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जनवरी-मार्च तिमाही में 2.2 प्रतिशत अनुमान के मुकाबले जीडीपी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही

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जनवरी-मार्च तिमाही में 2.2 प्रतिशत अनुमान के मुकाबले जीडीपी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही
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मुंबई. जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही है। हालांकि पूरे साल के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 4.2 प्रतिशत रही। इसी तरह ग्रास वैल्यू एडेड (जीवीए) 3.9 प्रतिशत रहा है। यह जानकारी केंद्रीय सांख्यिकीय विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी की गई। कोरोना संकट के बाद यह आंकड़ा पहली बार जारी किया गया है। 

पिछले साल 6.1 प्रतिशत रही थी जीडीपी की वृद्धि दर

इससे पहले अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत थी। जबकि 2019 के पूरे साल के दौरान यह वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी। भारत की रियल जीडीपी की बात करें तो यह इस समय 145.66 लाख करोड़ रुपए पर टिकी है। चौथी तिमाही की जीडीपी 38.04 लाख करोड़ रुपए रही है जो 2018-19 में समान अवधि में 36.90 लाख करोड़ रुपए थी। वित्तीय वर्ष 2019 में पहले रिवाइज के दौरान यह आंकड़ा 139.81 लाख करोड़ रुपए था।

आगे रिवाइज हो सकता है जीडीपी की वृद्धि दर का अनुमान

सरकार ने इस दौरान पहली, दूसरी, तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों को रिवाइज किया है। इसके अनुसार यह आंकड़ा 5.2, 4.4 और 4.1 प्रतिशत रहेगा। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कोविड-19 और लगातार चल रहे लॉकडाउन की वजह से जीडीपी वृद्धि के अनुमान को आगे भी रिवाइज कर सकती है। सांख्यिकीय मंत्रालय ने इस तरह का संकेत दिया है कि तिमाही और सालाना अनुमान आगे रिवाइज किया जा सकता है।

माइनिंग और कृषि में अच्छी रही विकास दर

माइनिंग ग्रोथ की बात करें तो यह चौथी तिमाही में 2.2 प्रतिशत से बढ़कर 5.2 प्रतिशत रही है। कृषि की विकास दर इसी अवधि में तिमाही आधार पर 3.6 प्रतिशत से बढ़कर 5.9 प्रतिशत पर रही है। इससे पहले अप्रैल में 8 सेक्टर की वृद्धि दर 38.1 प्रतिशत गिरी। मार्च में इसमें 9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इलेक्ट्रिसिटी आउटपुट 22.8 प्रतिशत गिरा जबकि सीमेंट के आउटपुट में 86 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ माइनस में रही

स्टील का आउटपुट 84 प्रतिशत, फर्टिलाइजर का 4.5 प्रतिशत, रिफाइनरी का 24.2 प्रतिशत, क्रूड ऑयल का 6.4 प्रतिशत, कोयला का 15.4 प्रतिशत गिरा है। इसमें सबसे खराब स्थिति मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रही है जिसकी ग्रोथ -1.4 प्रतिशत रही है। एक साल पहले इसी अवधि में यह 2.1 प्रतिशत थी। फार्म सेक्टर की ग्रोथ रेट 5.9 प्रतिशत रही है जो एक साल 1.6 प्रतिशत था।

मार्च में एक हफ्ते की बंदी से ज्यादा असर नहीं

हालांकि इस आंकड़ें पर लॉकडाउन का ज्यादा असर इसलिए नहीं पड़ा है क्योंकि मार्च के अंतिम हफ्ते में लॉकडाउन शुरू हुआ था। इस तरह से देखा जाए तो महज एक हफ्ते के बंद का ही इस पर असर हुआ है। बीते वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में विकास दर क्रमशः 5.1 फीसदी, 5.6 फीसदी और 4.7 फीसदी थी।  

तमाम एजेंसियों ने 2 प्रतिशत से नीचे का अनुमान लगाया था

बता दें कि इससे पहले तमाम एजेंसियों ने अपना-अपना अनुमान पेश किया था। ज्यादातर एजेंसियों ने मार्च तिमाही में 2 प्रतिशत से नीचे ही जीडीपी का अनुमान व्यक्त किया था। हालांकि पूरे साल के लिए यह आंकड़ा 5 प्रतिशत से नीचे का अनुमान लगाया गया था। इक्रा ने मार्च तिमाही के लिए 1.9 प्रतिशत, क्रिसिल ने 0.5 प्रतिशत, एसबीआई ने 1.2 प्रतिशत, केयर ने 3.6 प्रतिशत, आईसीआईसीआई बैंक ने 1.5 प्रतिशत और नोमुरा ने 1.5 प्रतिशत के जीडीपी का अनुमान लगाय था।  

पूरे साल के लिए 4 प्रतिशत से ऊपर का अनुमान था

जबकि पूरे साल के लिए इ्रक्रा ने 4.3 प्रतिशत, क्रिसिल ने 4, एसबीआई ने 4.2, केयर ने 4.7, आईसीआईसीआई बैंक ने 5.1 और फिच ने 5 प्रतिशत का अनुमान लगाया था। बता दें कि लॉकडाउन4.0 रविवार को समाप्त हो रहा है। जीडीपी का आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि कोविड-19 से लॉकडाउन के बाद यह पहली बार जारी हो रहा है।

लॉकडाउन से पहले देश की विकास दर 6 साल के निचले स्तर पर 

लॉकडाउन से पहले भारत की विकास दर पिछले छह साल में सबसे निचले स्तर पर थी। एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस संकट के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगने की आशंका है। देश की अर्थव्यवस्था को 1.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है। सरकार ने इस साल में पहले ही 12 लाख करोड़ रुपए की उधारी ले रखी है। इसका असर आनेवाले समय में आंकड़ों पर दिखेगा।

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