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महा शिवरात्रि

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महा शिवरात्रि
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Mahashivratri - 2017

हिन्दू मान्यता के अनुसार संसार का हर वो कण कण जिनसे वो कण कण उत्पन्न हुवा है, संसार विधमान जो भी उर्जा है वो उन्ही से, वो निराकार निरंजन भोलेनाथ महादेव जिनका सबसे प्रिय दिन महाशिवरात्रि जिसे श्रद्धालु बड़े ही धूम धाम से मानते है, और आज इसलिए पुरे भारत में सबसे ज्यादा मंदिर महादेव के ही है, श्रद्धालु उन्हें निराकार में शिवलिंग के रूप में पूजते है और आकर में उन्हें मूर्ति में पूजते है.

 

शिवरात्रि पूजा हेतु हर कृष्ण पक्ष त्रियोदशी को मनाई जाती है, और अगले दिन सूर्य उदय पश्चात चतुर्दशी होनी चाहिए और महाशिवरात्रि इसी तिथि में फागुन मास में मनाई जाती है ! 

फागुन वर्ष का अंतिम मास है, तथा नव वर्ष मंगलमय हो इसकी कामना वर्ष के अंतिम मास में ही होती है, इसलिए महाशिवरात्रि का यह महत्व है महादेव को भी ये दिन बहुत प्रिय है, और इसी दिन महादेव ने माता पार्वती से पाणिग्रहण किया था. भगवान शिव, जो कि वैरागी हैं और योगी भी है, का विवाह एक अत्यंत सुंदर, सुशील राजकुमारी के साथ तब संभव हो पाया जब माता पार्वती सब भौतिक सुख त्याग कर शिव को पाने कि प्रबल इच्छा व्यक्त कर के, तप कर के, शिव को विवाह के लीये प्रेरित कर पाई. भगवान शिव के विवाह को श्रृष्टि की प्रगति और विकास के लिए लाभकारी मानते हूए श्रधालु बड़ी धूमधाम, और जोश से इस पर्व को मनाते हैं महाशिवरात्रि के रूप में मानते है.

 

 

जटाओं में गंगाजी को धारण करने वाले, सिर पर चंद्रमा को सजाने वाले, मस्तक पर त्रिपुंड तथा तीसरे  नेत्र वाले ,कंठ में कालपाश (नागराज) तथा रुद्रा- क्षमाला से सुशोभित, हाथ में डमरू और त्रिशूल है जिनके और भक्तगण बड़ी श्रद्दा से जिन्हें  शिवशंकर, शंकर, भोलेनाथ, महादेव, भगवान् आशुतोष, उमापति, गौरीशंकर, सोमेश्वर, महाकाल, ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, नीलकंठ, काशीविश्वनाथ, त्र्यम्बक, त्रिपुरारि, सदाशिव तथा अन्य सहस्त्रों नामों से संबोधित कर उनकी पूजा-अर्चना किया करते हैं ऐसे भगवान् शिव एवं शिवा हम सबके चिंतन को सदा-सदैव सकारात्मक बनायें एवं सबकी मनोकामनाएं पूरी करें |

ॐ नमः शिवाय ! 

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