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चीन की 'ग्लोबल घेराबंदी', ड्रैगन को सबक सिखाएगी दुनिया

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चीन की 'ग्लोबल घेराबंदी', ड्रैगन को सबक सिखाएगी दुनिया
@HelloBanswara - International -

चीन इस समय विस्तारवाद के नशे में डूबा है. इसका एक ताजा उदाहरण सैटेलाइट से हासिल हुई कुछ नई तस्वीरें हैं. तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि चीन ने फिंगर 4 और फिंगर 5 के बीच बड़े-बड़े अक्षरों में मैंडरिन भाषा में चीन शब्द लिख दिया है और साथ ही इस जगह पर चीन का नक्शा भी उकेरा गया है. मैंडरीन में चीन के प्रतीक और इन नक्शे को जितने इलाके में उकेरा गया है वो करीब 81 मीटर लंबा और 25 मीटर चौड़ा है.

ये प्रतीक चिन्ह आकार में इतने बड़े हैं कि इन्हें इस इलाके के ऊपर से गुजरते सैटेलाइट्स के जरिए देखा जा सकता है. भारत और चीन के बीच जो इलाका विवादित है वहां पर इस तरह की हरकतें करके चीन ने ये साफ कर दिया है कि वो बातचीत का सिर्फ दिखावा कर रहा है. हालांकि आधिकारिक तौर पर इन तस्वीरों की अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन बाकी की तस्वीरों की तरह इन्हें भी प्रमाणिक माना जा रहा है.

चीन में बना सामान कितना मजबूत होगा इसकी तो कोई गारंटी नहीं होती. लेकिन चीन अपने ही लोगों के खिलाफ ऐसे मजबूत कानून बनाने के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात है जो लोगों की आजादी छीनने में सक्षम हैं.

ठीक 23 वर्ष पहले यानी 30 जुलाई 1997 की आधी रात को ब्रिटेन ने हॉन्ग कॉन्ग को चीन को सौंप दिया था. इसके साथ शर्त ये थी कि चीन एक देश दो सिस्टम के तहत हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्ता और वहां के नागरिकों के अधिकारों का पूरा ख्याल रखेगा और उनकी आजादी पर आंच नहीं आने देगा. लेकिन चीन का ये वादा उसके सामान की तरह टिक नहीं पाया और मंगलवार की आधी रात को चीन ने हॉन्ग कॉन्ग में नया सुरक्षा कानून लागू करके वहां के लोगों की आजादी को बहुत हद तक छीन लिया.

चीन द्वारा ये कदम उठाते ही हॉन्ग कॉन्ग में एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और यहां की पुलिस ने नए कानून के तहत 2 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है. सबसे पहले गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का दोष सिर्फ इतना था कि उसने हाथ में हॉन्ग कॉन्ग का झंडा उठा रखा था.

इस नए सुरक्षा कानून के तहत चीन के खिलाफ आवाज उठाने वालों को उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. अब अगर हॉन्ग कॉन्ग में कोई व्यक्ति चीन के अत्याचारों का विरोध करेगा, सार्वजनिक संपत्ति या पुलिस के वाहन को नुकसान पहुंचाएगा, चीन से आजादी की मांग करेगा या फिर चीन के विरोध में नारे लगाएगा तो उसे इस नए कानून के तहत जेल में डाला जा सकता है और अधिकतम उम्र कैद की सजा दी जा सकती है.

हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र की मांग करने वाले लोगों का कहना है कि चीन उनकी आवाज दबाना चाहता है और ये कानून चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी का विरोध करने वालों को जेल में डालने के लिए लाया गया है.

इस कानून का विरोध सिर्फ हॉन्ग कॉन्ग में ही नहीं हो रहा बल्कि इसके विरोध में दुनिया के 27 देशों ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने की मांग की है. इन 27 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि चीन ने ये कानून लागू करके एक देश दो सिस्टम के सिद्धांत को नजर अंदाज किया है और चीन को हॉन्ग कॉन्ग के लोगों की आवाज सुननी चाहिए. इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र की मानव अधिकार परिषद में चीन के खिलाफ एक अपील दायर की है और मांग की है चीन संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को हॉन्ग कॉन्ग और शिनजियांग प्रांत में जाने दें. ताकि ये लोग देख सकें कि इन प्रांतों में रहने वाले लोगों के साथ चीन क्या कर रहा है.  

हॉन्ग कॉन्ग की तरह चीन शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर भी अत्याचार कर रहा है और वहां मुस्लिम महिलाओं की जबरदस्ती नसबंदी कराई जा रही है ताकि उइगर मुसलमानों की जनसंख्या को रोका जा सके. जिन 27 देशों ने चीन के संयुक्त राष्ट्र में चीन के खिलाफ आवाज उठाई है उनमें ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे प्रमुख देश शामिल हैं.

हम आपको उन देशों के बारे में बता चुके हैं जो अलग-अलग वजहों से चीन के खिलाफ हैं. आज ये 27 देश भी उनमें शामिल हो गए हैं और अब समय आ गया है कि ये सभी देश मिलकर भारत के नेतृत्व में चीन के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन का निर्माण करें. ताकि दुनिया को चीन की दमनकारी नीतियों से बचाया जा सके.

कुल मिलाकर भारत को अब खुलकर हॉन्ग कॉन्ग का समर्थन करना चाहिए. क्योंकि हॉन्ग कॉन्ग के लोग लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं और भारत जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इस लिहाज से भारत को हर कीमत पर हॉन्ग कॉन्ग का समर्थन करना चाहिए. अगर भारत ऐसा करेगा तो चीन पर दबाव बहुत बढ़ जाएगा और चीन के लिए स्थितियां और मुश्किल हो जाएंगी और यही भारत की जीत होगी.

 

 

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