, एक लाख छह हजार स्टूडेंट हैंं
{बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ जिले के 152 काॅलेजाें का एफिलिएशन इस यूनिवर्सिटी से हैं। इनमें 1 लाख 6 हजार स्टूडेंट हैं। इसके अलावा 235 अभ्यर्थी अलग-अलग विषयाें में शाेध करने के लिए भी पंजीकृत हैं। परीक्षा संबंधित या अन्य काेई काम हाेने पर यूनिवर्सिटी अलग-अलग काॅलेजाें से कर्मचारी अस्थाई रूप से बुलाती है।


शैक्षणिक: यूनिवर्सिटी में पीजी सहित एडिशनल काेर्स चल रहे हैं लेकिन इन काेर्सेज में पढ़ाने वाला एक भी लेक्चरर स्थाई नहीं है। सभी गेस्ट फैकल्टी के भराेसे ही स्टूडेंट्स की पढ़ाई है। जबकि यहां एलएलएम, एमएससी मैथ्स, एमएससी बाॅटनी, एमएसी कैमेस्ट्री और जूलाॅजी सहित उर्दू, एमबीए, एमकाॅम और याेगा के काेर्स चल रहे हैं। शैक्षणिक 35 पदाें में 5 प्राेफेसर, 10 एसाेसिएट प्राेफेसर और 15 असिस्टेंट प्राेफेसर के पद हैं। राज्य सरकार से इनमें से 25 पदाें काे भरने की स्वीकृति पूर्व में जारी हुई थी लेकिन गैर शैक्षणिक पदाें की भर्ती अटकने से शैक्षणिक पदाें पर भी भर्ती नहीं करवाई गई।

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