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पृथ्वीगंज स्कूल में संस्थाप्रधान ने की वित्तीय गड़बड़ियां, जांच अधिकारी ने कहा-स्कूल की हाईलेवल जांच जरूरी

Banswara
पृथ्वीगंज स्कूल में संस्थाप्रधान ने की वित्तीय गड़बड़ियां, जांच अधिकारी ने कहा-स्कूल की हाईलेवल जांच जरूरी
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शिक्षा विभाग की ओर से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पृथ्वीगंज स्कूल बिलों के भुगतान में अनियमितताओं की जांच की गई। जिसमें जांच अधिकारी को कई प्रकार की गड़बडिय़ां मिली हैं। यह गड़बडिय़ां स्कूल के तत्कालीन संस्थाप्रधान और कुछ स्टाफ की मिलीभगत से की गई है। स्कूल में जिस प्रकार की गड़बडिय़ां मिली है उसे देखते हुए जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में यह तक सुझाव दिया है कि लेखाकार्य में जिस प्रकार से अनियमित कार्य किए गए हैं उसे देखते हुए उच्च स्तरीय जांच दल जिसमें लेखा विशेषज्ञ कि अनिवार्य उपस्थिति से स्कूल के रिकॉर्ड की पूरी जांच की जानी आवश्यक है। विभाग ने यह जांच कमेटी दैनिक भास्कर द्वारा स्कूल में बिलों के भुगतान में फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद की गई। विभाग की रिपोर्ट से भास्कर की खबर पुष्ट हो चुकी है। जांच अधिकारी ने यह जांच स्कूल में बिलों के भुगतान में अनियमितता, विद्यालय विकास कोष और राज्यस्तरीय शिक्षक खेलकूद प्रतियोगिता के लिए प्राप्त सहयोग राशि और उसके खर्च पर की थी। रिपोर्ट के अनुसार स्कूल में विकास कोष का चार्ज मार्च 2017 से जनवरी 2019 तक मनोज देवड़ा शिक्षक के पास था, जिसकी जानकारी प्रधानाचार्य ने दी। इधर मनोज देवड़ा ने जांच टीम को बताया कि उन्होंने यह चार्ज लिया ही नहीं। जांच अधिकारी के मुताबिक मार्च 2017 से पहले विकास कोष का पूरा चार्ज लिपिक यशवंत जोशी के पास था, जिन्होंने आज तक चार्ज हस्तांतरित नहीं किया है। रोकड़ पंजिका पूरी है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है।

दानदाताओं की राशि बैंक में जमा नहीं कराई : राज्यस्तरीय शिक्षक खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के लिए अनेक दानदाताओं से सहयोग में राशि मिली, लेकिन एक भी बार बैंक खाते में जमा नहीं की गई। राशि को रोकड़ पंजिका में रसीदों के अनुसार आय दर्शाई और जो राशि खर्च की गई वह सीधे नकद में ही बिलों का भुगतान किया गया। जांच टीम को रोकड़ पंजिका में इंद्राज बिलों की राशि का भुगतान भी संदेहास्पद लगा। अनेक बिल कांट छांट किए नजर आए, जिसमें राशि बढ़ाकर भुगतान किया गया। कुछ बिलों का खर्च अन्य शिक्षक द्वारा किया, लेकिन उस शिक्षक को राशि नहीं देकर वाउचर पर पेड बाय मी लिखकर मनोज देवड़ा ने भुगतान उठाया। खबर छपने के बाद देवड़ा ने चैक द्वारा राशि जमा कराई।

जांच रिपोर्ट में इन गड़बडिय़ों की पुष्टी

जांच रिपोर्ट के मुताबिक 1600 रुपए का भुगतान शारीरिक शिक्षक विमल त्रिवेदी द्वारा किया गया, वह राशि उन्हें नहीं देकर रोकड़ पंजिका में खर्च लिख दिया। त्रिवेदी द्वारा आपत्ति देने पर देवड़ा ने चैक से 1600 रुपए राशि जमा कराई। गंगा इंटरप्राइजेज के बिल राशि का खर्च विजय पाटीदार ने किया, उसका भुगतान किया गया ऐसा वाउचर बनाकर मनोज देवड़ा ने राशि उठा ली, लेकिन विजय पाटीदार को भुगतान नहीं किया। इसकी भी आपत्ति आने पर देवड़ा ने 9 हजार 50 रुपए जमा कराए। ठीक इसी प्रकार टेंट हाउस को 27500 रुपए का भुगतान बताया, जबकि 15 हजार नकद राशि दी गई। आपत्ति आने पर 10 जुलाई 2019 को 12500 रुपए चैक द्वारा भुगतान किया गया।

जांच में निकला निष्कर्ष

-लेखा नियमों के मुताबिक भुगतान आहरण वितरण अधिकारी द्वारा चैक द्वारा किया जाना होता है, लेकिन प्रधानाचार्य ने भुगतान नकद ही किए हैं।

- लिपिक यशवंत जोशी की पदोन्नति होने के बाद भी चार्ज नहीं देना और 2017 से पहले का रिकॉर्ड भी नियमित संधारित नहीं होना पाया गया। 2017 के बाद मनोज देवड़ा को चार्ज मौखिक आदेश पर दिया और समय के अनुसार रोकड़ पंजिका का संधारण नहीं कर देर से संधारण किया गया। जिससे प्रतीत होता है कि सोनी ने कई स्तर पर लापरवाही रखी।

-जांच टीम के सवालों पर सोनी और शिक्षक देवड़ा एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे।

प्रधानाचार्य ने उठाए थे 18 हजार रुपए

प्रधानाचार्य वसु मित्र सोनी ने स्वयं के नाम से 22 सितंबर 2017 को चैक से 18 हजार रुपए राशि विड्रो कराई जिसे 17 जनवरी 2018 को फिर से जमा कराया। इसका स्पष्टीकरण सोनी ने दिया कि शिक्षक सम्मान समारोह के लिए निकाले थे जो वापस जमा किए।

स्कूल की परिस्थितियों को बताया दुर्भाग्य : जांच अधिकारी के मुताबिक स्क्ूल में प्रधानाचार्य का पद महत्वपूर्ण है। प्रधानाचार्य की जानकारी के बिना कोई शिक्षक लंबे समय तक रोकड़ पंजिका का संधारण नियमित नहीं करे चार्ज समय पर नहीं दे तो इसकी जिम्मेदारी प्रधानाचार्य की होती है।
 

By Bhaskar

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