14 July, 2015 रोज स्टे. टाइम 6 बजकर 05 मिनिट पर सिंह राशी में प्रवेश किया. सिंहस्थ गुरु में विवाह, जनेऊ, देवयात्रा, व्रत, भूमि पूजन, देव प्रतिष्ठा, सन्यास लेना, ग्रह प्रवेश सभी शुभ मुहर्त वर्ज्य है. परन्तु यह कलयुग का प्रथम चरण है, लोग मानेगे नही एवं उपयुक्त लिखे कार्य करेंगे. परन्तु मेरी राय नही है. देश काल और पात्र सम्बन्धित रखकर कई आचार्यो का मत है की मघा नक्षत्र के चार चरण और पुर्वा फाल्गुनी का पहला चरण ( जो सिंह का नवांश रहेगा ) वेसे सिंह राशी की शुरुवात पांच चरण 16 अंश 40 कला तक सिंह राशी वर्ज्य करे. इस वर्ष 14-07-2015 गुरुदेव सिंह राशी में प्रवेश किया. अत: सिंह के प्रथम पांच चरण चतुर्मास आता है. एवं इस समय लग्न मुहर्त नही आते. सिंह के प्रथम पांव चरण जाने के बाद सिंह का गुरु मांगलिक कार्य गंगा के उत्तर भाग, गोदावरी, दक्षिण में शुभ कार्य हो सकते है. गंगा गोदावरी नदी उत्तराचंल से बंगलादेश होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है. गोदावरी नासिक, आंध्रप्रदेश के नस्सापुर के बाद बंगाल की खाड़ी में मिलती है. वेसे गंगा, गोदावरी के बीच के भाग, गोदावरी बीच गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पशिचमी बंगाल, ओड़िसा, उत्तरप्रदेश, बिहार, दक्षिण के भाग, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश, गोदावरी के उत्तर भाग, इन भागो में सिह्स्थ के गुरु के समय शुभ कार्य वर्ज्य है. सिंहस्थ के समय पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र आन्ध्रा के दक्षिणी भाग, मुंबई, पुन, कोल्हापुर, सोलापुर, हेदराबाद, कर्नाटक, तमिलनाडु, सिंहस्थ गुरु शुभ काम हो सकते है. सूर्य मेष राशी में उच्च के समय सिंहस्थ गुरु के समय समस्त शुभ कार्य कहीं भी हो सकते है. इस समय पंचांग में बताये शुभ मुहर्त कर सकते है.
NOTE : अगर जरुरी होने पर गुरुदेव की पूजा - दानपुन्य कर सकते हो
निम्नलिखित विवाह अपने कुलपुरोहित से पूछकर कर सकते हो