Home News Business

टूटी आस : सारे अधिकारी-कर्मचारियों का ट्रांसफर, छह साल पहले बंद हो चुका है बांसवाड़ा का ऑफिस, प्रोजेक्ट से जुड़े सभी दस्तावेज डूंगरपुर कार्यालय भेजे जाएंगे

Banswara
टूटी आस : सारे अधिकारी-कर्मचारियों का ट्रांसफर, छह साल पहले बंद हो चुका है बांसवाड़ा का ऑफिस, प्रोजेक्ट से जुड़े सभी दस्तावेज डूंगरपुर कार्यालय भेजे जाएंगे
@HelloBanswara - Banswara -

जमीन अधिग्रहण के बावजूद किसानों को मुआवजा राशि नहीं देने के कारण 31 माह से बंद रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर नई रेल लाइन प्राेजेक्ट को एक और झटका लगा है। रेलवे बोर्ड ने उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) के रतलाम स्थित उपमुख्य अभियंता कार्यालय (निर्माण) कार्यालय को बंद करने का आदेश दे दिया है। इतना ही नहीं उप मुख्य अभियंता (निर्माण) वायके अग्रवाल सहित सारे कर्मचारियों को राजस्थान सीमा में अाने वाले अलग-अलग मंडलों में ट्रांसफर कर रिलीव कर दिया है। प्रोजेक्ट से जुड़े सारे दस्तावेज डूंगरपुर भेजे जा रहे हैं। 2082 करोड़ की रेल लाइन का काम 2011 में डूंगरपुर से शुरू हुआ था। 192 किमी लंबी रेल लाइन में से 142.85 किमी का हिस्सा राजस्थान में, जबकि 49.15 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में है। अर्थवर्क, पुल-पुलियाओं के निर्माण सहित अब तक योजना पर 185 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यह लाइन दिल्ली-मुंबई मुख्य लाइन के मोरवनी (रतलाम) स्टेशन के यहां जुड़ना है। इसके लिए आंबापुरा, झूपेल आदि गांवों में ट्रेक बिछाने के लिए मिट्‌टी भी बिछा दी गई थी। ज्यादातर इलाके की जमीन अधिग्रहित कर दी गई थी। वहीं डूंगरपुर और रतलाम में भी काम शुरू किया गया था।

6 साल में बंद हो गया कार्यालय : उपमुख्य अभियंता निर्माण कार्यालय 2012-13 में बनना शुरू हुआ था, जो 2015-16 में बनकर तैयार हुआ। इसके पहले अभियंता रतलाम रेल मंडल कार्यालय की इंजीनियरिंग विंग में बैठते थे। शुरुआत में कार्यालय में उप मुख्य अभियंता सहित 15 लोगों का स्टाफ था। इनमें से 4 सेवानिवृत्त हो गए, 4 ने ट्रांसफर करा लिया। वर्तमान में उपमुख्य अभियंता, इंजीनियर, पॉथ-वे इंस्पेक्टर, बाबू सहित 7 का स्टाफ बचा था। इन्हें दूसरे मंडलों में भेजा गया है।

यहां बनना थे स्टेशन - पलसोड़ी, शिवगढ़, चंद्राबेड़दा, सैराअलका खेड़ा, छोटी सरवन, आड़ीभीत खेड़वी, कुंडला खुर्द, बांसवाड़ा, मोतीरा, वजवाना, गढ़ी परतापुर, भीलुड़ा, सागवाड़ा, जोधपुरा, टामटिया, नवागांव, मनपुर।

जमीन के बदले देना था 38 करोड़ का मुआवजा, 18 करोड़ बाकी
मध्यप्रदेश के हिस्से वाली 49 किमी लंबी रेल लाइन के लिए रेलवे गुड़भेली, फतेहपुरिया, पाटड़ी सहित सैलाना व शिवगढ़ में 175.56 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत कर चुका है। ट्रैक बिछाने के लिए इन क्षेत्रों में अर्थ वर्क प्रारंभ हो गया था, जो ढाई साल से रुका है। जमीन के बदले 38 करोड़ रुपए का मुआवजा किसानों को देना था। राजस्थान सरकार से अब तक 20 करोड़ रुपए ही मिल पाए हैं। 18 करोड़ रुपए का मुआवजा बंटना है। रेलवे और राजस्थान सरकार के बीच हुए एमओयू के अनुसार लागत की आधी राशि राज्य सरकार को वहन करना थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए 200 करोड़ की राशि मंजूर की थी। जमीन अधिग्रहण के बाद 80 प्रतिशत मुआवजा राशि बंट चुकी थी लेकिन बाद में भाजपा सरकार ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर बाकी के 136 करोड़ की राशि देने से मना कर दिया था।

नई कोशिश भी असफल
2019 की शुरुआत में राजस्थान में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद रेलवे ने बैंक एबिलिटी सर्वे करवाकर नया एस्टीमेट बनाया था। इसमें लागत बढ़कर 4262 करोड़ हो गई, जो प्रारंभिक लागत 2082 करोड़ से 2180 करोड़ रुपए ज्यादा थी। मार्च में इसे सरकार की मंजूरी मिल जाती लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। इसके बाद से फाइल आगे नहीं बढ़ी।

शेयर करे

More news

Search
×