बैसाखियों पर आया और बना दूसरों का मददगार
उदयपुर में 2500 लोगों की अब तक मदद की
बांसवाड़ा/उदयपुर | ये बांसवाड़ा के दामासात गांव निवासी 26 वर्षीय गोविंदलाल दामा हैं। 21 साल से दोनों पैरों से विकलांग हैं। गोविंद ढाई साल पहले तत्कालीन उदयपुर कलेक्टर बिष्णुचरण मल्लिक के पास बैसाखियों पर अपनी समस्या लेकर आए थे। बीए-बीएड गोविंद बताते हैं कि जुलाई 2017 में तत्कालीन कलेक्टर बिष्णुचरण मल्लिक के पास बेराेजगारी की परेशानी लेकर आया था। पांच भाई-बहनों में मैं सबसे बड़ा हूं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। कलेक्टर मल्लिक ने जनसुनवाई के दूसरे दिन कॉल कर बुलाया अाैर पूछा कि यहां काम कराेगे? मैंने तुरंत हां बोल दिया। उन्होंने अपने चैंबर के बाहर मेरे लिए एक कुर्सी टेबल लगवा दी अाैर कहा कि यहां जनसुनवाई में अाने वाले बहुत से लाेग एप्लीकेशन लिखना नहीं जानते हैं, क्या तुम ये लिख दिया करोगे, लेकिन इसका किसी से काेई पैसा नहीं लेना है। गोविंद अब तक ढाई हजार से ज्यादा लोगों के निशुल्क आवेदन लिखकर उनकी मदद कर चुके हैं।
सपने में भी नहीं सोचा था-यहां काम करने का मौका मिलेगा
गोविंद बताते हैं कि कलेक्ट्रेट में काम करने का मौका मिलेगा, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। एक साल पूर्व जब कलेक्टर मल्लिक का ट्रांसफर हुआ तो चिंता हुई, लेकिन नई कलेक्टर आनंदी ने बात कहा कि अपनी पढ़ाई और यह काम दोनों अच्छे से करो। उन्हाेंने मेरे रहने-खाने-पढ़ने की व्यवस्था कर दी है। आने-जाने के लिए ट्रायसाइकिल भी दिला दी है। रीट व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा हूं।