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बालिग थी पर पोक्सो में बनाया प्रकरण, जांच अधिकारी और तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई के दिए आदेश

Banswara
बालिग थी पर पोक्सो में बनाया प्रकरण, जांच अधिकारी और तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई के दिए आदेश
@HelloBanswara - Banswara -

नाबालिग से ज्यादती के पांच साल पुराने प्रकरण में विशेष काेर्ट ने शुक्रवार काे जांच काे दाेषपूर्ण मानते हुए तत्कालीन पुलिस जांच अधिकारी और तहसीलदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पत्रावलियों के अवलाेकन से सामने आया कि पीड़िता घटना के दिन बालिग थी बावजूद इसके पाेक्साे में प्रकरण दर्ज किया। इसके अलावा पीड़िता की उम्र सामने लाने के लिए जरूरी स्कूल की प्रथम कक्षा की मार्कशीट, आनंदपुरी डाॅक्टर जाे कि इस केस में सारभूत गवाह बन सकता था, काे भी चार्जशीट में शामिल नहीं किया।

इसके अलावा चार्जशीट में भी कांट छांट की गई, जिसे खुद जांच अधिकारी ने स्वीकारा था, लेकिन इसकी वजह नहीं बताई। आराेपी पर आईपीसी की धारा 376 और पाेक्साे एक्ट में दाेष प्रमाणित नहीं हाेने काेर्ट ने दाेषमुक्त घाेषित किया। मामला आनंदपुरी थाना इलाके में साल 2015 का है।

17 मई काे पीड़िता ने आनंदपुरी सीएचसी पर एएसआई के सामने एक पर्चा बयान इस अाशय का दिया था कि वह चार दिन पहले अपने मामा के घर गई थी। जहां मामा की लड़की के साथ फाेटाे खींचवाने के लिए फलवा गांव गई। जहां से चचेरी बहन उसे सलाखेश्वर महादेव मंदिर के पास जंगल में लेकर गई। जहां उसे बिठाकर थाेड़ी देर में आने की बात कहकर चली गई। इसी बीच एक युवक आया और पीड़िता से ज्यादती की।

इसी आशय की पीड़िता की रिपाेर्ट पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 और पाेक्साे एक्ट में प्रकरण दर्ज किया। इस केस में पीड़िता का मेडिकल करने वाले डाॅक्टर ने घटना के वक्त पीड़िता की आयु 18 साल से अधिक हाेना बताया। चार्जशीट के साथ उक्त रिपाेर्ट भी है फिर भी पाेक्साे में अपराध माना। काेर्ट ने कहा कि अनुसंधान की शक्तियाें का दुरुपयाेग करने पर अनुसंधान अधिकारी कपिल पाटीदार और तहसीलदार संग्रामसिंह द्वारा मिलीभगत से संपादित की गई।

मामले की गंभीरता काे देखते हुए काेर्ट ने पुलिस महानिदेशक काे आदेश की काॅपी भेजकर निर्देशित किया कि वह इस निर्णय का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर इस प्रकरण के जांच अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाए। साथ ही तत्कालीन तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारी काे सूचना प्रेषित कर कार्रवाई के बारे में एक महीने में काेर्ट काे अवगत कराए।

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