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कलेक्टर के रूप में अंकित कुमारसिंह ने संभाला कार्यभार, आमजन के लिए खुले कलेक्ट्रेट के गेट, सिस्टम बदलने की भी उम्मीद

Banswara
कलेक्टर के रूप में अंकित कुमारसिंह ने संभाला कार्यभार, आमजन के लिए खुले कलेक्ट्रेट के गेट, सिस्टम बदलने की भी उम्मीद
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा सोमवार को कलेक्टर बदलते ही 80 दिन से आमजन के बंद पड़े कलेक्ट्रेट के गेट खुल गए। उम्मीद है कि जिले में कामकाज का सिस्टम भी बदलेगा। आईएएस अंकित कुमार सिंह ने साेमवार काे बांसवाड़ा के 59 वें जिला कलेक्टर के रूप में काम संभालाा। कलेक्टर अंकित कुमार ने बताया कि उनकी पहली प्राथमिकता काेराेना महामारी रोकथाम रहेगी। जमीनी स्तर तक सरकारी याेजनाअाें का लाभ िमले, इस पर फाेकस रहेगा। पंचायत राज के घाेटालाें संबंधी मामलाें की एक बार जानकारी लेंगे। उसके बाद भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगे, एेसी व्यवस्था बनाएंगे। उनके पदभार ग्रहण में विशेष बात यह रही कि उन्हें इस पद का कार्यभार साैंपने वाला काेई नहीं था। निजी सहायक सुनील ताेमर ने उनके समक्ष फाइल रखी, जिस पर हस्ताक्षर कर उन्हाेंने कार्यभार ग्रहण िकया। निवर्तमान कलेक्टर कैलाश बैरवा शहर में ही थे, लेकिन उन्हाेंंने अपने हाथाें से नए कलेक्टर काे कार्यभार नहीं साैंपा। साेमवार सुबह करीब साढ़े नाै बजे बैरवा अचानक सीधे कलेक्टर कक्ष में पहंुचे। पीए से नए कलेक्टर काे चार्ज साैंपे जाने संबंधी पत्रावली मंगवाई अाैर उस पर हस्ताक्षर कर चले गए। इसके कुछ समय बाद नए कलेक्टर अंकित कुमार सिंह पंहुचे ताे एडीएम नरेश बुनकर व एसीईओ राजकुमार सिंह शेखावत ने उनकी अगवानी की। शाम काे उन्हाेंने कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित विभिन्न कार्यालयाें का अवलाेकन िकया। अवलाेकन के दाैरान कुछ कार्यालयाें में स्टाफ ने मास्क नहीं लगा रखा था ताे उन्हें मास्क लगाने की हिदायत दी।

कलेक्टर अंकित कुमार ने बताया कि सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब पिताजी ने अाईएएस के बारे में बताया था। पिताजी की इच्छा था कि मैं अाईएएस बनूं अाैर मैने भी ठान ली कि अाईएएस बनना है। तब न ताे यह पता था कि काैनसी परीक्षा हाेती है अाैर अाईएएस बनते कैसे हैं। इस परीक्षा काे देने से पहले इंजीनियरिंग की। बीटेक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही कैंपस प्लेसमेंट हाे गया था। इंजीनियरिंग की नाैकरी करने के साथ ही अाईएएस की परीक्षा देनी शुरू की। पहले, दूसरे व तीसरे प्रयासाें में सफलता नहीं िमली, लेकिन जुनून था अाखिरकार चाैथे प्रयासाें में अाईएएस में चयन हाे ही गया। जबकि इससे पहले परीक्षा देते हुए तीन नाैकरियां कर चुके थे। नाैकरी के साथ इस परीक्षा की तैयारी में कुछ परेशानी ताे अाती थी, लेकिन न हिम्मत हारी अाैर न ही लक्ष्य बदला। नतीजा सामने है।

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