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बेनेश्वेर वागड़ के कुम्भ में लगा श्रधालुआ का मेला

बेनेश्वेर वागड़ के कुम्भ में लगा श्रधालुआ का मेला
@HelloBanswara - -

Banswara February 01, 2018 संत मावजी महाराज की अलौकिक लीला और आस्था के केंद्र बेणेश्वरधाम पर माघ पूर्णिमा का मुख्य मेला बुधवार को भरा। इस मेले में करीब करीब ढाई लाख श्रद्धालुओं ने सोम, माही व जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। 10 दिन तक चलने वाले इस मेले में करीब 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आएंगे और यह मेला अगले पांच दिन मतलब पंचमी तक ओर चलेगा। अब तक माघ पूर्णिमा के दिन गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश से हजारों लोग पहुंचे, जिन्होंने पवित्र घाट पर स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। इस मेले की खासियत यह है कि घरेलू सामग्री से लेकर हर वस्तु की बिक्री होती है। बेणेश्वर मेले की ख्याति अब देश के कई हिस्सों तक पहुंच गई है। मेले में लाखों श्रद्धालुओं के आने और उस समय खरीदारी बढ़ने से अब 4 राज्यों के व्यापारी मेले में अपनी दुकानें लगाई हैं।

महंत पालकी में श्रद्धालुओं के कांधे पर चलकर धाम पहुंचे

बेणेश्वरधाम के पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज की पालकी सुबह मावजी महाराज की जन्मस्थली साबला हरि मंदिर से सुबह गाजे-बाजे और ढोल-नगाड़ों के साथ पालकी यात्राएं निकाली, जो दिन में बेणेश्वर धाम पहुंची जहाँ महाराज ने स्नान किया साथ ही हजारों माव भक्तों ने आबुदर्रा घाट पर शाही स्नान किया। पीठाधीश्वर ने शाही स्नान से पहले नदी में नारियल उछाले तो हजारों माव भक्त उस प्रसाद को पाने की ललक में नदी में कूद पड़े। प्रसाद को पाने और उसे देखने के लिए भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु आबुदर्रा घाट पर थे। फिर पीठाधीश्वर अच्युतानंद महाराज ने मुख्य राधा कृष्ण मंदिर में दर्शन किए। पूर्ववर्ती पीठाधीश्वरों की पूजा की। भगवान निष्कलंक की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया। पीठाधीश्वर मंदिर के झरोखे में विराजित हुए और साद भक्तों के साथ अपने अनुयायियों और श्रद्धालुओं को दर्शन दिए। 

 

विदेशी पर्यटकों ने देखा वागड़ का मेला 
मेले में कई देशी-विदेशी पर्यटक भी पहुंचे। इस  मेले में अभी तक  फ्रांस, इजराइल के पयर्टक मेले में आ चुके हैं। पर्यटकों ने यहाँ की संस्कृति से अभिभूत होते हुए वनवासी रीति-रिवाजों, मेला क्षेत्र के रंगीन नजारों और लोक सांस्कृतिक परंपराओं को अपने कैमरे में कैद किया।


गैर नृत्य में सामिल हुवे श्रद्धालु, गूंजी मावजी महाराज नी जै 
मेले में आदिवासियों ने गैर नृत्य किया, जिसे देखने के लिए उमड़े श्रद्धालु

1100 मीटर लंबी चुनर संगम में विसर्जित 
पीठाधीश्वर ने किए राधा-कृष्ण मंदिर के दर्शन 
 

मेले में आये लोगो ने जन्मर की खरीदारी 
मेले में खरीदारी का जोर भी बढ़ गया। भोजनालय, जलपाल गृह, मनिहारी, बर्तन, गन्ने के रस, लोहा, काष्ठ, दूध, किराणा, खिलौनों, प्लास्टिक सामग्री, चाय, पाषाण सामग्री, खादी, साज-सज्जा, शृंगार, जूते-चŒपल, सिले-सिलाए कपड़े, खाने-पीने के सामान की दुकानों पर भारी भीड़ रही। स्थानीय उˆत्पादों का बड़ा बाजार भी मेलार्थियों की भीड़ रही। 

वाल्मीकि समाज ने 1100 मीटर लम्बी चुनर की यात्रा निकाली 

वाल्मीकि समाज की ओर से माघ पूर्णिमा पर बेणेश्वरधाम पर 1100 मीटर लंबी चुनर की यात्रा निकाली। चुनर को हजारों की संख्या में श्रद्धालु थामे हुए थे और महाराज वाल्मीकि के जयकारे गूंज उठे। गाजे-गाजे के साथ वाल्मीकि मंदिर से निकाली यात्रा बांसवाड़ा मार्ग पुलिए की ओर घाट तक पहुंची, जहां पवित्र त्रिवेणी जल में विसर्जन किया गया। 

 

मेले में आये श्रद्धालु 
03 लाख की भीड़ बताई मेला आयोजक समिति ने। 
02 लाख तक की भीड़ बताई पुलिस ने। 
2.5 लाख तक की भीड़ बताई प्रशासन ने। 

मेले में सुरक्षा और व्यवस्था 
मेला परिसर पर नजर रखने के लिए 40 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए । 
मेलार्थियों की सुरक्षा के लिए 700 पुलिसकर्मी तैनात रहे। 
करीब 1500 वाहन लगे थे मेलार्थियों लाने और ले जाने में। 
रोडवेज की 25 बसें दिन-रात चलती रही। 
मेले की व्यवस्थाओं के लिए 250 कर्मचारी जुटे रहे। 
मेला परिसर में 650 दुकानें लगीं। 
साबला में भी मेले सा माहौल 

बेणेश्वर धाम मुख्य मेले के तहत पास के साबला गांव में भी मेले सा माहौल रहा। दर्शनार्थियों की कतारें इस कदर लगी हुई थी कि 5 किमी दूर साबला गांव में भी श्रद्धालुओं का मेला रहा। दिन में कई बार ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बनी रही। 

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