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आधी रात लड़के को घर से उठाया और दुल्हन बना करा दी शादी

आधी रात लड़के को घर से उठाया और दुल्हन बना करा दी शादी
@HelloBanswara - -

रात 12 बजे, फेरों के संग फाग की मस्ती, गेरियों की दूल्हा-दुल्हन को ढूंढने की रस्म के साथ ही हो गई होली की शुरुआत  

रात 11 बजे ... लक्ष्मीनारायण मंदिर चौक पर होली की अनूठी मस्ती की शुरुआत हो चुकी है। यहां गेरिये इकट्ठा हो चुके हैं। अब तैयारी है एक ऐसी शादी की जो संभवत: राजस्थान में इसी गांव में होती है। यहां चौदस की आधी रात को दो लड़के आपस में फेरे लेंगे। दुल्हन बने लड़के को मंगलसूत्र भी पहनाया जाएगा। और इस शादी में गांव के लोग ही घराती और वही बराती होंगे। सबसे रोचक यह है कि जिसकी शादी होनी है वह अभी तय नहीं है। इसका भी नियम है कि दूल्हा और दुल्हन कौन बनेगा। अब गेरियों की टोली ऐसे अविवाहित लड़कों को ढूंढने निकलेगी जो यज्ञोपवीतधारी भी न हो। उसे सीधे घर से लाकर मंडप पर बिठा दिया जाएगा। चलो अब आपको सीधा नजारा दिखाते है।

ए रौनक तने जीगर नी लाडी बणवु है, उठ खाटला थकी...  
ढोल की थाप बजने लगी है। गेरियों के नाचते गाते समूह अजब ही मस्ती बिखेर रहे हैं। ये गेरिये शादी के लिए बालकों को ढूंढने निकल पड़े हैं। गांव की सैर के बीच एक ने राय दी कि रौनक को लाडी बनाते है। सभी ने हामी भर दी। बस फिर क्या था। गेरिये रौनक के घर गए और जगाकर कहा कि चल तुझे जीगर की लाडी बनना है। गहरी नींद में सोया रौनक कुछ समझ पाता, उससे पहले गेरिये उसे उठाकर लक्ष्मीनारायण मंदिर चौक पर ले आए। फिर शुरू हुई रौनक और जीगर की विवाह की रस्म अदायगी। ऐसा विवाह जिसमें बाराती और घराती दोनों हंस रहे थे। हल्ला कर फाग गीत गाए। रौनक और जीगर को आपस में गले मिलाया। किसी ने चिढ़ाया तो किसी ने रिझाया। गांव के मुखिया का आदेश होते ही रौनक को दुल्हन और जीगर को दूल्हा बनाकर शादी की सभी रस्में शुरू की। हाथीवड़ा और मामेरा की रस्म में सभी गेरियों ने दोनों को नकद राशि भेंट की। मंदिर परिसर में ढोल ढमाकों के साथ युवाओं ने डांडिया खेले। इसके बाद फागण गीत गाते हुए पं. दिलीप जोशी के घर पहुंचे और निमंत्रण देकर विवाह स्थल लाए। पं. जोशी ने वर वधु के सात फेरे करवाए। दूल्हा बने जीगर ने दुल्हन बने रौनक की मांग में सिंदूर भरा, मंगलसूत्र पहनाया और वरमाला की रस्म भी अदा की। समाजसेवी विकास भट्‌ट ने बताया कि यह फाग की मस्ती है, जो कई सालों से इस गांव में निभाई जा रही है। इस अनूठे विवाह में नाथजी मुखिया, अर्जुनसिंह पटेल, मानसिंह पटेल, भरत पटेल आदि का विशेष सहयोग रहा।

ढोल की थाप बजने लगी है। गेरियों के नाचते गाते समूह अजब ही मस्ती बिखेर रहे हैं। ये गेरिये शादी के लिए बालकों को ढूंढने निकल पड़े हैं। गांव की सैर के बीच एक ने राय दी कि रौनक को लाडी बनाते है। सभी ने हामी भर दी। बस फिर क्या था। गेरिये रौनक के घर गए और जगाकर कहा कि चल तुझे जीगर की लाडी बनना है। गहरी नींद में सोया रौनक कुछ समझ पाता, उससे पहले गेरिये उसे उठाकर लक्ष्मीनारायण मंदिर चौक पर ले आए। फिर शुरू हुई रौनक और जीगर की विवाह की रस्म अदायगी। ऐसा विवाह जिसमें बाराती और घराती दोनों हंस रहे थे। हल्ला कर फाग गीत गाए। रौनक और जीगर को आपस में गले मिलाया। किसी ने चिढ़ाया तो किसी ने रिझाया। गांव के मुखिया का आदेश होते ही रौनक को दुल्हन और जीगर को दूल्हा बनाकर शादी की सभी रस्में शुरू की। हाथीवड़ा और मामेरा की रस्म में सभी गेरियों ने दोनों को नकद राशि भेंट की। मंदिर परिसर में ढोल ढमाकों के साथ युवाओं ने डांडिया खेले। इसके बाद फागण गीत गाते हुए पं. दिलीप जोशी के घर पहुंचे और निमंत्रण देकर विवाह स्थल लाए। पं. जोशी ने वर वधु के सात फेरे करवाए। दूल्हा बने जीगर ने दुल्हन बने रौनक की मांग में सिंदूर भरा, मंगलसूत्र पहनाया और वरमाला की रस्म भी अदा की। समाजसेवी विकास भट्‌ट ने बताया कि यह फाग की मस्ती है, जो कई सालों से इस गांव में निभाई जा रही है। इस अनूठे विवाह में नाथजी मुखिया, अर्जुनसिंह पटेल, मानसिंह पटेल, भरत पटेल आदि का विशेष सहयोग रहा।

सामाजिक सौहार्द के लिए की शुरुआत  
दक्षिण राजस्थान की होली पर शोध कर रहे कमलेश शर्मा ने बताया कि पहले इस गांव में खेडुवा जाति के लोग रहा करते थे और गांव के ठीक मध्य में ही एक नाला बहता था जो गांव को दो भागों में बांटता था। उस समय प्रत्येक भाग से एक एक बालक इस तरह की शादी में स्वेच्छा से दिया जाता था। माना जाता था कि दोनों भागों के लड़कों की आपस में शादी हो जाने पर दोनों भागों में पारिवारिक संबंध स्थापित हो जाता है और इसके चलते दोनों भागों के बाशिंदों में किसी प्रकार का बैर-भाव नहीं रहता है। इसी मान्यता के चलते ये परंपरा शुरू हुई जो आज भी बरकरार है।  
बारात में नाचते गांव के युवक। 

 

By Bhaskar

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