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काेराेना में बढ़ा सरकारी स्कूल का नामांकन इस बार 12 हजार घटा

Banswara
काेराेना में बढ़ा सरकारी स्कूल का नामांकन इस बार 12 हजार घटा
@HelloBanswara - Banswara -
बांसवाड़ा सहित प्रदेशभर में काेराेना के कारण पिछले साल जाे सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा था उसमें इस बार फिर भारी गिरावट दर्ज की गई है। महज बांसवाड़ा जिले में ही अब तक हुए नामांकन में 11994 स्टूडेंट्स का नामांकन घट गया है। यह अांकड़ा संभाग में सबसे ज्यादा है। संभाग में सिर्फ प्रतापगढ़ ही एेसा जिला है जहां 3583 स्टूडेंट्स का नामांकन पिछले साल से ज्यादा बढ़ा है।

कोरोना महामारी के कारण राजकीय विद्यालयों के नामांकन में आया बूम इस बार घटता हुआ नजर आ रहा है। कोरोना काल में विद्यार्थियों को प्रमोट करने के बावजूद निजी विद्यालयों द्वारा फीस वसूली की मनमानी से तंग आकर अभिभावकों ने राजकीय विद्यालयों की ओर रूख किया था। लेकिन, मात्र एक ही साल में अभिभावकों एवं विद्यार्थियों का राजकीय विद्यालयों से वापस लौटना शिक्षा विभाग के लिए चिंता का विषय है। जिले में पिछले साल 402701 नामांकन हुअा था जाे इस साल 390707 पर रह गया है। शाला दर्पण पोर्टल के अनुसार अाॅवरअाॅल पूरे प्रदेश में 9399269 नामांकन है जाे पिछले साल 9896349 तक पहुंच चुका था। यानि साफ है कि अभिभावकों ने फिर से निजी स्कूलों की तरफ रूख कर लिया है क्योंकि वहां पढ़ाई की नियमितता लाैट अाई है।

10% नामांकन बढ़ाना था, 5% कम हो गया इस बार शिक्षा विभाग ने प्रवेशोत्सव लिए काफी मशक्कत की, लेकिन फिर भी सफलता नहीं मिली। विभाग ने 10 प्रतिशत नामांकन बढ़ोतरी का लक्ष्य तय किया। इसके उलट नामांकन में 5.02 प्रतिशत की कमी हो गई। नामांकन में सबसे अधिक कमी जयपुर में एवं सबसे कम कमी जैसलमेर में हुई। जबकि, गत वर्ष विभाग ने प्रवेशोत्सव के लिए कोई खास मशक्कत नहीं की थी। इसके बावजूद प्रदेश के प्रत्येक जिले में नामांकन में वृद्धि हुई थी। नामांकन में सबसे अधिक वृद्धि जोधपुर में तथा सबसे कम प्रतापगढ़ में हुई थी।

^पाेर्टल पर हर दिन अांकड़ा कम हाे रहा है। स्कूलाें में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। कुछ स्टूडेंट्स के अाधार कार्ड अाैर जन अाधार नहीं हाेने से उन्हाेंने एडमिशन ताे ले लिया है, लेकिन पाेर्टल पर अपलाेड नहीं हाेने से अांकड़ा अभी अधिक दिख रहा है। यह काम भी स्कूल स्तर पर किया जा रहा है अपलाेड का। जाे लक्ष्य जिले काे मिला है वाे पूरा कर लिया जाएगा। सुशील कुमार जैन, एडीपीसी, समग्र शिक्षा अभियान बांसवाड़ा।

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