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सीबीएसई 10वीं-12वीं का परिणाम जारी: विवेकानंद मॉडल स्कूल छींच में विज्ञान में 18 में 10 विद्यार्थी फेल

Banswara
सीबीएसई 10वीं-12वीं का परिणाम जारी: विवेकानंद मॉडल स्कूल छींच में विज्ञान में 18 में 10 विद्यार्थी फेल
@HelloBanswara - Banswara -
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड ने शुक्रवार काे 10वीं और 12वीं के परिणाम जारी कर दिए। हर साल की तरह जिले में इस साल भी सीबीएसई की सरकारी स्कूलाें की तुलना में निजी स्कूलाें ने बाजी मारी। अधिकांश के 100 फीसदी रिजल्ट रहे। हालांकि इस बार बाेर्ड ने रिजल्ट के साथ स्टूडेंट्स की फर्स्ट, सैकंड और थर्ड डिवीजन की लिस्ट जारी नहीं की है। साथ ही रीजन की मेरिट लिस्ट भी जारी नहीं की। केवल सब्जेक्ट वाइज सबसे ज्यादा नंबर हासिल करने वाले 0.1 प्रतिशत स्टूडेंट्स को मेरिट सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

जिले के विवेकानंद मॉडल स्कूल छींच में 12वीं विज्ञान वर्ग में कुल 18 स्टूडेंट्स में 10 फेल हाे गए हैं। महज 5 पास और 3 काे सप्लीमेंट्री आई है। स्कूल से जुड़े कुछ अभिभावकाें की शिकायतें भी सामने आई है कि स्कूल में स्टाफ की कमी है। बच्चों ने खुद पढ़कर पूरा साल निकाला है। इसके अलावा कुछ निजी स्कूलाें ने अपना रिजल्ट तक सार्वजनिक नहीं किया है।

नंबर बढ़वाने के लिए पास स्टूडेंट भी दे सकेंगे कंपार्टमेंट परीक्षा

जो बच्चे पास हो चुके हैं, लेकिन किसी एक सब्जेक्ट में इंप्रूव करना चाहते हैं, उन्हें मौका दिया जाएगा कि वे पूरक परीक्षा में बैठकर अपने नंबर इंप्रूव कर सकते हैं। इसी तरह यदि किसी स्टूडेंट को 5 में से एक सब्जेक्ट में 33% से कम मार्क्स मिले हैं, तो उसे कंपार्टमेंट एग्जाम पास करना होगा, जो जुलाई में होगा।

मां के त्याग की कहानी - पिता नहीं चाहते थे बेटा आगे पढ़े, मां ने गहने बेचकर पढ़ाया

सेंट पाॅल स्कूल का स्टूडेंट्स आकाश पुत्र मगन मोर्या ने 12वीं कॉमर्स में 56.57 फीसदी अंक हासिल किए। आकाश की इस सफलता के लिए उसकी मां ने बहुत बड़ा त्याग किया है। दरअसल, आकाश को उसके पिता ने ठुकरा दिया। आकाश के जन्म के बाद से ही पिता मगन नहीं चाहते थे कि उनका बेटा पढ़े , लेकिन मां लता प्रसाद ने अपने बेटे की तरक्की के लिए पति से दूर रहकर बेटे काे इस मुकाम तक पहुंचाया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के ताैर पर काम करने वाली लता ने बेटे की पढ़ाई लिखाई के लिए ससुराल काे छाेड़ दिया अाैर अपनी मां के घर चली आई। बच्चों की फीस भरने के लिए मां लता ने अपने गहने तक बेच दिए। उनकी शादी प्रथम वर्ष में पढ़ाई के दाैरान ही हाे गई थी, शादी के बाद सैकंड ईयर और थर्ड ईयर की पढ़ाई भी मायके रहकर पूरी की, क्योंकि पति सहित ससुराल के लाेग नहीं चाहते थे कि वाे आगे पढ़ाई करे। काेराेना काल में बच्चों के ऑनलाइन एजुकेशन शुरू हुआ ताे मोबाइल नहीं था, दाेनाें बच्चों की पढ़ाई के लिए भी उसने गहने बेचकर पढ़ाई जारी रखवाई।

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